IAS Success Story: कुली का काम किया, रेलवे स्टेशन के फ्री वाई-फाई से की तैयारी और बन गए आईएएस
UPSC Success story: श्रीनाथ ने अपना पैसा किताबों पर नहीं बल्कि एक ईयरफोन, एक मेमोरी कार्ड, एक सिम कार्ड और एक स्मार्टफोन पर खर्च किया- इससे उनकी यूपीएससी की तैयारी शुरू हुई.
Sreenath K IAS: कौन कहता है कि मोबाइल फोन राक्षस हैं जो बच्चों को भटकाते हैं? अगर अच्छे तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो यह युवाओं को भी नुकसान नहीं पहुंचा सकता है. इसे साबित करने के लिए हमारे पास एक कुली से IAS बनने वाले हैं जिन्होंने केवल अपने मोबाइल फोन की मदद से यूपीएससी सिविल सर्विसेज को क्रैक कर लिया. यह उनकी किताबें, उनका सिलेबस, उनकी स्टडी मैटेरियल और उनके प्रक्टिस पेपर थे.
Who is IAS Sreenath K?
श्रीनाथ के मुन्नार के रहने वाले हैं और केरल के एर्नाकुलम में कुली का काम करते थे. वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से हैं. वह अपने परिवार के लिए एकमात्र कमाने वाला हैं.
एक युवा के रूप में उनके पास कठिन काम और कठिन जीवन था. वह एक ऑथराइज्ड कुली थे लेकिन 2018 में 27 साल की उम्र में उन्होंने महसूस किया कि कुली की आय उनके परिवार के लिए पर्याप्त नहीं थी. उस समय उनकी एक साल की बेटी थी, जिसे वह जीवन के खतरों का सामना नहीं कराना चाहते थे, जिसका उन्होंने सामना किया था. इसलिए बेटी को अच्छा बचपन देने के लिए उन्होंने और बेहतर करने का फैसला किया.
उन्होंने अपनी कमाई रोजाना 400-500 से बढ़ाकर ज्यादा करने के लिए रात की शिफ्ट शुरू की. जब वह भी पर्याप्त नहीं हो सका, तो उनके मन में यूपीएससी सिविल सेवा के लिए पढ़ाई करने का विचार आया. उनके पास कोचिंग और ट्यूशन के लिए पैसे नहीं थे इसलिए वह जितना खर्च उठा सकते थे उसका उपयोग करने का फैसला किया लेकिन उन्होंने सिविल सेवक बनने का विचार नहीं छोड़ा.
श्रीनाथ ने इस तकनीक का उपयोग करके केरल लोक सेवा परीक्षा, केपीएससी की लिखित परीक्षा को क्रैक किया. श्रीनाथ अपने गांव और अपने परिवार की स्थिति में भी सुधार करना चाहते थे. यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को पास करने के लिए उन्हें चार अटेंप्ट देने पड़े. उन्होंने कड़ी मेहनत की और कभी हार नहीं मानी. उन्होंने नौकरी भी नहीं छोड़ी. कुली की नौकरी छोड़ना उनके लिए बिल्कुल भी ऑप्शन नहीं था. उन्होंने आईएएस अधिकारी बनने के अपने चौथे प्रयास में सिविल सेवा पास की.
ऐसे की तैयारी
सरकार 2016 तक फ्री वाईफाई प्रदान कर रही थी, इसलिए श्रीनाथ ने इसे भुनाने का फैसला किया. उनके पास एक फोन, एक फ्री वाई-फाई कनेक्शन था, जिसने उन्हें सपने देखने और अपने टारगेट को हासिल करने में मदद की. वह मुंबई सेंट्रल आए, जहां लोगों के लिए फ्री वाईफाई की सेवा उपलब्ध थी और यूपीएससी सिविल सेवा के लिए अपनी तैयारी शुरू की. श्रीनाथ ने अपना पैसा किताबों पर नहीं बल्कि एक ईयरफोन, एक मेमोरी कार्ड, एक सिम कार्ड और एक स्मार्टफोन पर खर्च किया- इससे उनकी यूपीएससी की तैयारी शुरू हुई.
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