Gopalpur Muktakeshi School: बच्चों के जीवन में शिक्षा की शुरुआत स्कूल से ही होती है. हालांकि, छोटे बच्चे बड़ी मुश्किल से रो-रोकर स्कूल जाना शुरू करते हैं. इसके बाद रोज छह दिन स्कूल जाने के बाद सभी स्टूडेंट्स को संडे का दिन इंतजार रहता है. इस दिन बच्चे आराम से सोकर उठते हैं. इसके अलावा इस दिन घूमना-फिरना और बेफिक्र होकर खेलकूद करते हैं.


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इसी कारण छात्र जीवन में सामान्य दिन हो या फिर एग्जाम, संडे की अहमियत बहुत ज्यादा होती है, लेकिन हमारे देश में एक ऐसा अनोखा स्कूल है, जो संडे को भी ओपन होता है और बच्चे स्कूल जाकर पढ़ाई करते हैं. आइए जानते हैं कहां है यह अनोखा स्कूल और क्या है इस स्कूल के रविवार को खुलने की वजह...


पश्चिम बंगाल में मौजूद है ये स्कूल
देश का यह अनोखा स्कूल पश्चिम बंगाल में है. राज्य की राजधानी कोलकाता से 73 किलोमीटर की दूरी पर गोपालपुर गांव में यह स्कूल स्थित है, जिसका नाम गोपालपुर मुक्ताकेशी विद्यालय है. यह स्कूल बहुत पुराना है और पिछले 101 वर्षों से यहां पर रविवार को बच्चों की कक्षाएं लग रही हैं. बच्चों और शिक्षकों को साप्ताहिक अवकाश सोमवार को दिया जाता है. 


स्कूल की स्थापना
गोपालपुर मुक्ताकेशी विद्यालय की स्थापना 5 जनवरी 1922 को हुई थी. उस समय इस स्कूल में 13 छात्रों ने दाखिला लिया था. इस स्कूल के पास ही में देवी दुर्गा का एक मंदिर है, ऐसे में देवी दुर्गा के अवतार देवी मुक्ताकेशी के नाम पर ही स्कूल का नाम रखा गया था. 


स्कूल का इतिहास
इस स्कूल की स्थापना के बाद यहां के सबसे पहले प्रिंसिपल भूपेंद्रनाथ नायक थे, जो एक स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ इस स्कूल में अंग्रेजी न पढ़ाने का फैसला लिया और वह स्कूल को रविवार को विद्यालय खुला रखते थे.


संडे को स्कूल खुला रखने के कारण, बच्चे यहां पढ़ने भी पहुंचते थे. हालांकि, साल 1925 में अंग्रेजों की हिटलरशाही के चलते स्कूल में अंग्रेजी को पाठ्यक्रम में जोड़ लिया गया था, लेकिन स्कूल खोलने और बंद करने के नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया. 


अंग्रेजों के खिलाफ दान की थी जमीन 
जानकारी के मुताबिक गोपालपुर मुक्ताकेशी विद्यालय 3.3 एकड़ से ज्यादा जगह में फैला हुआ है. दरअसल, उस समय के बड़े जमींदार बिजॉय कृष्ण कुमार और अविनाश चंद्र हलदर ने अंग्रेजों के खिलाफ अपनी जमीन स्कूल के लिए दान कर दी, जिसके बाद यहां स्कूल भवन बनाया गया. इस तरह अंग्रेजों की खिलाफत में बने संडे को स्कूल बंद न होने के इस नियम पर आज वर्षों बाद भी अमल किया जा रहा है.