UPSC Best Subjects: साल 2023 में हुई यूपीएससी सीएससी (UPSC CSE) की परीक्षा को लेकर छात्रों ने जमकर बवाल काटा हुआ है. छात्रों का आरोप है कि यूपीएससी प्रीलिम्स की परीक्षा में कई सवाल IIT JEE और CAT के लेवल के थे जो यूपीएससी के दिए गाइडलाइन में 10 वीं के स्तर को फॉलो नहीं करते हैं. आपको बता दें कि संघ लोक सेवा आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट से पता चलता है कि इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से आने वाले परीक्षार्थी इस एग्जाम में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके अलावा इंजीनियरिंग के छात्रों का अनुपात इस परीक्षा में तेजी से बढ़ रहा है.


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क्या कहते हैं आंकड़े?


आंकड़े बताते हैं कि यह बदलाव खासकर साल 2011 से देखने को मिलता है और यह वहीं साल है, जब यूपीएससी ने प्री-परीक्षा में सीसैट लागू किया था. सीसैट को लेकर हिंदी और अन्य भाषा के छात्रों ने जमकर बवाल किया था. हालांकि, वर्तमान समय में इस पेपर को मात्र क्वालीफाइंग कर दिया गया है. यानी परीक्षा के नंबर आपके रिजल्ट में नहीं जुड़ते हैं, इस सीसैट पेपर को सिर्फ पास करना होता है. आपको जनाकर हैरानी होगी कि 60 से अधिक इंजीनियरिंग के छात्रों को इस परीक्षा में सफलता मिली है. साल 2012 से लेकर 2020 तक कोर इंजीनियरिंग विषयों के साथ कई अभ्यर्थियों ने परीक्षा में सफलता पाई है. इनकी हिस्सेदारी परीक्षा में 2.7 फीसदी की है.


महिलाएं कर रही अच्छा प्रर्दशन


हाल ही में यूपीएससी ने साल 2022 की परीक्षा का फाइनल रिजल्ट घोषित किया था जिसमें सफलता पाने वाली टॉप तीन लड़कियों ने अर्थशास्त्र, वाणिज्य और इंजीनियरिंग से पढ़ाई पूरी की थी. परीक्षा देने वाले ज्यादातर अभ्यर्थियों का पसंदीदा सब्जेक्ट एंथ्रोपोलॉजी, राजनीति शास्त्र और इंटरनेशनल स्टडीज है. अब इस परीक्षा को पास करने वाले अभ्यर्थियों में महिलाओं और पुरुषों का अनुपात देख लेते हैं. इन आकड़ों को देखने से साफ पता चलता है कि सिविल सेवा की परीक्षा में महिलाओं ने समय के साथ अच्छा प्रदर्शन किया है. साल 2022 में महिलाओं ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है.


आकंड़ों पर डाल लेते हैं नजर (प्रतिशत में)


साल      महिला     पुरुष


2006-    21%        79%


2007-    22%        78%


2008-    21%        79%


2009-    22%        78%


2010-    22%        78%


2011-    21%        79%


2012-    25%        75%


2013 -   23%        77%


2014-   23%        77%


2015-    20%        80%


2016-    23%        77%


2017-    24%        76%


2018-    24%        76%


2019-    24%        76%


2020-    29%        71%


2021-    26%        74%


2022-    34%        66%