Maharashtra Election: महाराष्ट्र में चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है. महायुति और महाविकास अघाड़ी के नताओं में जुबानी जंग भी ज्यादा देखने को मिल रही है. इस बीच शरद पवार गुट की एनसीपी ने ऐसा दावा किया है जिसकी चर्चा ने जोर पकड़ लिया है. पार्टी ने दावा किया कि महाराष्ट्र कि बड़ी मछली उनके खेमे में आने वाली है. नेता और पार्टी के नाम का खुलासा नहीं करते हुए कहा कि वक्त आने पर सबको पता चल जाएगा. साथ ही यह भी कहा कि वह अपने सहयोगियों, कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन को उखाड़ फेंकेंगे.


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बड़ी मछली वाला दावा एनसीपी के राज्य अध्यक्ष जयंत पाटिल ने नासिक में किया है. लेकिन उन्होंने नेता या पार्टी का नाम बताने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, "इसकी जानकारी उचित समय पर दी जाएगी." वैसे एकनाथ खडसे के नाम की चर्चा भी जोरों पर है. खडसे ने हाल ही में कहा था कि वे कुछ पार्टी नेताओं के विरोध के कारण बीजेपी में फिर से शामिल नहीं होंगे. दो साल पहले, खडसे ने बीजेपी छोड़कर शरद पवार के नेतृत्व वाली एकीकृत एनसीपी में शामिल होने का निर्णय लिया था. क्योंकि उनका पार्टी नेताओं देवेंद्र फडणवीस और गिरीश महाजन के साथ मतभेद था.


एनसीपी (शरद पवार) चुनावों से पहले कई नेताओं के पार्टी में शामिल होने की संभावना के चलते उत्साहित है. एनसीपी (एसपी) का कहना है कि महायुति के काम करने के तरीके को लेकर लोगों में भारी असंतोष है. एनसीपी (एसपी) के प्रवक्ता महेश तपसे ने कहा, "भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी का गठबंधन 100 सीटें नहीं पा सकेगा." उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के मतदाताओं में केंद्रीय भाजपा नेतृत्व के प्रति नाखुशी महायुति के घटते समर्थन का मुख्य कारण है.


तपसे ने कहा, "केंद्रीय नेतृत्व के प्रति स्पष्ट असंतोष है. हर बार जब ये नेता महाराष्ट्र आते हैं, महायुति का समर्थन आधार और कमजोर होता जाता है." उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हालिया नागपुर दौरे का उल्लेख किया, जहां शाह ने बीजेपी कार्यकर्ताओं से अपनी वोट हिस्सेदारी 10 प्रतिशत बढ़ाने का आग्रह किया था. शाह की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए तपसे ने दावा किया कि महायुति की वोट हिस्सेदारी 20 प्रतिशत घटेगी. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के मतदाता बीजेपी के "शक्ति-लालची" दृष्टिकोण से निराश हो रहे हैं.


तपसे ने कहा, "बीजेपी ने महाराष्ट्र में अपनी चुनावी प्रदर्शन को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय नेताओं पर बहुत निर्भरता दिखाई है. लेकिन इस राज्य के लोग अब रुचि नहीं रखते. वे जवाबदेही, विकास और नौकरियों की तलाश में हैं. जो महायुति नहीं दे पाई है. उद्धव ठाकरे और शरद पवार के विधायकों को लुभाकर महाराष्ट्र में असंवैधानिक गठबंधन बनाना लोगों के साथ अच्छा नहीं रहा."