Congress: हरियाणा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस की स्थिति कमजोर होती दिख रही है. इंडिया अलायंस के सहयोगी दल अब कांग्रेस को ज्यादा महत्व नहीं दे रहे हैं. और इसकी वजह से कांग्रेस को अपनी भविष्य की गठबंधन रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है. जम्मू-कश्मीर में भले ही कांग्रेस ने चुनाव जीते हों, लेकिन वहां भी पार्टी यह तय नहीं कर पा रही कि वह सरकार में शामिल होगी या नहीं. यही स्थिति उत्तर प्रदेश में भी है. यूपी में समाजवादी पार्टी (SP) और कांग्रेस के बीच उपचुनावों को लेकर स्थिति साफ नहीं है.


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सपा का कांग्रेस को कम सीटों का प्रस्ताव


समाजवादी पार्टी ने हाल ही में अपने रुख को और मजबूत किया है. पहले तो पार्टी कांग्रेस को दो सीटें देने को तैयार थी, लेकिन अब वह केवल एक सीट देने पर विचार कर रही है. यह कदम कांग्रेस पर दबाव बनाने के लिए उठाया गया है, ताकि वह अपनी स्थिति पर विचार कर सके. रामगोपाल यादव ने भी यह संकेत दिए कि अगर कांग्रेस अपने व्यवहार में बदलाव नहीं लाती, तो गठबंधन में बदलाव हो सकता है.


हरियाणा की हार ने कांग्रेस की स्थिति को किया कमजोर


हरियाणा के चुनाव परिणामों ने कांग्रेस की स्थिति को कमजोर कर दिया है. INDI अलायंस के अन्य दलों ने अब कांग्रेस से अपनी स्थिति को लेकर समझौता करना शुरू कर दिया है. समाजवादी पार्टी ने पहले कांग्रेस से हरियाणा में पांच सीटों की मांग की थी, लेकिन कांग्रेस ने वह सीटें नहीं दीं. इसके कारण समाजवादी पार्टी का मनोबल बढ़ा और अब वह यूपी में भी कांग्रेस के लिए सीटों की संख्या कम कर रही है. रामगोपाल यादव ने कहा कि अगर कांग्रेस ने गठबंधन धर्म निभाया होता और ज्यादा सीटों के लिए समाजवादी पार्टी को समर्थन दिया होता, तो शायद हरियाणा चुनाव के परिणाम अलग होते.


रणनीति पर पुनर्विचार की जरूरत


कांग्रेस को अब अपनी रणनीति पर गंभीरता से पुनर्विचार करना होगा, क्योंकि अब उसके पास अधिक विकल्प नहीं हैं. INDI अलायंस में उसकी हैसियत पहले जैसी नहीं रही और सहयोगी दल अब उसे सीमित शर्तों पर गठबंधन जारी रखने के लिए मजबूर कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी के बयान और सीटों के बंटवारे के नए प्रस्ताव ने कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं.