Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 से पहले जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह ने एक बार फिर 20 दिन के लिए पैरोल की मांग की है. सरकार ने साध्वी से बलात्कार और हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे राम रहीम की पैरोल पर रिहाई की अर्जी हरियाणा के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर को भेजी है. उन्होंने इस पैरोल की अर्जी की टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं.


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चुनाव आयोग ने जेल विभाग और सरकार से पूछा जरूरी कारण


हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने जेल विभाग से अर्जी के पीछे जरूरी आकस्मिक कारण बताने को कहा है. उन्होंने राज्य सरकार से पूछा है कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को पैरोल पर रिहा करने के लिए क्या कोई आपातकालीन परिस्थिति है? कानून के मुतबिक, चुनावों के दौरान अगर किसी कैदी को आपातकालीन परिस्थिति में पैरोल पर रिहा करना जरूरी होता है, तो इसके लिए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से इजाजत लेना पड़ती है.


हरियाणा चुनाव के बीच राम रहीम की पैरोल की मांग पर सवाल


चुनाव आयोग की तरह तमाम आम लोगों के मन में भी हरियाणा चुनाव के वक्त डेरा चीफ की 11वीं बार अस्थायी रिहाई यानी पैरोल की मांग पर सवाल उठ रहे हैं. वहीं, डेरा के प्रवक्ता का कहना है कि गुरमीत राम रहीम सिंह एक कैलेंडर साल में 91 दिनों की अस्थायी रिहाई का हकदार है. इसलिए 20 दिन की पैरोल का उसका नया अनुरोध कानून के मुताबिक ही है. 


राम रहीम को 10 बार मिली पैरोल और फरलो पर अस्थाई रिहाई


रोहतक की सुनारिया जेल में बंद डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को अब तक 10 बार पैरोल और फरलो पर अस्थाई रिहाई मिल चुकी है. साल 2017 में 20 साल कैद की सजा सुनाए जाने के बाद से डेरा प्रमुख 255 दिन यानी आठ महीने से अधिक समय जेल से बाहर बिता चुके हैं. राम रहीम को पहली बार   24 अक्टूबर 2020 को अस्पताल में भर्ती अपनी मां से मिलने के लिए 1 दिन की पैरोल मिली थी. उसके बाद 21 मई 2021 को दूसरी बार मां से मिलने के लिए 12 घंटे की पैरोल दी गई. तीसरी बार 7 फरवरी 2022 को परिवार से मिलने के लिए 21 दिन की फरलो मिली. 


लोकसभा चुनाव से पहले 50 दिनों के लिए पैरोल पर जेल से बाहर


चौथी बार 17 जून 2022 को 30 दिन की पैरोल मिली. पांचवी बार में 14 अक्टूबर 2022 राम रहीम को 40 दिन की लिए पैरोल दी गई. छठी बार 21 जनवरी 2023 को भी 40 दिन की पैरोल मिली. सातवीं बार, 20 जुलाई 2023 को 30 दिन की पैरोल  मिली. आठवीं बार, 21 नवंबर 2023 को राम रहीम को 21 दिन की फरलो मिली.  नौंवी बार, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 19 जनवरी 2024 को वह 50 दिनों के लिए पैरोल पर जेल से बाहर आया. उसके बाद 10वीं बार 13 अगस्त 2024 को 21 दिन की फरलो को हाईकोर्ट ने मंजूरी दी थी. 


हरियाणा चुनाव में डेरा प्रमुख राम रहीम का कितना होगा असर?


अब हरियाणा में विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले राम रहीम ने 20 दिन की पैरोल पर रिहाई की मांग की है. गुरमीत राम रहीम सिंह की अस्थाई रिहाई को लेकर अक्सर यह आरोप लगाया जाता रहा है कि वह हरियाणा में रहने वाले अपने ज्यादातर अनुयायियों को चुनावों में एक विशेष तरीके से मतदान करने के लिए प्रभावित करने की कोशिश करता है. आइए, जानते हैं कि हरियाणा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह का कितना प्रभाव है?


चुनावों में राम रहीम का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं कई दलों के नेता


राम रहीम के कई पैरोल और फरलो लेकर हरियाणा और पड़ोसी राज्यों में चुनावों के समय पर जेल से बाहर निकले तो राजनीतिक जानकारों ने इसे सीधे तौर वोट बैंक का तुष्टीकरण करार दिया. चुनावों के दौरान कई दलों के राजनेता राम रहीम का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं. इसके बाद, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर गुरमीत राम रहीम को लगातार पैरोल या फरलो दिए जाने का विरोध किया था. हालांकि, कोर्ट ने राज्य सरकार और सक्षम प्राधिकार का मामला बताते हुए उस याचिका को खारिज कर दिया था.


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दलित और पिछड़ी जाति के वोट बैंक पर डेरे के कब्जे का शिगूफा


पंजाब के साथ लगते हरियाणा के सिरसा जिले में स्थित डेरा सच्चा सौदा मुख्यालय का आसपास के कई राज्यों में खासकर दलित और पिछड़ी जातियों के वोट बैंक पर प्रभाव माना जाता है. खासकर, हरियाणा के सिरसा और अंबाला समेत चार जिले में 36 विधानसभा सीटों पर इसका सीधा राजनीतिक असर बताया जाता है. डेरा प्रमुख राम रहीम की गिरफ्तारी और सजा सुनाए जाने के दौरान पंजाब और हरियाणा में उसके अनुयायियों की ओर से बड़े पैमाने पर फैलाई हिंसा में 38 लोगों की मौत हो गई थी.


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लगातार घट रहा डेरा का सियासी रुतबा, समर्थन के बावजूद नुकसान


डेरा ही तय करता है कि उसके लगभग एक करोड़ समर्थक किस पार्टी को वोट देंगे. शुरुआत में राम रहीम कांग्रेस के समर्थक था. बाद में उसका झुकाव भाजपा की तरफ हो गया. हालांकि, कई बार चुनावों में उसके समर्थन को हासिल करने वाली पार्टियों की बेहद बुरी गत हो चुकी है. 2007 और 2012 में डेरा ने पंजाब में कांग्रेस का समर्थन किया और दोनों ही चुनाव में वह बुरी तरह पिट गई. हरियाणा में नगर निकाय चुनाव से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनावों में उसने 2014 के बाद भाजपा का समर्थन किया और भाजपा हर बार नुकसान में रही. डेरा के समर्थकों की संख्या में भी भारी गिरावट आने की बात सामने आई है.


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