Jammu Kashmir Assembly Election Result 2024: कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को पलायन हमेशा से एक मुद्दा रहा है. लेकिन नतीजे बता रहे हैं कि कश्मीर में पंडितों के लिए ज्यादा कुछ बदला नहीं है. उनके लिए वापसी अब भी इतनी आसान नहीं है. सोचिए कश्मीर में एक हिंदू नहीं जीता जबकि जम्मू में कई मुस्लिमों की जीत हुई है. तो क्या ऐसे में कश्मीरी पंडितों की वापसी पॉसिबल है. कश्मीर में हिंदुओं की आवाज कौन बनेगा. कश्मीर के रिजल्ट पर पढ़िए हमारी ये खास रिपोर्ट.


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कश्मीर में नहीं जीता कोई हिंदू उम्मीदवार


जम्मू-कश्मीर के चुनावी नतीजों के बाद सबसे ज्यादा चर्चा कश्मीर को लेकर हो रही है क्योंकि वहां एक भी हिंदू कैंडिडेट नहीं जीता है. जिनके पलायन का मुद्दा पूरे चुनाव में छाया रहा. लेकिन रिजल्ट आने के बाद अब लोग पूछ रहे हैं कि कश्मीरी पंडितों की बात कौन करेगा. घाटी में हिंदुओं के मुद्दे कौन उठाएगा क्योंकि कश्मीर में हिंदुओं का कोई प्रतिनिधि नहीं रहा. सवाल है कि क्या इसके पीछे वहां की डेमोग्राफी है.


कश्मीर में मुस्लिम 90 प्रतिशत से ज्यादा है. जबकि दूसरे नंबर पर हिंदू थे, जिसमें ज्यादातर कश्मीरी पंडित और गुज्जर थे. लेकिन कश्मीरी पंडितों को भगा दिया गया और ज्यादातर गुज्जर धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बन गए. राज्य की 90 सीटों में से 47 सीटें कश्मीर में तो वहीं 43 सीटें जम्मू में हैं. 


क्या अब्दुल्ला की सरकार कश्मीरी पंडितों की आवाज बन पाएगी?


जम्मू में हिंदुओं की आबादी ज्यादा है. फिर भी 43 सीट में से कई सीट पर मुस्लिम प्रत्याशियों ने हिंदुओं को हराकर जीत हासिल की है. लेकिन कश्मीर में ये कारनामा नहीं हुआ. वहां किसी ने हिंदुओं की आवाज बनने की कोशिश नहीं की. ऐसे में कश्मीर के नतीजों पर कई सवाल उठ रहे हैं.


मसलन, क्या कश्मीरी पंडितों की वापसी हो पाएगी? क्या कश्मीर में 90 का दौर वापस लौटने वाला है? क्या भविष्य में कश्मीर में हिंदुओं की आबादी और घटेगी? अब्दुल्ला की सरकार कश्मीरी पंडितों की आवाज बन पाएगी?


अपने घर कब लौट पाएंगे कश्मीरी पंडित?


इन सवालों ने कश्मीरी हिंदुओं की चिंता बढ़ा दी है. फिलहाल इन सवालों के जवाब मिलना मुश्किल है. लेकिन नतीजे देखकर तो यही लग रहा है कि कश्मीरी पंडितों को घर वापसी के लिए अभी और इंतजार करना पड़ सकता है.