`अगर वश चलता तो पूरे कश्मीर को झेलम नदी में फेंक देते...` आखिर उपराज्यपाल से क्यों नाराज हो गए MP अब्दुल रशीद?
MP Sheikh Abdul Rashid: `अगर उपराज्यपाल का वश चलता तो वह पूरे कश्मीर को झेलम नदी में फेंक देते. यह किस तरह का लोकतंत्र है? जमात-ए-इस्लामी ने क्या किया है? उनका कसूर क्या है? आखिर राज्यपाल से क्यों नाराज हो गए अब्दुल रशीद
Sheikh Abdul Rashid To Criticized LG: लोकसभा सदस्य शेख अब्दुल रशीद ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के बयान पर नाराजगी जताई है और जमात-ए-इस्लामी के कसीदे पढ़े हैं. रशीद ने कहा कि 'मुस्लिमों का खून बहाने' और अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए भारत को साम्प्रदायिक आधार पर विभाजित करने वाली बीजेपी के विपरीत जमात-ए-इस्लामी सिर्फ जम्मू कश्मीर में राजनीतिक मुद्दों का समाधान चाहती है. उन्होंने न्यूज एजेंसी से बात करते हुए बताया कि अगर उपराज्यपाल का वश चलता तो वह पूरे कश्मीर को झेलम नदी में फेंक देते.
यह किस तरह का लोकतंत्र है? जमात-ए-इस्लामी ने क्या किया है? उनका कसूर क्या है? यह ऐसा संगठन है जिसने कश्मीर में सामाजिक, नैतिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में काफी काम किया है.’’
उपराज्यपाल ने क्या कहा था?
एक निजी समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में सिन्हा ने जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए सख्त कानूनों का आह्वान किया था. इंजीनियर रशीद के नाम से मशहूर बारामूला से लोकसभा सदस्य ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी की नीतियों को लेकर थोड़ी असहमति हो सकती है लेकिन उसने भाजपा की तरह साम्प्रदायिक घृणा फैलाने के लिए लोगों को विभाजित नहीं किया या उनकी हत्या नहीं की. रशीद ने कहा, 'हमारी उनकी नीतियों से कुछ असहमति हो सकती है, लेकिन मुझे उनसे (उपराज्यपाल) ऐसी बातें सुनना पसंद नहीं आया.
उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर भी साधा निशाना
लोकसभा सदस्य ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी ने कुछ गलत नहीं किया है. अगर वे कहते हैं कि वे चुनाव लड़ना चाहते हैं या राजनीतिक मुद्दों का समाधान चाहते हैं तो यह कोई पाप नहीं है. जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान जारी रहने के बीच रशीद ने उम्मीद जतायी कि लोग कश्मीर के दुश्मनों के खिलाफ वोट करेंगे जिन्होंने 1947 के बाद से लगातार उन्हें धोखा दिया, उनसे झूठे वादे किए और उनके अधिकारों के लिए जायज संघर्ष को कमजोर किया. रशीद ने कहा कि एक बार चुनाव खत्म होने पर गुरुवार से दक्षिण कश्मीर में उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती दिखायी नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि अगर मैं वापस तिहाड़ जेल नहीं जाता हूं तो मैं यहां लोगों के बीच रहूंगा और उनके लिए लडूंगा. इनपुट भाषा से
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