Ajay Rai Against PM Narendra Modi: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस ने शनिवार को अपने 46 उम्मीदवारों के नामों की चौथी सूची जारी की. इनमें सबसे प्रमुख नाम उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय (Ajay Rai) का है. यूपी की वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के सामने अजय राय को कांग्रेस ने तीसरी बार उम्मीदवार बनाया है. 


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उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस का गठबंधन


उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन बनाकर चुनाव में उतरी कांग्रेस ने 9 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है. हालांकि, यूपी में कांग्रेस के हिस्से की 8 और सीटों पर अभी उम्मीदवारों के नाम सामने नहीं आए हैं. इनमें गांधी परिवार की पारंपरिक सीट अमेठी और रायबरेली भी शामिल है. कांग्रेस की चौथी लिस्ट में शामिल अजय राय का नाम सबसे ज्यादा सुर्खियों में है. सवाल किया जाने लगा है कि आखिर क्या वजह है कि कांग्रेस ने दो बार हारने के बाद भी अजय राय को ही क्यों पीएम मोदी के सामने उतारा? 


हर हर महादेव... अजय राय ने जताया हाईकमान का आभार


वाराणसी से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद अजय राय ने कांग्रेस हाईकमान का आभार जताया. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, ' मैं @INCIndia के शीर्ष नेतृत्व को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मुझ जैसे एक कांग्रेस कार्यकर्ता पर अटूट विश्वास दिखाते हुए एक बार फिर वाराणसी लोकसभा से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित किया है. लड़ेंगे और लड़कर जीतेंगे. हर हर महादेव.'


वाराणसी को अपनी पारंपरिक लोकसभा सीट मानते हैं अजय राय


कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय अपनी पारंपरिक वाराणसी लोकसभा सीट से अपनी उम्मीदवारी को लेकर पहले से ही काफी कॉन्फिडेंट दिख रहे थे. अजय राय ने एक टीवी इंटरव्यू में साफ तौर पर पीएम मोदी को चुनौती दी थी. उन्होंने चुनावी ताल ठोकते हुए कहा था, 'काशी में इस बार पीएम मोदी को जमीन दिखा देंगे'. भारतीय जनता पार्टी के नेता रह चुके अजय राय के इस तेवर, वाराणसी में राजनीतिक प्रभाव और इंडी गठबंधन के सहयोगी सपा के साथ समन्वय को देखते हुए एक बार फिर से कांग्रेस ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है.


वाराणसी में हार की हैट्रिक लगाएंगे अजय राय या बदलेगी सूरत?


इससे पहले अजय राय लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में वाराणसी सीट से भाजपा कैंडिडेट नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस के उम्मीदवार थे. तमाम बड़े दावे के बावजूद दोनों ही बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी. चुनावी नतीजे को देखें तो अजय राय को 2014 में सिर्फ 75,614 वोट मिले थे. पीएम मोदी के सामने वह 5,05,408 लाख वोटों के अंतर से चुनाव हार गए. तब अरविंद केजरीवाल ने संघर्ष को त्रिकोणीय बना दिया था. 


इसके बाद लोकसभा चुनाव 2019 में अजय राय को 152,548 लाख वोट मिले. उनके वोट और मत प्रतिशत दोनों बढ़े, लेकिन पीएम मोदी से मुकाबले में हार का अंतर भी बढ़ गया था. वह 5,22,116 लाख वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे. लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे 4 जून को आएंगे.


एबीवीपी और भाजपा के नेता रहे अजय राय, सपा के बाद कांग्रेस में आए


दबंग छवि के अजय राय पांच बार विधायक रहे हैं. अजय राय साल 1996, 2002 और 2007 में वाराणसी की कोलासला विधानसभा सीट से भाजपा विधायक रहे हैं. 2007 में भाजपा छोड़ने के बाद अजय राय ने 2009 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में कोलासला में उपचुनाव जीता और चौथी बार विधायक बने. इसके बाद 2012 में उन्होंने वाराणसी की पिंडरा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था. इसमें जीतकर वह पांचवीं बार विधायक बने. हालांकि, इसके बाद वह विधानसभा या लोकसभा चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाए.


भाजपा छोड़ने और कांग्रेस में आने के बीच कुछ समय के लिए अजय राय समाजवादी पार्टी में भी रहे थे. इसलिए उन्हें तीनों पार्टियों की राजनीतिक संस्कृति का बेहतर अनुभव है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 और 2022 में वाराणसी की पिंडरा सीट से वह कांग्रेस के उम्मीदवार बने, लेकिन दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 


गाजीपुर जिले के मूल निवासी अजय राय का वाराणसी में हुआ जन्म


गाजीपुर जिले के मूल निवासी और वाराणसी में बसे भूमिहार ब्राह्मण परिवार में अजय राय का जन्म हुआ है. उनकी माता का नाम पार्वती देवी राय और पिता का नाम सुरेंद्र राय है. वाराणसी की ​पिंडरा (कोलासला सीट के विलय के बाद) विधानसभा सीट पर भूमिहार समुदाय निर्णायक भूमिका में है. यहां से वह पांच बार विधायक चुने गए. वाराणसी लोकसभा सीट पर भी भूमिहार वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं. इसलिए अजय राय यहां से मजबूत दावेदारी करते हैं.


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कांग्रेस की पार्टी लाइन से अलग अयोध्या जाकर किया रामलला का दर्शन


पीएम मोदी के खिलाफ पहले और दूसरे लोकसभा चुनाव में अपना वोट दोगुना करने वाले अजय राय ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत आरएसएस की छात्र ईकाई एबीवीपी से की थी. भाजपा के विधायक रहे. वाराणसी से लोकसभा टिकट नहीं मिलने के सवाल लेकर अजय राय ने भाजपा छोड़ा था, लेकिन उनके तार भाजपा के कई बड़े नेताओं से जुड़े बताए जाते हैं. अजय राय कई बार कांग्रेस की पार्टी लाइन से हटकर भी राजनीतिक गतिविधि करते दिखते हैं. हाल ही में उन्होंने अयोध्या में भव्य राम मंदिर जाकर सरयू स्नान और रामलला के दर्शन किए थे. 


अजय राय के खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे भी दर्ज हैं. पूर्वांचल के कुख्यात माफिया डॉन मुख्तार अंसारी और उसके गुर्गों ने साल 1994 में कथित तौर पर लहुराबीर इलाके में अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय की गोली मारकर हत्या कर दी थी. तबसे अजय राय और अंसारी परिवार के बीच अदावत जारी है. 


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