BSP में पद छिनने के बाद आया आकाश आनंद का पहला रिएक्शन, मायावती को लेकर कही ये बात
BSP Politics: आकाश आनंद ने लिखा, `आप बहुजन समाज के लिए एक आदर्श हैं, करोड़ों देशवासी आपको पूजते हैं. आपके संघर्षों की वजह से ही हमारे समाज को वह राजनीतिक ताकत मिली है जिसके बूते बहुजन समाज सम्मान से जीना सीख पाया. आपका आदेश सिर माथे पे. अपने समाज के लिए अंतिम सांस तक लड़ता रहूंगा. जय भीम जय भारत.`
Akash Anand news: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेशनल कोऑर्डिनेटर रहे आकाश आनंद ने पद से हटाए जाने के बाद पहली प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने मायावती की जमकर तारीफ की और कहा कि भीम मिशन के लिए अंतिम सांस तक लड़ते रहेंगे. बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर रहे आकाश आनंद ने गुरुवार को सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक भावुक पोस्ट में लिखा, 'आदरणीय बहन मायावती जी, आप पूरे बहुजन समाज के लिए एक आदर्श हैं, करोड़ों देशवासी आपको पूजते हैं. आपके संघर्षों की वजह से ही आज हमारे समाज को एक ऐसी राजनीतिक ताकत मिली है जिसके बूते बहुजन समाज आज सम्मान से जीना सीख पाया है. आप हमारी सर्वमान्य नेता हैं. आपका आदेश सिर माथे पे. भीम मिशन और अपने समाज के लिए मैं अंतिम सांस तक लड़ता रहूंगा. जय भीम जय भारत.'
बर्खास्तगी के बाद पहला रिएक्शन
आपको बताते चलें कि यूपी के सीतापुर में भड़काऊ भाषण देने के बाद बीएसपी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद को मायावती ने मंगलवार देर रात अहम जिम्मेदारियों से हटा दिया था. इसकी वजह उनका अपरिपक्व होना बताया गया. बता दें कि आकाश आनंद ने सीतापुर में जनसभा के दौरान बीजेपी (BJP) नेताओं की तुलना आतंकवादियों से की थी. साथ ही, उन्हें जूतों से मारने की बात कही थी.
बसपा सुप्रीमो ने मंगलवार को एक्स पर बयान जारी कर उनको नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद और अपने उत्तराधिकारी की जिम्मेदारी से हटाने का ऐलान किया था. हालांकि उन्होंने आकाश आनंद के पिता और अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी व मूवमेंट के हित में पहले की तरह अपनी जिम्मेदारी निभाते रहने की बात भी कही थी.
क्यों मिसफिट हुए आकाश?
यूपी की सियासत को समझने वालों का मानना है कि आकाश आनंद की जब बीएसपी में एंट्री हुई तो वह एक सौम्य व्यक्तित्व के धनी थे. आकाश को लेकर माना जा रहा था कि वो ऐसे युवा हैं जो विदेश से पढ़कर आए हैं. वो बदलते वक्त के साथ पार्टी को पार्टी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएंगे. शुरुआत में वो जनसभाओं और इंटरव्यू दोनों जगह बड़ी सौम्यता से अपनी बात रखते थे लेकिन लोकसभा चुनावों के बीच जब वह भीड़ के सामने गए तो अपना आपा खोने लगे. शायद यही बात पार्टी सुप्रीमो को रास नहीं आई और इसी वजह से मायावती ने उन्हें नेशनल कॉर्डिनेटर बनाने के फैसले को वापस ले लिया.
(इनपुट: IANS)