Delhi Lok Sabha Chunav: लोकसभा चुनाव चल रहा है लेकिन दिल्ली कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है. राजधानी में वोटिंग से ठीक पहले दिल्ली प्रेसिडेंट अरविंदर सिंह लवली ने इस्तीफा दे दिया. वह आम आदमी पार्टी से कांग्रेस के गठबंधन के खिलाफ थे. उन्होंने अपने इस्तीफे में यह भी लिखा है कि वह लाचार महसूस कर रहे थे क्योंकि दिल्ली इकाई के वरिष्ठ नेताओं के सभी फैसलों पर AICC के दिल्ली प्रभारी दीपक बाबरिया रोक लगा रहे थे. अब कांग्रेस नेताओं का एक गुट बाबरिया को हटाने की मांग करने लगा है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या दिल्ली में कांग्रेस के असरदार सरदार का इस्तीफा पार्टी का बड़ा नुकसान करा सकता है? दूसरा सवाल आम आदमी पार्टी की परेशानी बढ़ सकता है. अगर लवली के साथ सिखों का वोट खिसका तो नुकसान AAP का भी होगा. 


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दरअसल, दिल्ली की कई लोकसभा सीटों पर अच्छी खासी सिख आबादी रहती है. गठबंधन में एक पार्टी का वोट दूसरे को मिल सके, इसके लिए सकारात्मक माहौल की बहुत जरूरत रहती है. अब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच मतभेद समझ में आने लगा है. लवली ने दूसरी बार दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ा है. 


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लवली की भूमिका इसलिए भी अहम है क्योंकि उन्होंने सिख बहुल तिलक नगर में सिख-विरोधी दंगों के प्रभाव से पार्टी को निकालने में काफी प्रयास किए थे. कांग्रेस उन्हें 'दिल्ली का सरदार' के रूप में आगे बढ़ा रही है. अब उनके इस्तीफे के बाद दिल्ली कांग्रेस के नेताओं को लग रहा है कि सिख बहुल विधानसभा क्षेत्रों में आप-कांग्रेस का गठबंधन प्रभावित हो सकता है. 


पार्टी के नेताओं का कहना है कि लवली ने जिस तरह के आरोप लगाए हैं, उसे सुनकर सिख समुदाय खुश नहीं होगा. तिलक नगर ही नहीं, हरी नगर, राजौरी गार्डन, लक्ष्मीनगर, सिविल लाइंस और जंगपुरा में अलायंस पर नकारात्मक असर हो सकता है. ऐसे क्षेत्र वेस्ट दिल्ली, नॉर्थ ईस्ट दिल्ली और चांदनी चौक लोकसभा सीटों में आते हैं. बताते हैं कि कांग्रेस से दूर गए काफी सिखों को लवली वापस 'हाथ' के साथ जोड़ने में सफल रहे हैं. 


अंदरखाने बताया जा रहा है कि कि लवली दिल्ली नॉर्थ ईस्ट से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन कन्हैया कुमार को कांग्रेस का टिकट मिल गया. इससे वह काफी नाराज थे. बताया जा रहा है कि लवली, संदीप दीक्षित और राजकुमार चौहान (पिछले हफ्ते पार्टी छोड़ दी) को विश्वास में लिया गया था कि उन्हें लोकसभा चुनाव में उतारा जाएगा लेकिन दीपक बाबरिया के सुझाव पर आखिरी समय में इग्नोर कर दिया गया.  


कांग्रेस को लवली के रूप में झटका लगा है तो दूसरी तरफ दिल्ली के करीब एक हजार सिख समुदाय के लोग भाजपा में शामिल हुए हैं. अगर लवली भी पाला बदलते हैं तो पार्टी के लिए मुसीबतें बढ़ सकती हैं. 


कौन हैं अरविंदर सिंह लवली?


लवली 1998 में दिल्ली के सबसे कम उम्र के विधायक बने थे. पांच साल बाद 30 साल की उम्र में, शीला दीक्षित सरकार में सबसे कम उम्र के मंत्री बने. वह तत्कालीन मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र माने जाते थे. उन्हें शिक्षा, परिवहन और शहरी विकास जैसे प्रमुख विभाग मिले. उनके कार्यकाल में ब्लू लाइन बसों को हरे, लाल और नारंगी रंग की लो-फ्लोर बसों से बदल दिया गया.


जब दिल्ली के निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए 25% आरक्षण लागू किया गया तब लवली ही शिक्षा मंत्री थे. 2012-13 में जब पहली बार अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की मंजूरी दी गई थी, तब वह शहरी विकास मंत्री थे.