Begusarai Lok Sabha Chunav Result 2024: बिहार के बेगूसराय लोकसभा सीट पर दो मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के दौरे के बाद चुनावी पारा के हाई होने का अनुमान है. क्योंकि बेगूसराय में लगातार दो बार से जीत रही भाजपा की हैट्रिक लगाने के लिए दूसरा चेहरा ही मैदान में उतरेगा या कोई तीसरा चेहरा फाइनल होगा के सवाल से लगभग पर्दा हट जाएगा. 


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पीएम मोदी के दौरे को लेकर बेगूसराय से भाजपा सांसद और केंदीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) और राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा (Dr. Rakesh Sinha) समेत तमाम संभावित उम्मीदवार अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. आइए, बेगूसराय लोकसभा सीट के चुनावी इतिहास से लेकर मौजूदा सियासी समीकरण के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं. 


देश में पहले लोकसभा चुनाव 1952 से ही अहम सीट है बेगूसराय 


साल 1972 में जिला बनने से दो दशक पहले यानी देश में आजादी के बाद हुए पहले आम चुनाव 1952 से ही बेगूसराय लोकसभा सीट काफी अहम माना जाता रहा है. साल 1976 में परिसीमन के बाद बेगूसराय दो लोकसभा सीटों में बंट गया था. बेगूसराय जिले के दो और मुंगेर जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बेगूसराय लोकसभा सीट और बेगूसरा/ जिले के पांच और खगड़िया जिले के अलौली को मिलाकर बलिया लोकसभा क्षेत्र बना था. 


सात विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बना बेगूसराय लोकसभा


साल 2009 में परिसीमन में बलिया को विलोपित कर दिया गया. नए परिसीमन के बाद से बेगूसराय में एक ही लोकसभा सीट है. इस लोकसभा सीट में आने वाले सभी सातों विधानसभा क्षेत्रों चेरिया बरियारपुर, बछवाड़ा, तेघड़ा, मटिहानी, साहेबपुर कमाल, बेगूसराय और बखरी का प्रशासनिक और भौगोलिक मुख्यालय बेगूसराय ही है. राजनीति में वामपंथी आंदोलन का केंद्र रहे बेगूसराय को कभी बिहार का लेनिनग्राद भी कहा जाता था, लेकिन साल 1952 से 2019 तक हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा बार जीत हासिल की. हालांकि, लेफ्ट पार्टी हमेशा चुनौती के रूप में बरकरार रही है.


बेगूसराय जिले के बलिया लोकसभा क्षेत्र की पूरी सियासी कहानी


बेगूसराय जिले के बलिया लोकसभा क्षेत्र में 1977 में हुए पहले चुनाव में जनता पार्टी के रामजीवन सिंह जीते. इसके बाद 1984 के चुनाव को छोड़ 1996 तक बलिया सीपीआई का गढ़ बना रहा. 1984 में कांग्रेस की चंद्रभानु देवी ने सीपीआई के सूर्यनारायण सिंह को हराया. 1996 में बेगूसराय में सीपीआई उम्मीदवार रमेंद्र कुमार और बलिया में शत्रुघ्न प्रसाद सिंह को जीत मिली थी, लेकिन भाजपा के रामलखन सिंह पहली बार दूसरे स्थान तक पहुंचे थे. साल 1996 के बाद सीपीआई को कोई मौका नहीं मिला.  हालांकि, बेगूसराय में लाल झंडे ने एक-दो विधानसभा क्षेत्रों में अपनी छिटपुट मौजदूगी बनाई रखी. 


बेगूसराय में कांग्रेस और कम्यूनिस्टों का दबदबा खत्म


बेगूसराय लोकसभा सीट की बात करें तो देश की आजादी के बाद 1952 से लगातार तीन चुनावों में कांग्रेस के मथुरा प्रसाद मिश्र जीतते रहे. 1967 में सीपीआई के दिग्गज नेता योगेंद्र शर्मा ने उन्हें हराया था. बेगूसराय लोकसभा सीट पर साल 1996 के बाद कम्यूनिस्टों की जमीन खिसक गई. वहीं, 1999 के बाद कांग्रेस को भी कभी मौका नहीं मिला. बेगूसराय में लोकसभा चुनाव 2004 में जदयू (एनडीए) के उम्मीदवार राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और बलिया में लोजपा के सूरजभान सिंह जीते. इसके बाद 2009 में बेगूसराय में पहली बार एनडीए के अल्पसंख्यक प्रत्याशी मोनाजिर हसन ने सीपीआई को हराया था.


Begusarai Lok Sabha constituency



भोला सिंह ने बेगूसराय में भाजपा को दिलाई पहली जीत


दिवंगत भोला सिंह ने लोकसभा चुनाव 2014 में बेगूसराय में भाजपा को पहली जीत दिलाई. उसके बाद लोकसभा चुनाव 2019 में गिरिराज सिंह ने भी रिकॉर्ड वोटों से भगवा परचम लहराया. गिरिराज सिंह केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री हैं. गिरिराज सिंह से पहले बेगूसराय के सांसद श्यामनंदन मिश्र 1979 में चौधरी चरण सिंह की सरकार में विदेश मंत्री थे. वहीं, राजीव गांधी की सरकार में कृष्णा शाही शिक्षा राज्य मंत्री और उद्योग राज्य मंत्री रहीं. जबकि, ललित विजय सिंह चंद्रशेखर सरकार में रक्षा राज्य मंत्री बने थे.


बेगूसराय से लोकसभा सांसदों की सूची


 
क्रम सं चुनाव का साल सांसद राजनीतिक दल
1 1952 मथुरा प्रसाद मिश्रा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2 1957 मथुरा प्रसाद मिश्रा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
3 1962 मथुरा प्रसाद मिश्रा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
4 1967 योगेंद्र शर्मा भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी
5 1971 श्याम नंदन मिश्रा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
6 1977 श्याम नंदन मिश्रा जनता पार्टी
7 1980 कृष्णा साही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (I)
8 1984 कृष्णा साही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
9 1989 ललित विजय सिंह जनता दल
10 1991 कृष्णा साही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
11 1996 रामेंद्र कुमार निर्दलीय
12 1998 राजो सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
13 1999 राजवंशी महतो राष्ट्रीय जनता दल
14 2004 राजीव रंजन सिंह जनता दल (यूनाइटेड)
15 2009 डॉ। मोनाज़िर हसन जनता दल (यूनाइटेड)
16 2014 डॉ। भोला सिंह भारतीय जनता पार्टी
17 2019 गिरिराज सिंह भारतीय जनता पार्टी

लोकसभा चुनाव 2024 में कैसा होगा सियासी समीकरण?


लोकसभा चुनाव 2019 में जनता दल यूनाइटेड के वापस साथ आने से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार गिरिराज सिंह को फायदा मिला. सिंह ने लेफ्ट फ्रंट के संयुक्त उम्मीदवार कन्हैया कुमार को रिकॉर्ड अंतर से मात दी. कांग्रेस और राजद गठबंधन के उम्मीदवार तनवीर हसन तीसरे नंबर पर रहे. हालांकि, कन्हैया कुमार अब कांग्रेस में हैं. इस बार इंडिया गठबंधन में राजद, कांग्रेस और लेफ्ट के सभी धड़े साथ हैं. पार्टी इस बार भी भाजपा का मुकाबला इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार से ही होना तय है. एनडीए और इंडिया गठबंधन ने अपने उम्मीदवारों का एलान नहीं किया है.


बेगूसराय में सबसे ज्यादा युवा मतदाता, एज ग्रुप्स का क्या है हाल


आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा समय में बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 2178221 है. इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1145185 और महिला वोटर की संख्या 1032975 है. बेगूसराय में सबसे ज्यादा युवा मतदाता हैं. एज ग्रुप के हिसाब से देखें तो 18 से 29 वर्ष के मतदाता 14.95 फीसदी, 30 से 39 वर्ष के मतदाता 15.65 फीसदी, 40 से 49 वर्ष के मतदाता 12.68 फीसदी, 50 से 59 वर्ष के मतदाता 8.54 फीसदी, 60 से 69 वर्ष के मतदाता 5.31 फीसदी, 70 से 79 वर्ष के मतदाता 2.82 फीसदी और 80 साल ऊपर के मतदाताओं की हिस्सेदारी महज 1.05 फीसदी है.


बेगूसराय में सबसे ज्यादा भूमिहार, बाकी जातियों का समीकरण 


बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण बहुत स्पष्ट है. बेगूसराय में सबसे ज्यादा यानी पांच लाख के पार भूमिहार वोटर हैं. उसके आधे से भी कम यानी करीब ढाई लाख मुस्लिम मतदाता हैं. दो लाख से थोड़े ज्यादा कुर्मी-कुशवाहा और करीब डेढ़ लाख यादव वोटर हैं. बेगूसराय लोकसभा में ब्राह्मण, राजपूत, कायस्थ और दलित वोटरों की संख्या भी है. हालांकि, जातीय आधार पर ध्रुवीकरण होने की स्थिति में समीकरण का ध्यान रखा जाता है. नहीं तो बेगूसराय में जातियों के बीच वोटों के स्पष्ट बंटवारे की नौबत बेहद कम मौकों पर सामने आई है. 


बेगूसराय लोकसभा के चुनावी इतिहास की कुछ दिलचस्प कहानियां


बेगूसराय में साल 1971 के मध्यावधि चुनाव में नेशनल लेवल के दो दिग्गज नेता आमने-सामने थे. सीपीआई के के योगेंद्र शर्मा और राज्य सभा में विपक्ष के नेता रह चुके कांग्रेस के श्याम नंदन मिश्र में टक्कर थी. पूरे देश में इंदिरा गांधी की लहर थी, लेकिन बेगूसराय में सत्तारुढ़ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार रामनारायण चौधरी की जमानत जब्त हो गई थी. नेशनल कांग्रेस ऑर्गेनाइजेशन के श्यामनंदन मिश्र ही चुनाव जीते थे. सीपीआई दूसरे नंबर रही थी.


बेगूसराय में ऐसा ही एक दिलचस्प चुनावी नतीजा 1991 के चुनाव में आया. तब जनता दल की लहर में बिहार से कांग्रेस का सफाया हो गया था, लेकिन उस मुश्किल दौर में सिर्फ बेगूसराय लोकसभा सीट पर ही कांग्रेस को खुशखबरी मिली थी. उनकी उम्मीदवार कृष्णा शाही ने बेगूसराय में जीत हासिल की थी.