Maharashtra Lok Sabha Chunav results 2024 Analysis: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों (Lok Sabha Chunav results 2024) ने बीते 10 सालों से देशभर में लगातार मुरझा रही कांग्रेस (Congress) में नई जान फूंक दी है. सियासत संभावनाओं का दिलचस्प खेल है. महाराष्ट्र में कांग्रेस यूं ही बीजेपी (BJP), शिवसेना (Shiv Sena) और एनसीपी (NCP) को पछाड़कर नंबर 1 नहीं बन गई. महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी (MVA) के बीच मचे घमासान के बीच कांग्रेसी पति-पत्नी की एक जोड़ी ने कमाल करते हुए न सिर्फ महाविकास अघाड़ी गठबंधन से टिकट हासिल किया बल्कि महायुति के चक्रव्यूह को भेदते हुए आरएसएस मुख्यालय की नाक के नीचे से रामटेक सीट छीन ली. 


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जीत की कहानी


इस जोड़ी की फुर्ती देखने लायक थी. इस दंपत्ति ने रामटेक की सीट बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी की महायुति से इतनी तेजी से झटक ली कि किसी को कानोकान भनक तक नहीं लगी. महाविकास अघाड़ी के समर्थकों को भी श्यामकुमार बर्वे की जीत की कहानी कुछ ऐसी लगी मानो पलक झपकते ही आंख से काजल चुरा लिया हो.
 




सियासी दांवपेंच की ये कहानी फिल्मी है...


आपको बताते चलें कि कांग्रेस ने अपना चुनावी अभियान ‘हैं तैयार हम’ का आगाज नागपुर से ही किया था. तब पार्टी ने नागपुर के आस-पास की सभी सीटें जीतने का दावा किया था. संघ के मुख्यालय के नजदीक नागपुर जिले की रामटेक सीट की सियासी जीत की इस कहानी में कई ट्विस्ट देखने को मिले. रामटेक सीट पर रश्मि बर्वे के नाम कांग्रेस की तरफ से घोषित किए गए सात नामों में शामिल था. रामटेक सुरक्षित सीट थी. अचानक उनकी जाति को लेकर सवाल उठे तो चुनाव आयोग ने उनका नामांकन रद्द कर दिया. रश्मि एस. बरवे को टक्कर देने के लिए सत्तारूढ़ शिवसेना के उम्मीदवार राजू पर्वे उनके सामने मैदान में थे.   



श्यामकुमार बर्वे, रश्मि बर्वे और राजू पर्वे (फोटो-फेसबुक)


सही समय पर भांपी विरोधियों की मंशा वरना....


रश्मि को विरोधियों की चाल का अंदाजा यानी अपने नामांकन पर सवालिया निशान लगने का अंदाजा था इसलिए उन्होंने उसका भी तोड़ ढूंढ रखा था. दरअसल रश्मि के जाति प्रमाण पत्र को लेकर सुनील साल्वे नाम के व्यक्ति ने चुनाव आयोग को शिकायत दी थी और लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए यहां नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 27 मार्च थी. जाति प्रमाण पत्र पर सवाल खड़े होने के बाद कांग्रेस के लिए समस्या खड़ी हो गई तो रश्मि से फौरन समय रहते ही अपने पति को पर्चा दाखिल करा दिया.



आखिर में इस सीट पर जोरदार मुकाबला हुआ. यहां उनका मुकाबला राजू पर्वे से हुआ जिन्होंने रामटेक से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस से इस्तीफा देकर शिवसेना (शिंदे) में एंट्री की और अपनी विधायकी छोड़ दी. प्रचार तेज हुआ तो आरोप-प्रत्यारोप के दौर चले. वोटिंग के दिन तक रश्मि बरवे ने अपने पति के लिए जमकर मेहनत की. चार जून को नतीजे आए तो रश्मि की मेहनत रंग लाई. 


रश्मि के पति श्याम को 613025 वोट मिले और उन्होंने शिवसेना कैंडिडेट राजू पर्वे जिन्हें 536257 वोट मिले थे उन्हें 76768 वोटों से हरा दिया.


इस तरह श्यामकुमार बर्वे (Shyamkumar Daulat Barve) की जीत सुनिश्चित करने में रश्मि बर्वे ने कोई कसर नहीं छोड़ी. भीषण और चिलचिलाती गर्मी की परवाह न करते हुए अपने पति की विजय सुनिश्चित करने के लिए जमकर धूप में पसीना बहाया. 



कौन बने किंगमेकर?


श्यामकुमार बर्वे की जीत सुनिश्चित करने में किसी एक इंसान का सबसे बड़ा हाथ है, तो वो हैं सुनील केदार (Sunil Kedar), उन्होंने खुद अपनी जिम्मेदारी पर उन्हें टिकट दिलाया, पूरे कैंपेन में उनके साथ खड़े रहे और जीत की गारंटी ली. इसके अलावा रश्मि बर्वे को जिला परिषद की अध्यक्ष बनाने में भी उनकी ही भूमिका थी. सुनील केदार सावनेर विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर कई बार एमएलए रह चुके हैं. उद्धव ठाकरे की सरकार में वो महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री भी बने थे.