Faridabad Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनावों के लिहाज से फरीदाबाद जिला, कभी गुरुग्राम संसदीय क्षेत्र में आता था. फरीदाबाद सीट 1977 में इलेक्शन कमीशन (EC) की लिखत-पढ़त में आई. मौजूदा सांसद, कृष्ण पाल गुर्जर हैं बीजेपी के टिकट पर दो बार से लगातार जीत रहे हैं. बीजेपी ने हैट्रिक लगाने की आस में कृष्णपाल गुर्जर का टिकट एक बार फिर रिपीट किया है. कांग्रेस भी एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. 1977 से 2019 तक हुए लोकसभा चुनावों में पहली बार जनता पार्टी को जीत मिली. कांग्रेस को छह बार जीत मिली. पांच बार बीजेपी ने किला फतह किया. आइए जानते हैं फरीदाबाद लोकसभा सीट का राजनीतिक समीकरण और इतिहास. कांग्रेस-इनेलो-जजपा ने यहां पत्ते नहीं खोले हैं. 


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फरीदाबाद लोकसभा चुनाव 2024 रिजल्ट


हरियाणा की सभी 10 सीटों पर 25 मई को लोकसभा चुनाव हुआ था. यहां बीजेपी से केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर व 5 बार विधायक रहे कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप सिंह के बीच टक्कर मानी जा रही है. 


2019 के चुनाव में हरियाणा की सभी 10 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी. BJP को 58.2 % वोट मिले थे. कांग्रेस का खाता नहीं खुला था. फिर भी उसे 28.5% वोट मिले थे.


फरीदाबाद जिले की जानकारी


15 अगस्त 1979 में फरीदाबाद, हरियाणा का 12वां जिला बना. दिल्ली से नजदीकी और NCR का हिस्सा होने की वजह से फरीदाबाद 'हॉट सीट' मानी जाती है. इसके दायरे में 9 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. फरीदाबाद अपने उद्योग-धंधों के लिए मशहूर है. हरियाणा की कमाई यानी रिवेन्यू की एक बड़ा हिस्सा फरीदाबाद से आता है. फरीदाबाद की अहमियत इस बात से समझी जा सकती है कि यहां मिनी सचिवालय बना है. बड़खल झील बड़ी खूबसूरत और मशहूर है. 


फरीदाबाद लोकसभा सीट का सियासी गुणा-गणित


फरीदाबाद लोकसभा में कुल मतदाताओं की संख्या करीब 20 लाख है. इनमें से 10,62,155 लाख पुरुष और 8,64,15 महिला मतदाता हैं. 2019 में यहां 70 फीसदी वोटिंग हुई थी. सामुदायिक समीकरण के हिसाब से देखें, तो यहां गुर्जर समाज का दबदबा रहा है. इसे परंपरागत रूप से गुर्जर सीट माना जाता है. लेकिन यहां 10 साल तक लगातार मुस्लिम कैंडिडेट की भी जीत हुई थी.



1991, 2004 और 2009 में गुर्जर समुदाय से आने वाले अवतार सिंह भड़ाना (कांग्रेस) ने चुनाव जीता. मोदी लहर यानी 2014 और 2019 में कृष्ण पाल गुर्जर (BJP) जीते. बीजेपी ने 30 साल पहले सियासी प्रयोग करते हुए जाट कैंडिडेट खड़ा किया. आईडिया हिट रहा. 1996, 1998 और 1999 में जाट नेता रामचंद्र बैंदा ने कांग्रेस के दिग्गज गुर्जर नेता अवतार भड़ाना को अखाड़े में चित कर दिया.


चाय की टपरी हो या चौपालों में होने वाली चर्चा. फरीदाबाद की सियासी नब्ज पर नजर रखने वालों का कहना है कि कांग्रेस को बढ़त बनानी है तो गुर्जर चेहरे पर दाव खेलना चाहिए. हालांकि जाट समाज से भी इस सीट के दावेदार कम नहीं हैं.



किसे मिलेगी दावेदारी?


बीजेपी की हरियाणा यूनिट, प्रदेश प्रभारी और आलाकमान के साथ लंबी चर्चा कर चुकी थी. इसलिए बीजेपी के कैंडिडेट का ऐलान पहले हो गया. वहीं कांग्रेस सूत्रों यानी अंदरखाने से निकलकर आ रही खबरों के मुताबिक कांग्रेस इस बार भी गुर्जर कार्ड खेल सकती है. कुल 11 आवेदन आए थे. जिनमें यशपाल नागर (गुर्जर), पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप (गुर्जर) या उनके बेटे विजय प्रताप भी रेस में हैं. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी करण सिंह दलाल का नाम भी यहा से चर्चा में है. हालांकि किसे टिकट मिलेगा ये अभी तक साफ नहीं है.


सियासत का एक लचीला नियम ये भी


सियासत में किसी से कोई स्थायी दोस्ती या दुश्मनी नहीं होती है. राजनीति का मैदान वो अखाड़ा है, जहां एक ही परिवार के दो सदस्य आमने-सामने आ जाते हैं. हरियाणा में भी वोटिंग से पहले पाला बदलने का सिलसिला चल रहा है. ऐसे में फरीदाबाद लोकसभा सीट में भी ऐसी किसी अप्रत्याशित संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.


साल विजेता पार्टी
1977 धर्मवीर वशिष्ठ जनता पार्टी
1980 तैयब हुसैन कांग्रेस
1984 रहीम खान कांग्रेस
1988 खुर्शीद अहमद लोकदल
1989 भजनलाल कांग्रेस
1991 अवतार सिंह भड़ाना कांग्रेस
1996 रामचंद्र बैंदा बीजेपी
1998 रामचंद्र बैंदा बीजेपी
1999 रामचंद्र बैंदा बीजेपी
2004 अवतार सिंह भड़ाना कांग्रेस
2009 अवतार सिंह भड़ाना कांग्रेस
2014 कृष्णपाल गुर्जर बीजेपी
2019 कृष्णपाल गुर्जर बीजेपी