Firozabad Lok Sabha Election 2024: यूपी के फिरोजाबाद की पहचान कांच उद्योग की वजह से है. कांच की चूड़ियों के निर्माण में यह शहर विश्व प्रसिद्ध है. यूपी की यह उन गिनी- चुनी लोकसभा सीटों में से एक है, जहां की जनता किसी एक पार्टी से ज्यादा यारी नहीं रखती और समय- समय पर पार्टी और सांसद दोनों बदलती रही है. यहां जहां बीजेपी, कांग्रेस, सपा, जैसी पार्टियां ने अपनी विजय पताका फहराई है तो निर्दलीय, सोशलिस्ट पार्टी और जनता दल के उम्मीदवार भी विजयी रही है. इस सीट पर मुस्लिम, यादव का कॉम्बिनेशन का बेहद मजबूत है, जिसके चलते यह यूपी में सपा के मजबूत गढ़ों में से एक है. 


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फिरोजाबाद लोकसभा चुनाव रिजल्ट 2024


यूपी के फिरोजाबाद की पहचान कांच उद्योग की वजह से है. इस सीट पर सबसे पहला चुनाव 1957 में हुआ था.  मुस्लिम, यादव के जिताऊ समीकरण के भरोसे मुलायम सिंह यादव परिवार के लोग फिरोजाबाद सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं. 


किसी पार्टी से नहीं लगाया परमानेंट दिल


फिरोजाबाद सीट पर सबसे पहला चुनाव 1957 में हुआ था. उस इलेक्शन में निर्दलीय उम्मीदवार बृजराज सिंह ने जीत हासिल की थी और फिरोजाबाद के पहले सांसद बने थे. फिरोजाबाद के लोग स्वतंत्र ख्यालातों के रहे हैं और किसी एक पार्टी के साथ परमानेंट रिश्ता बनाना कभी गवारा नहीं किया. यही वजह है कि हर 5 साल में यहां के लोग पार्टी और चेहरा दोनों बदलते रहे हैं. हालांकि वर्ष 1991 के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार प्रभु दयाल कठेरिया ने इस परंपरा को तोड़ा और फिर इस सीट पर लगातार जीत की हैट्रिक लगाई. उसके बाद से फिरोजाबाद सीट पुरानी परंपरा पर लौट आई है. 


फिरोजाबाद सीट का जातीय समीकरण


आंकड़ों के मुताबिक फिरोजाबाद सीट पर करीब 18 लाख वोटर हैं. इनमें मुस्लिमों की तादाद करीब 3.5 लाख बताई जाती है. इसके बाद यादव और जाट वोटर्स की बारी आती है. इनकी संख्या करीब 3-3 लाख बताई जाती है. राजपूत, ब्राह्माण, दलित, वैश्य समेत बाकी जातियां भी यहां पर ठीक-ठाक संख्या में हैं. हालांकि यादव, मुस्लिम समीकरण इस सीट को सपा का गढ़ बनाने में मदद करता है. 


मुस्लिम, यादव समीकरण से सपा को फायदा


मुस्लिम, यादव को इसी जिताऊ समीकरण के भरोसे मुलायम सिंह यादव परिवार के लोग फिरोजाबाद सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं. सपा का मुखिया और यूपी का सीएम बनने से पहले अखिलेश यादव ने 2009 में फिरोजाबाद सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और जीत हासिल करने के बाद सांसद बने थे. हालांकि 2012 में असेंबली चुनाव में बड़ी जीत और सीएम बनने के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद कांग्रेस नेता राजबब्बर वहां से इलेक्शन जीत गए. वर्ष 2014 में रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को सपा ने इस सीट से उतारा, जिसमें अपने खास वोट बैंक की मदद से पार्टी जीत हासिल करने में कामयाब रही थी. 


मोदी रथ दौड़ेगा या परिवारवाद चलेगा?


फिरोजाबाद सीट पर मौजूदा वक्त में बीजेपी के डॉ चंद्रसेन सांसद हैं. उन्होंने यह जीत 2019 के चुनाव में भारी वोट लेकर हासिल की थी. इस बार चुनाव में सपा ने यहां से फिर रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को उम्मीदवार बनाया है. जबकि बीजेपी और बीएसपी ने अभी उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. ऐसे में देखना होगा कि क्या मोदी रथ इस बार भी दौड़ेगा या मुलायम परिवार की विरासत आगे भी जारी रहेगी. 


सपा का पलड़ा दिखता है भारी


फिरोजाबाद लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 असेंबली सीटें आती हैं. उनके नाम सिरसागंज, टुंडला, शिकोहाबाद, फिरोजाबाद और जसराना हैं. इनमें से 2 पर बीजेपी और 3 पर सपा काबिज है. इस लिहाज से इस लोकसभा सीट पर सपा का पलड़ा भारी नजर आता है. 


फिरोजाबाद लोकसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास


वर्ष विजेता पार्टी
2019 चंद्रसेन जादौन बीजेपी
2014 अक्षय यादव सपा
2009 राजबब्बर कांग्रेस
2004 रामजीलाल सुमन सपा
1999 रामजीलाल सुमन सपा

फिरोजाबाद लोकसभा चुनाव 2024


पार्टी उम्मीदवार मिले वोट विजेता
बीजेपी      
सपा अक्षय यादव    
बसपा      
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