यूपी के फिरोजाबाद की पहचान कांच उद्योग की वजह से है. कांच की चूड़ियों के निर्माण में यह शहर विश्व प्रसिद्ध है. फिरोजाबाद सीट पर सबसे पहला चुनाव 1957 में हुआ था.आंकड़ों के मुताबिक फिरोजाबाद सीट पर करीब 18 लाख वोटर हैं. इनमें मुस्लिमों की तादाद करीब 3.5 लाख बताई जाती है. इसके बाद यादव और जाट वोटर्स की बारी आती है. इनकी संख्या करीब 3-3 लाख बताई जाती है. राजपूत, ब्राह्माण, दलित, वैश्य समेत बाकी जातियां भी यहां पर ठीक-ठाक संख्या में हैं. हालांकि यादव, मुस्लिम समीकरण इस सीट को सपा का गढ़ बनाने में मदद करता है. फिरोजाबाद लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 असेंबली सीटें आती हैं. उनके नाम सिरसागंज, टुंडला, शिकोहाबाद, फिरोजाबाद और जसराना हैं. इनमें से 2 पर बीजेपी और 3 पर सपा काबिज है.मुस्लिम, यादव को इसी जिताऊ समीकरण के भरोसे मुलायम सिंह यादव परिवार के लोग फिरोजाबाद सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं. सपा का मुखिया और यूपी का सीएम बनने से पहले अखिलेश यादव ने 2009 में फिरोजाबाद सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और जीत हासिल करने के बाद सांसद बने थे. हालांकि 2012 में असेंबली चुनाव में बड़ी जीत और सीएम बनने के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद कांग्रेस नेता राजबब्बर वहां से इलेक्शन जीत गए. वर्ष 2014 में रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को सपा ने इस सीट से उतारा, जिसमें अपने खास वोट बैंक की मदद से पार्टी जीत हासिल करने में कामयाब रही थी.
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