Ghosi Lok Sabha Election 2024: कम्युनिस्टों के गढ़ घोसी सपा ने रचा इतिहास, राजभर ने खायी मात
Ghosi Lok Sabha Chunav 2024 News: पूर्वांचल की घोसी लोकसभा सीट पर कभी कम्युनिस्ट ही जीतते थे लेकिन अब उन्हें 15-20 हजार वोट ही मिल पाते हैं. बसपा और सपा ही जीतती रही है. एक बार भाजपा को भी मौका मिला है. इस बार दारा सिंह चौहान समीकरण साधने और सुभासपा को सीट देकर एनडीए की उम्मीदें बढ़ गई हैं. सपा ने राजीव राय को उतारा है.
Ghosi Lok Sabha Election 2024: यूपी के मऊ जिले की घोसी लोकसभा पूर्वांचल की एक प्रमुख सीट है. इस बार भाजपा ने यह सीट एनडीए में शामिल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को दी है. यूपी सरकार में मंत्री और सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने यहां से अपने बेटे डॉ. अरविंद राजभर (Ghosi Lok Sabha Arvind Rajbhar) को टिकट दिया है. अरविंद राजभर योगी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रहे हैं. कभी घोसी को कम्युनिस्टों का गढ़ कहा जाता था. एक के बाद एक कई उम्मीदवार जीतते रहे. बाद में यहां से बसपा ने कई बार जीत हासिल की. पिछले चुनाव में भी बसपा के अतुल राय ही जीते थे. सपा ने राजीव राय (Rajeev Rai Ghosi) को घोसी से टिकट दिया है.
1 जून को यहां मतदान हुआ. दोपहर 3 बजे तक 44.82 प्रतिशत लोग वोटिंग कर चुके थे. नतीजे 4 जून को आएंगे.
घोसी लोकसभा सीट का जातिगत समीकरण देखें तो 13 बार भूमिहार, 2 बार चौहान, 2 बार राजभर और एक बार क्षत्रिय सांसद हुए हैं. मौजूदा सांसद अतुल कुमार सिंह (अतुल राय) भी भूमिहार हैं. वह पांच साल जनता के बीच एक दिन भी नहीं जा पाए. संसद सत्र में भी महज तीन दिन पहुंचे थे. दरअसल, 2019 के चुनाव नतीजे आने के ठीक बाद से ही अतुल राय जेल में बंद हैं.
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घोसी लोकसभा सीट पर 20 लाख मतदाता हैं. इसमें 9 लाख से ज्यादा महिलाएं हैं. घोसी में दलित, मुस्लिमों के अलावा भूमिहार, राजपूत, चौहान, राजभर, यादव, कुर्मी, मल्लाह, ब्राह्मण और प्रजापति वोटर प्रमुख हैं.
- सबसे ज्यादा 4 लाख से ज्यादा दलित वोटर हैं.
- मुस्लिम वोटर 3 लाख से ज्यादा हैं.
- चौहान वोटर 2 लाख के करीब, राजभर पौने दो लाख, यादव और भूमिहार डेढ़ लाख से ज्यादा हैं.
2014 में भाजपा के हरीनारायण राजभर जीते थे. उससे पहले 2009 में बसपा के टिकट पर दारा सिंह चौहान सांसद बने थे. फिलहाल वह विधान परिषद सदस्य और यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं.
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एनडीए के लिए घोसी लोकसभा सीट पर जीत हासिल करना आसान नहीं होगा. वैसे भाजपा ने समीकरण पूरा बिठाने की कोशिश की है. नोनिया जाति (पिछड़ा वर्ग) से आने वाले दारा सिंह की मऊ और आजमगढ़ जिले में अपने समाज के लोगों में अच्छी पकड़ है. योगी सरकार के पहले कार्यकाल में वह मंत्री थे लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले सपा में चले गए. फिर से भाजपा में लौटे हैं.
घोसी लोकसभा सीट में मऊ जिले की चार विधानसभाएं और बलिया की एक रसड़ा विधानसभा शामिल है.
1957 | उमराव सिंह | कांग्रेस |
1962 | जय बहादुर सिंह | भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी |
1967 | जय बहादुर सिंह | भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी |
1968 | झारखंडे राय | भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी |
1971 | झारखंडे राय | भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी |
1977 | शिव राम राय | जनता पार्टी |
1980 | झारखंडे राय | भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी |
1984 | राजकुमार राय | कांग्रेस |
1989 | कल्पनाथ राय | कांग्रेस |
1991 | कल्पनाथ राय | कांग्रेस |
1996 | कल्पनाथ राय | स्वतंत्र |
1998 | कल्पनाथ राय | समता पार्टी |
1999 | बाल कृष्ण चौहान | बसपा |
2004 | चंद्रदेव प्रसाद राजभर | सपा |
2009 | दारा सिंह चौहान | बसपा |
2014 | हरिनारायण राजभर | भाजपा |
2019 | अतुल राय | बसपा |