Lok Sabha Chunav: लड़कियों ने उड़ाए दुपट्टे, वोट की जगह लिपस्टिक का ठप्पा... इलाहाबाद में चुनाव लड़ रहे थे अमिताभ बच्चन
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Lok Sabha Chunav: लड़कियों ने उड़ाए दुपट्टे, वोट की जगह लिपस्टिक का ठप्पा... इलाहाबाद में चुनाव लड़ रहे थे अमिताभ बच्चन

Allahabad Lok Sabha Chunav: छोरा गंगा किनारे वाला... तबतक डॉन रिलीज हो चुकी थी. अमिताभ बच्चन लोकसभा चुनाव लड़ने इलाहाबाद आ गए. पूरा शहर जैसे दीवाना हो गया. उनकी जीत का वो रिकॉर्ड 40 साल बाद भी नहीं टूटा. आलम यह था कि रात 11 बजे तक वोट डाले गए थे और काउंटिंग में हजारों वोट रिजेक्ट हुए क्योंकि महिलाओं ने अमिताभ के नाम पर लिपस्टिक लगा दिया था. 

Lok Sabha Chunav: लड़कियों ने उड़ाए दुपट्टे, वोट की जगह लिपस्टिक का ठप्पा... इलाहाबाद में चुनाव लड़ रहे थे अमिताभ बच्चन

Amitabh Bachchan Lok Sabha Chunav: फिल्मी सितारों के लिए जनता की दीवानगी राजनीतिक दलों को खूब लुभाती है. अक्सर पार्टियां जिताऊ एंगल को ध्यान में रखते हुए 'बाबू मोशायों' को टिकट देती रही हैं. आज भी आप नजर दौड़ा लीजिए कई हीरो और अभिनेत्रियां आपको राजनीति में मिल जाएंगी. खैर, आज से 40 साल पहले चलते हैं. वक्त था 1984 का लोकसभा चुनाव, जगह थी इलाहाबाद और चुनाव लड़ रहे थे महानायक अमिताभ बच्चन. जंजीर-शोले और डॉन जैसी फिल्मों के आने से बिग बी का हर कोई फैन हो गया था. उनका अंदाज और पैंट की स्टाइल लोग कॉपी करने लगे थे. कांग्रेस ने बिग बी को उनके अपने शहर इलाहाबाद से टिकट दिया. आपको जानकर हैरानी होगी कि काउंटिंग के दिन हजारों बैलट पेपर इस आधार पर रिजेक्ट हो गए क्योंकि युवतियों ने वोट की जगह 'Kiss' कर दिया था. 

जी हां, तब ईवीएम से चुनाव नहीं होता था. बैलट पेपर पर युवतियों ने अपने होठों पर लगे लिपस्टिक का ठप्पा लगा दिया था. उस समय नए वोटर रहे इलाहाबाद के लोगों को आज भी वो किस्सा याद है. कुछ लोग वो आंकड़ा 5 से 10 हजार वोटों का बताते हैं. खैर, अमिताभ बच्चन के लिए दीवानगी ऐसी थी कि आधी रात तक वोटिंग हुई थी.

इलाहाबाद के वरिष्ठ नेता बाबा अभय अवस्थी ने एक बार बताया था कि तब वह स्टूडेंट लीडर हुआ करते थे. नियम है कि शाम पांच बजे पोलिंग बूथ का दरवाजा बंद हो जाता है. 5 बजे तक जो पोलिंग सेंटर के अंदर आ गया वह वोट डालकर ही जाएगा. तब शाम पांच बजे इतनी ज्यादा संख्या में लोग होते थे कि गेट तो बंद हो जाता लेकिन वोटिंग रात 11 बजे तक होती रही. 

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वह याद करते हैं- क्या माहौल था, करीब 10 हजार बैलट पेपर काउंटिंग के दिन रिजेक्ट हो गए थे. युवतियों ने अमिताभ बच्चन के नाम के आगे अपने लिपस्टिक की मोहर लगा दी थी. अजीब चुनाव था. बूढ़ी माएं अपने पोते का सहारा लेकर अमिताभ बच्चन से सर्किट हाउस या पन्नालाल रोड पर उनसे मिलने जाया करती थीं, जहां वह रुके होते थे. महिलाएं बच्चों का बहाना बनाकर दिन में 3-4 बार मिलने आया करती थीं. 

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बाबा ने बताया कि उनके करीबी एक सीओ ने एक बूढ़ी महिला को पहचान लिया. वह चौथी बार मिलने आई थी. सीओ बोले कि आप क्या चाहती हैं कि अमिताभ बच्चन सिर्फ आपसे मिलें. महिला ने कहा कि मैं नहीं, मेरी पोती मिलना चाहती है. सीओ साहब ने कहा कि उसकी इच्छा है कि आप बार-बार मिलना चाहती है. बहाना बना रही हैं. सभी मुस्कुरा दिए. 

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एक इंटरव्यू में कुछ समय पहले बाबा अवस्थी ने बताया था कि तब अमिताभ बच्चन जिस गली से निकलते थे लड़कियां बालकनी से अपने दुपट्टे उड़ा देती थीं. नौजवान उनके काफिले के पीछे भागता रहता था.

बहुगुणा ने कह दिया, विजयी भव अमिताभ

एक जगह अमिताभ बच्चन और हेमवती नंदन बहुगुणा का आमना सामना हुआ. अमिताभ ने हाथ जोड़कर प्रणाम किया और आशीर्वाद किया. विपक्ष से चुनाव लड़ रहे बहुगुणा ने कह दिया- विजयी भव. बाद में उन्हें लगा कि शायद गलत कह दिया. हुआ भी वैसा ही. राजीव गांधी के कहने पर चुनाव लड़ रहे अमिताभ बच्चन ने करीब दो लाख वोटों के अंतर से राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी हेमवती नंदन बहुगुणा को हरा दिया था.

हालांकि जल्द ही अमिताभ बच्चन ने इस्तीफा दे दिया. इलाहाबाद के लोगों को इस बात का आज तक मलाल है. (फोटो- सोशल मीडिया एक्स से साभार)

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