Hoshangabad Loksabha Chunav 2024: मध्य प्रदेश का होशंगाबाद लोकसभा क्षेत्र, 29 क्षेत्रों में से एक, अपनी समृद्ध विरासत और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. तीन जिलों के 8 विधानसभा क्षेत्रों को समाहित करते हुए, यह क्षेत्र इतिहास, भूगोल और संस्कृति का एक अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करता है.

 

इतिहास की झलक: पंद्रहवीं शताब्दी में, मालवा के दूसरे राजा, सुल्तान हुशंगशाह गौरी ने इस शहर की स्थापना की थी. सुल्तान के नाम पर ही इस शहर का नाम पड़ा. सतपुड़ा के पहाड़ों और नर्मदा नदी से घिरा यह इलाका प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है. यहाँ की पहाड़ियों में बनी गुफाओं में प्राचीन शैलचित्रों की खोज हुई है जो इस क्षेत्र के समृद्ध इतिहास की गवाही देते हैं.

 

भूगोल की विविधता:

सतपुड़ा पर्वतमाला और नर्मदा नदी के बीच स्थित, होशंगाबाद का भूगोल विविधतापूर्ण है. घने जंगलों, ऊंचे पहाड़ों और शांत नदी के किनारे, यह क्षेत्र प्राकृतिक प्रेमियों के लिए स्वर्ग है.

 

संस्कृति का संगम:

होशंगाबाद विभिन्न संस्कृतियों का संगम है. यहाँ हिन्दू, मुस्लिम, सिख और जैन समुदायों के लोग सदियों से भाईचारे के साथ रहते हैं. यहाँ की संस्कृति में विभिन्न समुदायों की परंपराओं का समावेश है.

 

आकर्षण के केंद्र:

होशंगाबाद में कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें शामिल हैं:

सेठानी घाट: नर्मदा नदी के किनारे स्थित यह घाट, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है.

भोजपुर मंदिर: यह प्राचीन हिंदू मंदिर, अपनी भव्य वास्तुकला और शिल्पकला के लिए जाना जाता है.

 

होशंगाबाद-नरसिंहपुर संसदीय क्षेत्र, मध्य प्रदेश का एक ऐसा क्षेत्र है जहां चुनावी मुकाबला हमेशा ही कांटे का रहा है. यहां के मतदाता किसी एक दल या नेता पर लंबे समय तक भरोसा नहीं करते हैं, और लगभग हर सांसद को दो-दो बार मौका दिया है. वर्तमान सांसद राव उदयप्रताप सिंह भी इसी परंपरा का अपवाद नहीं हैं, उन्हें भी जनता दो बार चुन चुकी है.

 

पिछले 15 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 7 बार और भाजपा ने 6 बार जीत हासिल की है. 1962 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (पीएसपी) और 1977 में भारतीय लोक दल (बीएलडी) ने भी जीत का स्वाद चखा था. इन दो अपवादों को छोड़ दें तो, यहां के मतदाताओं ने भाजपा और कांग्रेस के अलावा अन्य दलों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी है.

 

मध्य भारत अंचल में आने वाली होशंगाबाद लोकसभा सीट पर 1989 से 2004 तक बीजेपी ने लगातार चुनाव जीता था, हालांकि 2009 में इस सीट पर कांग्रेस को जीत मिली, लेकिन 2009 के चुनाव में कांग्रेस ने लंबे समय बात यहां वापसी की थी. लेकिन 2014 में कांग्रेस सांसद बीजेपी में चले गए और बीजेपी की तरफ से चुनाव लड़कर फिर सांसद बन गए. 2019 के चुनाव में बीजेपी ने यहां कांग्रेस को बुरी तरह से हराया था. 

 

मतदाता-16,93,470

पुरुष मतदाता- 8,90,805

महिला मतदाता- 8,02,597

 

एमपी के दो पूर्व सीएम लड़ चुके चुनाव, एक जीते.. एक हारे

दो पूर्व मुख्यमंत्री भी यहां से अपनी किस्मत आजमा चुके हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुन सिंह यहां से चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, जबकि बीजेपी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने 1999 के में यहां से जीत हासिल की थी. पूर्व केंद्रीय मंत्री सरताज सिंह भी इस सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचते रहे हैं.

 

1951- सैयद अहमद, कांग्रेस

1952- (उपचुनाव) हरिविष्णु कामथ, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी

1957- रघुनाथ सिंह किलेदार, कांग्रेस

1962- हरिविष्णु कामथ, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी

1967- नीतिराज सिंह, कांग्रेस

1971- नीतिराज सिंह, कांग्रेस

1977- हरिविष्णु कामथ, जनता पार्टी

1980-  रामेश्वर नीखरा, कांग्रेस

1984-  रामेश्वर नीखरा, कांग्रेस

1989-  सरताज सिंह, बीजेपी

1991-  सरताज सिंह, बीजेपी

1996-  सरताज सिंह, बीजेपी

1998-  सरताज सिंह, बीजेपी

1999- सुंदरलाल पटवा, बीजेपी

2004-  सरताज सिंह, बीजेपी

2009- रावउदय प्रताप सिंह, कांग्रेस

2014- रावउदय प्रताप सिंह, बीजेपी

2019- रावउदय प्रताप सिंह, बीजेपी

 

2024 का समीकरण क्या है?
वैसे तो इस सीट पर अभी दोनों तरफ से कोई पिटारा नहीं खोला गया है लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां रिकॉर्ड जीत हासिल की थी. बीजेपी के राव उदय प्रताप सिंह ने कांग्रेस के दीवान शैलेंद्र सिंह को 5 लाख 53 हजार 682 वोटों के बड़े अंतर से हराया था. अब देखना होगा कि इस बार क्या होगा.


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