Jalore Lok Sabha Chunav Result 2024: राजस्थान में 25 लोकसभा सीटों पर दो चरणों में चुनाव होना है. नतीजों का ऐलान 4 जून को किया जाएगा. राजस्थान में जालौर एक अहम लोकसभा सीट है. जनरल कैटेगरी वाली इस सीट में पूरा जालौर और सिरोही जिला आते हैं. यहां की साक्षरता दर 45.61 है.


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इस सीट पर सबसे ज्यादा आबादी अनुसूचित जाति और उसके बाद अनुसूचित जनजाति (एसटी) की है. साल 2004 से लेकर अब तक इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने तीन बार के सांसद देवजी एम पटेल की जगह लुम्बाराम चौधरी को मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस की तरफ से वैभव गहलोत खड़े हुए हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे हैं. पिछले काफी वक्त से वैभव गहलोत इस क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं. 


जालौर लोकसभा चुनाव रिजल्ट


जालौर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभाएं आती हैं- अहोर, जालौर (एससी), भीनमाल, सांचौर, रानीवाड़ा, सिरोही, पिंडवाड़ा-आबू (एसटी), रेवदर (एससी). जालौर लोकसभा सीट पर आजादी के बाद अकसर सांसद बदलते रहे. कभी कांग्रेस, जनता पार्टी, कभी बीजेपी तो कभी निर्दलीय उम्मीदवार तक यहां से जीतकर संसद पहुंचा. 


सीट पर क्या है समीकरण?


इस सीट पर सबसे ज्यादा 19.7 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति की है. जबकि 15.8 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की. मुस्लिमों की तादाद 3.5 फीसदी, सिखों की 0.03 फीसदी, जैन 0.75 फीसदी और बौद्ध 0.01 फीसदी हैं.


2011 की जनगणना के मुताबिक, इस सीट पर अनुसूचित जाति के वोटर्स की तादाद 4,05,826 है. वहीं एसटी वोटर्स की जनसंख्या 3,25,485 है. मुस्लिम इस सीट पर 72,729 हैं. जालौर लोकसभा सीट पर ग्रामीण वोटर्स की तादाद 1,802,526 है यानी 87.5 फीसदी. जबकि शहरी वोटर्स की जनसंख्या 2,57,504 है यानी करीब 12.5 फीसदी. 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कुल वोटर्स की संख्या 2060030 थी और वोट प्रतिशत था 65.7 फीसदी. 


कब कौन रहा सांसद?


1952 के लोकसभा चुनाव में यहां से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भवानी सिंह जीते. इसके बाद कांग्रेस के टिकट पर 1957 में सूरज रतन दमानी और 1962 में हरीश चंद्र माथुर जीते. 1967 में स्वतंत्र पार्टी के देवकी नंदन पटोदिया को जीत मिली. 1971 में फिर कांग्रेस को जीत मिली और नरेंद्र कुमार संघी संसद पहुंचे.


1977 में जनता पार्टी के हुकुम सिंह को जनता ने जिताया. 1980 की कांग्रेस लहर में कांग्रेस के विरदा राम फुलवारिया ने जीत हासिल की.1984 में कांग्रेस के बूटा सिंह, 1989 में बीजेपी के कैलाश मेघवाल, 1991 में कांग्रेस के बूटा सिंह को जीत मिली. 1996 में कांग्रेस ने पारसराम मेघवाल को टिकट दिया, जिनको जनता ने संसद भेजा. 1998  में बूटा सिंह निर्दलीय लड़े और जीते. 1999 में वह कांग्रेस के टिकट पर लड़े और दोबारा जीत मिली. 2004 में बीजेपी के टिकट पर सुशीला बांगरू जीतीं. इसके बाद 2009, 2014 और 2019 में देवजी पटेल को जनता ने संसद भेजा.