जालौर लोकसभा क्षेत्र महर्षि जाबालि की तपोभूमि होने के कारण प्राचीनकाल में "जाबालिपुर" नाम से विख्यात था. जालौर का नामकरण यहां जाल वृक्षों की अधिकता के कारण भी किए जाने की बात कही जाती है. ग्रेनाइट सिटी के नाम से जाना जाने वाला जालौर जीरा उत्पादक जिला के रूप में विख्यात है. यहां का इशबगोल भी उम्दा माना जाता है. गुजरात से सटे राजस्थान का यह लोकसभा क्षेत्र जालौर और सिरोही जिलों में फैला हुआ है. आजादी के बाद 1999 तक जालौर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित क्षेत्र रहा. जालौर लोकसभा क्षेत्र में कुल आठ विधानसभा सीटें आहोर, जालौर (एससी), भीनमाल, सांचोर, रानीवाड़ा, सिरोही, पिंडवाड़ा-आबू (एसटी), रेओदर (एससी) शामिल हैं. कांग्रेस के बूटा सिंह का गढ़ रह चुके इस लोकसभा सीट पर शुरुआत से ही कांग्रेस का दबदबा रहा है. हालांकि, पिछले कुछ चुनावों में भाजपा ने लगातार जीत दर्ज की है. 1952 के आम चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी भवानी सिंह के जीत के बाद 8 बार कांग्रेस, 5 बार भाजपा, एक बार स्वतंत्र पार्टी और एक बार भारतीय लोक दल यहां अपना झंडा बुलंद कर चुके हैं.
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