Kairana Lok Sabha Election 2024: कभी व्यापारियों से दिनदहाड़े रंगदारी और हिंदुओं के पलायन के लिए चर्चित रहा कैराना अब शांत है. जब से प्रदेश में योगी सरकार आई है, तब से इलाके के तमाम बड़े बदमाश या तो मारे जा चुके हैं या जेल में है. कैराना के इसी पलायन को मुद्दा बनाकर बीजेपी ने वर्ष 2017 में पश्चिमी यूपी में बड़ी जीत हासिल की थी. उस चुनाव के बाद बीजेपी ने कैराना लोकसभा सीट से 2019 का चुनाव भी जीता. अब एक बार फिर लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने वाली है और इसके साथ ही इस सीट पर सियासी सरगर्मी तेज हो रही है. आज हम इस सीट के भूगोल, इतिहास और राजनीति के उलझे समीकरणों से आपको पूरी तरह रूबरू करवाएंगे. सबसे पहले हम इस सीट के इतिहास के बारे में जान लेते हैं.


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कैराना लोकसभा चुनाव रिजल्ट 2024


कैराना में हर बार की तरह इस बार भी हसन परिवार और हुकम सिंह परिवार के बीच जंग है. सपा ने इस सीट पर इकरा हसन तो बीजेपी ने मौजूदा सांसद प्रदीप चौधरी को उतारा है.


कर्णपुरी से हुआ कैराना


शामली जिले के अंतर्गत आने वाला कैराना एक बड़ा कस्बा है, जिसके नाम पर इस लोकसभा सीट का नाम पड़ा है. कैराना को प्राचीन काल में कर्णपुरी के नाम से जाना जाता था, जो बाद में किराना और फिर कैराना हो गया. इस यूपी का सीमावर्ती जिला है और पश्चिमी दिशा में यमुना नदी पार करते ही हरियाणा का पानीपत जिला आ जाता है. इस सीट में रहने वाले अधिकतर लोग खेतीबाड़ी, गुड़, चीनी, दूध, गेहूं और सब्जियों के उत्पादन में लगे हुए हैं. 


वर्ष 1962 में पहली बार बनी


यह सीट वर्ष 1962 में पहली बार अस्तित्व में आई थी. उसी साल इस सीट पर हुए पहले लोकसभा चुनाव में किसान नेता यशपाल सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरकर जीत हासिल की थी. उसके बाद से लेकर अब तक इस सीट पर 15 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. अगर इस सीट के जनगणना आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2014 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसमें कुल 15 लाख 31 हजार से ज्यादा वोटर थे. इनमें 8 लाख 40 हजार पुरुष और 6 लाख 91 हजार महिला वोटर थीं. 


कुल 5 असेंबली सीटें शामिल


इस लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल 5 असेंबली सीटें आती हैं, जिनके नाम कैराना, शामली, थानाभवन, गंगोह और नकुड़ हैं. फिलहाल इन 5 में से 2 सीटों पर आरएलडी, 2 पर बीजेपी और एक पर सपा के विधायक हैं. कांग्रेस पार्टी पिछले 40 साल से इस सीट पर सूखे का सामना कर रही है. आखिरी बार वर्ष 1984 में कांग्रेस की ओर से इस सीट पर जीत हासिल की गई थी. उसके बाद से कांग्रेस के हिस्से में केवल इंतजार ही इंतजार चल रहा है. 


जाट, गुर्जर, मुस्लिम बहुतायत में


कैराना लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो इसमें जाट और मुस्लिम बड़ी संख्या में हैं. तीसरे नंबर पर सबसे बड़ा समुदाय गुर्जरों का है. जबकि दलित वोटर यहां पर किंग मेकर की भूमिका में रहे हैं. इस सीट पर परंपरागत रूप से दो परिवारों का वर्चस्व रहा है. इनमें एक बीजेपी के बड़े नेता रहे चौधरी हुक्म सिंह का परिवार है. उनके निधन के बाद अब उनकी बेटी मृगांका सिंह और भतीजे प्रदीप चौधरी इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. वहीं दूसरा सियासी खानदान नाहिद हसन का हैं. मुस्लिम गुर्जर परिवार से आने वाले नाहिद के दादा और पिता, मां भी सांसद- विधायक रहे हैं. 


दो सियासी खानदानों में टक्कर


कैराना में इस बार भी इन्हीं दो सियासी खानदान के बीच टक्कर होने की संभावना जताई जा रही है. कांग्रेस- सपा में हुए समझौते के तहत यह सीट सपा के खाते में गई है और अखिलेश यादव ने कैराना से विधायक नाहिद हसन की बहन इकरा हसन को यहां से कैंडिडेट भी घोषित कर दिया है. बीजेपी और बसपा ने इस सीट पर अभी कोई घोषणा नहीं की है. माना जा रहा है कि इस सीट पर फिर से चौधरी हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह या भतीजे प्रदीप चौधरी को टिकट दिया जा सकता है. 


कैराना लोकसभा क्षेत्र में शामिल असेंबली सीटें


असेंबली सीट मौजूदा विधायक पार्टी
नकुड़ मुकेश चौधरी बीजेपी
गंगोह कीरत सिंह बीजेपी
कैराना नाहिद हसन सपा
थाना भवन अशरफ अली खान आरएलडी
शामली प्रसन्न चौधरी आरएलडी

लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास 


लोकसभा चुनाव विजेता पार्टी
2019 प्रदीप चौधरी बीजेपी
2014 चौधरी हुकुम सिंह बीजेपी
2009 तबस्सुम हसन आरएलडी
2004 अनुराधा चौधरी आरएलडी
1999 अमीर आलम खान आरएलडी

प्रदीप चौधरी ने तबस्सुम को दी थी मात


कैराना सीट पर वर्ष 2019 में हुए चुनाव में बीजेपी के प्रदीप चौधरी ने बाजी मारी थी. वे दिवंगत गुर्जर नेता चौधरी हुकुम सिंह के भतीजे हैं. उन्होंने चुनाव 50.44 प्रतिशत यानी 5 लाख 66 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए थे. जबकि दूसरे नंबर पर रहीं तबस्सुम हसन ने 42.44 प्रतिशत यानी 4 लाख 74 हजार वोट प्राप्त किए थे. तीसरे नंबर पर कांग्रेस के हरेंद्र मलिक थे. जिन्हें केवल 69 हजार वोट मिले थे.


50 प्रतिशत वोट मिलते ही जीत पक्की


कैराना सीट पर कुछ आंकड़े बड़े ही दिलचस्प हैं. यहां पर चुनाव सीधे आर-पार का होता है. यानी सीधे तौर पर दो ही पक्ष चुनाव मैदान में दिखते हैं और दोनों में से जो भी कैंडिडेट 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल कर लेता है, वह चुनाव जीत जाता है. 


आरएलडी के साथ आने से बीजेपी मजबूत! 


पिछले चुनाव में आरएलडी सपा के साथ थी लेकिन पीएम मोदी की लहर के सामने वह गठबंधन टिक नहीं पाया. इस बार जयंत चौधरी बीजेपी के साथ आ गए हैं. ऐसे में जाट, गुर्जर, बनिया, ठाकुर व अन्य वोटर्स के साथ बीजेपी का पलड़ा फिलहाल भारी नजर आता है. देखने लायक बात ये होगी कि बीजेपी-आरएलडी में से यह सीट किसके हिस्से में आती है और यहां से किसे उम्मीदवार के रूप में उतारा जाता है. फिलहाल सपा प्रत्याशी इकरा हसन अपना चुनाव प्रचार शुरू कर चुकी हैं. ऐसे में बीजेपी जितना देर करेगी, उसे उतना ही नुकसान उठाना पड़ेगा. 


कैराना लोकसभा चुनाव 2024 में पार्टी उम्मीदवार और चुनाव परिणाम


पार्टी उम्मीदवार मिले वोट रिजल्ट
बीजेपी प्रदीप चौधरी    
सपा इकरा हसन    
बसपा      
अन्य