शामली जिले के अंतर्गत आने वाला कैराना एक बड़ा कस्बा है, जिसके नाम पर इस लोकसभा सीट का नाम पड़ा है. कैराना को प्राचीन काल में कर्णपुरी के नाम से जाना जाता था, जो बाद में किराना और फिर कैराना हो गया. इस यूपी का सीमावर्ती जिला है और पश्चिमी दिशा में यमुना नदी पार करते ही हरियाणा का पानीपत जिला आ जाता है.यह सीट वर्ष 1962 में पहली बार अस्तित्व में आई थी. उसी साल इस सीट पर हुए पहले लोकसभा चुनाव में किसान नेता यशपाल सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरकर जीत हासिल की थी. उसके बाद से लेकर अब तक इस सीट पर 15 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. अगर इस सीट के जनगणना आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2014 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसमें कुल 15 लाख 31 हजार से ज्यादा वोटर थे. इनमें 8 लाख 40 हजार पुरुष और 6 लाख 91 हजार महिला वोटर थीं. इस लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल 5 असेंबली सीटें आती हैं, जिनके नाम कैराना, शामली, थानाभवन, गंगोह और नकुड़ हैं. फिलहाल इन 5 में से 2 सीटों पर आरएलडी, 2 पर बीजेपी और एक पर सपा के विधायक हैं. कांग्रेस पार्टी पिछले 40 साल से इस सीट पर सूखे का सामना कर रही है. आखिरी बार वर्ष 1984 में कांग्रेस की ओर से इस सीट पर जीत हासिल की गई थी. उसके बाद से कांग्रेस के हिस्से में केवल इंतजार ही इंतजार चल रहा है. कैराना लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो इसमें जाट और मुस्लिम बड़ी संख्या में हैं. तीसरे नंबर पर सबसे बड़ा समुदाय गुर्जरों का है. जबकि दलित वोटर यहां पर किंग मेकर की भूमिका में रहे हैं.
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