West Bengal Politics: लोकसभा चुनाव 2024 के पांच चरण के मतदान पूरे होते-होते विपक्षी दलों के इंडी अलायंस में एक बार फिर तनाव के के हालात बन गए हैं. चुनाव नतीजे के बाद के सियासी समीकरणों को लेकर तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयानों को लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के बीच तल्खी सतह पर आ गई. 


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विपक्ष की सरकार बनी तो टीएमसी के शामिल होने के कयास पर बवाल


दरअसल, अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहे लोकसभा चुनाव के बाद की सियासी संभावनाओं पर ममता बनर्जी ने कहा कि टीएमसी विपक्षी इंडी अलायंस का सदस्य है और केंद्र में सरकार बनने की हालत में बाहर से समर्थन देगी. फिर कुछ ही घंटे बाद उन्होंने कहा कि सरकार बनी तो टीएमसी उसमें शामिल होगी. पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने इसका विरोध किया.


अधीर रंजन चौधरी पर हत्थे से उखड़े कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे 


कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे नाराज हो गए और काफी तल्ख संदेश दे डाला. उन्होंने सख्त लहजे में कह डाला कि चुनाव नतीजे आने के बाद सरकार गठन में क्या होगा और क्या नहीं, ये कांग्रेस हाईकमान तय करेगा. यह तय करने के लिए अधीर रंजन चौधरी अधिकृत व्यक्ति नहीं हैं. अधीर रंजन चौधरी को कांग्रेस हाईकमान की बात माननी होगी. अगर सहमत नहीं होंगे, वो बाहर जाएंगे.


कोलकाता में कांग्रेस के होर्डिंग्स में खड़गे की तस्वीर पर पोती गई स्याही


इसके बाद कोलकाता में पश्चिम बंगाल कांग्रेस कार्यालय के बाहर लगी होर्डिंग्स में छपे खड़गे की तस्वीर पर स्याही पोते जाने की घटना सामने आई. खड़गे की ओर से खींची लकीर को लेकर अधीर रंजन ने कहा कि वह भी कांग्रेस हाईकमान का हिस्सा हैं. वह सीडब्ल्यूसी के मेंबर हैं और किसी ऐसे शख्स के पक्ष में नही बोल सकता जो कांग्रेस को सियासी तौर पर खत्म करना चाहता है. इस तरह ममता बनर्जी की 'गुगली' पर कांग्रेस के दिग्गज आमने-सामने आ गए. 


ममता बनर्जी को बर्दाश्त करेंगे या कांग्रेस छोड़ेंगे अधीर रंजन चौधरी?


बाद में अधीर रंजन चौधरी ने इसे सैद्धांतिक विरोध बताया. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी से उनकी कोई निजी लड़ाई नहीं है, लेकिन उनका कोई भरोसा भी नहीं है. उन्होंने कांग्रेस के हर कार्यकर्ता की आवाज को उठाने का दावा किया. दूसरी ओर मल्लिकार्जुन खड़गे के बिफरने के बाद बड़ा सवाल उठने लगा है कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के विरोध की बुनियाद पर सियासत करते आए अधीर रंजन चौधरी क्या कांग्रेस छोड़ देंगे या फिर खड़गे के कहे मुताबिक चुप रहकर गठबंधन को बर्दाश्त करेंगे?


पश्चिम बंगाल में त्रिकोणीय लड़ाई, अब विधानसभा चुनाव पर सबकी निगाहें 


लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में एक तरफ भाजपा तो दूसरी तरफ कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को चुनौती दे रहा है. कुछ ही समय बाद साल 2026 में वहां विधानसभा चुनाव भी होने वाला है. इसलिए कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के गठबंधन की सूरत कैसी होगी, फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता है. इस बीच दोनों विपक्षी पार्टियों को लेकर पीएम मोदी का संसद में दिया बयान चर्चा में आ गया है.


पीएम मोदी ने कांग्रेस पर लगाया था तृणमूल के दबाव में होने का आरोप


पिछले साल लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी का जिक्र करते हुए कहा था, ‘इस अविश्वास प्रस्ताव में कुछ ऐसी विचित्र चीजें भी नजर आईं जो पहले कभी नहीं देखा, न सुना. विपक्ष के सबसे बड़े नेता का नाम बोलने वालों की सूची में ही नहीं था.’ आगे उन्होंने कांग्रेस पर ममता बनर्जी के दबाव में होने का इशारा करते हुए कहा था, ‘मुझे नहीं मालूम कि आखिर आपकी मजबूरी क्या है, क्यों अधीर बाबू को दरकिनार कर दिया गया. पता नहीं कलकत्ता से कोई फोन आया है. इस बार अधीर बाबू का क्या हाल हो गया.’


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अटकलों और कयासों पर ही जुबानी जंग तेज या खेला होबे की शुरुआत


ममता बनर्जी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी तीनों के बयान हालांकि अटकलों और कयासों पर टिके हैं, लेकिन जुबानी जंग सतह पर आ गई. ममता और अधीर जहां बंगाल की स्थानीय राजनीति पर फोकस हैं, वहीं खड़गे का टारगेट दिल्ली के इर्द-गिर्द है. ममता बनर्जी अगर विपक्षी दलों के गठबंधन को लेकर दिल्ली में साथ, बंगाल में अलग वाली लीक पर चलेंगी और बंगाल में लेफ्ट और कांग्रेस को भाजपा के साथ बताएंगी तो अधीर रंजन चौधरी के बयान भी आएंगे और मल्लिकार्जुन खड़गे ने तार को ज्यादा खींचा तो 'खेला' भी हो सकता है.


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