Lok Sabha Chunav 2024 GK: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भी  VVPAT पर्चियों का EVM में क्लिक वोटों से मिलान करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने तीन अप्रैल (बुधवार) को याचिका पर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है. सुप्रीम कोर्ट के इस कदम पर कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने खुशी जताई. 


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अधूरी हसरतों का इल्जाम हर बार हम पर लगाना....


ईवीएम और वीवीपैट को लेकर उठने वाले तमाम सवालों पर चुनाव आयोग लगातार सफाई देता रहा है. लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का एलान करने वाले प्रेस कांफ्रेंस में ईवीएम पर उठने वाले सवालों का जवाब देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने कहा था, ‘अधूरी हसरतों का इल्जाम हर बार हम पर लगाना ठीक नहीं, वफा खुद से नहीं होती ख़ता ईवीएम की कहते हो, बाद में गोया जब परिणाम आता है, तो उस पर कायम भी नहीं रहते हो.’


फिर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा ईवीएम-वीवीपैट का मामला


देश में बीते चार लोकसभा चुनावों यानी 2004 से 2019 तक ईवीएम सबसे ज्यादा चर्चाओं में रहा है. इस बार चुनाव से पहले विपक्ष ने वीवीपैट का मुद्दा भी साथ में जोड़ा है. वोटों और पर्ची के मिलान का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है. फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक ही चुनावों में वोटों के सत्यापन के लिए 5 रैंडम मतदान केंद्रों की वीवीपैट पेपर पर्चियों का ईवीएम में दिए वोटों से मिलान होता है. हालांकि, सवालों का यह सिलसिला थमता नहीं दिखता. 


ईवीएम के जरिए अब तक देश में हुए चार आम चुनाव


ईवीएम के जरिए अब तक देश में हुए चार आम चुनाव में 2004 और 2009 में कांग्रेस ने सबसे अधिक सीट हासिल कर यूपीए की सरकार बनाई थी. वहीं, 20154 और 2019 में भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल कर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनाई थी. इसके अलावा राज्यों में 2004 से अब तक ईवीएम से हुए 143 विधानसभा चुनावों में से ऐसा 44 बार हुआ है, जब राजनीतिक दलों की सीटों में उलटफेर हुआ. ईवीएम पर सवाल खड़ा करने वाले कई राजनीतिक दलों ने भी अपनी सरकार बनाई थी.


चुनाव आयोग ने बढ़ाई पूछे जाने वाले सवाल- जवाब की लिस्ट


चुनाव आयोग ने पिछले साल पांच राज्यों में विधासनभा चुनाव के नतीजे के बाद भी चुनौती देते हुए कहा था कि ईवीएम-वीवीपैट पर सवाल सोच-समझकर ही उठाएं. चुनाव आयोग ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर भी ईवीएम और वीवीपैट को लेकर पूछे जाने वाले सवाल- जवाब की लिस्ट (FQs) को भी 37 से बढ़ाकर 76 कर दिया है. इनमें ईवीएम से जुड़ी प्रक्रिया से जुड़े 17, ईवीएम छेड़छाड़ से जुड़े 5, ईवीएम से जुड़ी न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े 4, और ईवीएम की तकनीकी प्रक्रिया से जुड़े 27 सवालों के जवाब शामिल हैं.


वीवीपैट में दो तरह की मेमोरी, सिर्फ एक प्रोग्राम ही संभव


चुनाव आयोग ने वीवीपैट से जुड़े एक सवाल के जवाब में साफ किया है कि वीवीपैट में दो तरह की मेमोरी होती है. एक प्रोग्राम इंस्ट्रक्शन्स माइक्रोकंट्रोलर्स के लिए रखी जाती है. इसे सिर्फ एक बार ही प्रोग्राम किया जा सकता है. दूसरी ग्राफिकल इमेज स्टोर की जाती हैं. यहां पर उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में उम्मीदवारों के चुनाव चिह्न अपलोड किए जाते हैं. 


चुनाव आयोग का दावा, EVM से छेड़छाड़ नहीं हो सकती


इसके साथ ही ईवीएम में छेड़छाड़ से जुड़े सवाल पर चुनाव आयोग ने साफ किया है कि इनमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं हो सकती है. आयोग का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के साथ ही अलग-अलग हाईकोर्ट भी इस प्रक्रिया की कई बार बारीकी से जांच करवा चुका है. आयोग ने ऐसे ही एक सवाल में बताया है कि यह ईवीएम और वीवीपैट का निर्माण केंद्र सरकार से जुड़े उपक्रमों के जरिए सुरक्षित तरीके से किया जाता है. जहां किसी को आने-जाने की इजाजत नहीं रहती है.


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ईवीएम और वीवीपैट पर्ची का फुलप्रूफ मिलान


इसके साथ ही ईवीएम में छेड़छाड़ से जुड़े एक और सवाल में चुनाव आयोग ने बताया है कि ईवीएम में पड़ने वाले वोटों की मिलान की व्यवस्था में अब तक 38156 ईवीएम में पड़े 2.3 करोड़ वोटों का मिलान किया गया है. इनमें यह पाया गया कि एक भी वोट बेकार नहीं हुआ. हर एक वोट जिसे दिया गया था उस उम्मीदवार को ही मिला था.


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ईवीएम के साथ वीवीपैट की मौजूदा व्यवस्था क्या है


ईवीएम के साथ वीवीपैट की मौजूदा व्यवस्था से कोई भी मतदाता यह देख सकता है कि उन्होंने ईवीएम पर जिस उम्मीदवार के नाम के आगे की बटन दबाई है, वोट उसे ही मिला है. क्योंकि ईवीएम पर जिस नाम के सामने की बटन दबायी जाती है, वीवीपैट पर उस उम्मीदवार के चुनाव चिह्न की पर्ची पांच सेकेंड तक देखी जा सकती है. इसके बाद वह पर्ची वीवीपैट के बॉक्स में जमा हो जाती है. 


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