Pran Prasad Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव आने वाले हैं और इस बीच उस प्रत्याशी की कहानी के बारे में जान लीजिए जिसने धनबल के आगे जनता को छोटा समझ लिया था. लोकतंत्र की ताकत को कम करके आंका था. लेकिन चुनाव में जो उसका हाल हुआ वो आज भी लोगों का विश्वास प्रजातंत्र में बढ़ाता है. हम आपको आज ऐसे शख्स की कहानी के बारे में बता रहे हैं जिसने चुनाव जीतने पर अपने कार्यकर्ताओं को प्रचार वाली राजदूत देने का वादा कर दिया था. इतना ही नहीं वह हेलीकॉप्टर से अपने पर्चे बंटवाता था. इतना रईस कैंडिडेट कौन था और वह जीत पाया था या नहीं, आइए इसके बारे में जानते हैं.


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प्राण प्रसाद के चुनाव की कहानी


बता दें कि हम बात लोकसभा चुनाव 1971 की कर रहे हैं जब कोयले की खदानों का काम करने वाली प्राइवेट कंपनी बर्न स्टैंडर्ड के कर्ता-धर्ता प्राण प्रसाद ने चुनाव लड़ा था. झारखंड के धनबाद में बर्न स्टैंडर्ड के अंडर कोयले की कई खदानें थीं. प्राण प्रसाद निर्दलीय उम्मीदवारों के तौर पर चुनाव में उतरे थे. उनके खिलाफ कैंडिडेट के रूप में कांग्रेस के राम नारायण शर्मा थे. इसके अलावा उस चुनाव में 13 प्रत्याशी और भी थे.


जब राजदूत देने का किया गया वादा


जान लें कि प्राण प्रसाद जैसा अमीर उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरा तो कांग्रेस उम्मीदवार के पसीने छूट गए थे. ऐसा होना लाजमी भी था. क्योंकि प्राण प्रसाद हेलीकॉप्टर से अपने पर्चे बंटवाते थे. ये वो जमाना था जब लोग आसमान में हेलीकॉप्टर उड़ता देख अपने घरों से निकल आते थे. इतना ही नहीं जो लोग प्राण प्रसाद का प्रचार करते थे, उनसे प्राण प्रसाद ने कहा था कि अगर चुनाव में जीत हुई तो जिस राजदूत बाइक से प्रचार कर रहे हैं वह उन्हें ही दे दी जाएगी.


जब जनता के आगे धनबल हार गया


ऐसा चुनाव प्रचार देखने के बाद ज्यादातर लोग मानकर चल रहे थे कि चुनाव में प्राण प्रसाद की जीत होगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पहला तो छोड़िए जब वोटों की गिनती हुई तो प्राण प्रसाद दूसरे नंबर पर भी नहीं आ पाए. काउंटिंग में कांग्रेस कैंडिडेट राम नारायण शर्मा जीते. वहीं, दूसरे नंबर पर बिनोद बिहारी महतो रहे थे. तीसरे नंबर तक प्राण प्रसाद पहुंच पाए थे. इन चुनाव नतीजों से साफ हो गया था कि चुनाव में सिर्फ धनबल ही काफी नहीं है.