Muzaffarnagar Lok Sabha Chunav Result 2024 Live: मुजफ्फरनगर दंगों के बारे में देश के बाकी लोग भले ही धीरे- धीरे भूलने लगे हों लेकिन जो लोग इसकी चपेट में आए. उनके लिए यह कभी न भूलने वाला नासूर बन गया. वर्ष 2016 में अखिलेश यादव सरकार में हुए इन दंगों ने जाट-मुस्लिमों के बीच ऐसी दूरी पैदा की, जो आज तक भर नहीं पाई है. इसका असर मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट के बदले समीकरणों पर भी दिखाई देता है. जाट- मुस्लिम गठजोड़ के बल पर सपा या आरएलडी यह सीट जीत लेती थी. लेकिन दंगों के बाद मुस्लिमों से पनपी दूरी की वजह से जाट दूसरी हिंदू जातियों के साथ गठजोड़ में आ गए और यह बीजेपी की अजेय सीट बन गई. वह दो बार से इस सीट पर लगातार जीत हासिल कर रही है लेकिन क्या तीसरी बार भी जीत का यह दौर जारी रहेगा यह देखने लायक बात होगी. आइए आपको इस लोकसभा सीट के भूगोल, इतिहास, समीकरण और मुद्दों के बारे में विस्तार से बताते हैं. 


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मुजफ्फरनगर लोकसभा चुनाव रिजल्ट 2024


मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर पिछले 10 साल से बीजेपी नेता संजीव बालियान का दबदबा कायम है. हालांकि इस बार उन्हें पार्टी में भीतराघात का भी सामना करना पड़ा है. क्या वे जीत की हैटट्रिक लगा पाएंगे.


मुजफ्फरनगर की भौगोलिक जानकारी


मुजफ्फरनगर को देश में गन्ने का कटोरा भी कहा जाता है. देश में सबसे ज्यादा ईख यानी गन्ने का उत्पादन इसी जिले में होता है. इस जिले में गन्ने की 8 बढ़ी मिलें हैं, जिनमें चीनी का निर्माण होता है. इस जिले में किसान राजनीति एक रूटीन बात है. यहां पर टिकैत बंधुओं का खासा प्रभाव है, हालांकि राजनीति में उनका कोई असर नहीं दिखता. इस जिले में शुक्र तीर्थ, डिग्री कॉलेज और कई इंटर कॉलेज हैं. यह जिला हरियाणा से सटा हुआ है. दोनों के बीच यमुना नदी सीमा रेखा का काम करती है. 


मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र में शामिल असेंबली सीटें


असेंबली सीट मौजूदा विधायक पार्टी
बुढ़ाना राजपाल सिंह बालियान आरएलडी
चरथावल पंकज कुमार मलिक सपा
मुजफ्फरनगर कपिल देव अग्रवा बीजेपी
खतौली मदन भैया आरएलडी
सरधना अतुल प्रधान सपा

लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास


लोकसभा चुनाव विजेता पार्टी
2019 संजीव बालियान बीजेपी
2014  संजीव बालियान बीजेपी
2009 कादिर राणा बसपा
2004  मुनव्वर हसन सपा
1999 एस सईदुज्जमां कांग्रेस

चरण सिंह ने लड़ा था पहला चुनाव


मुजफ्फनगर लोकसभा सीट में 80 प्रतिशत हिंदू और 20 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं. जातीय समीकरणों की बात करें तो 20 फीसदी मुस्लिम, 18 प्रतिशत एससी, 12 फीसदी जाट वोटर हैं. बाकी 50 प्रतिशत में गुर्जर, बनिया, ठाकुर समेत अन्य वोटर हैं. जयंत चौधरी के दादा चौधरी चरण सिंह ने अपनी जिंदगी का पहला चुनाव वर्ष 1971 में मुजफ्फरनगर सीट से ही लड़ा था. इसके बाद वे देश के पीएम पद तक पहुंचे


अनुराधा के प्रचार में पहुंचे थे सीएम मोदी


कश्मीर के पूर्व सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद ने भी वर्ष 1989 में मुजफ्फरनगर सीट से चुनाव लड़ा था और वे बाद में देश के गृह मंत्री बने थे. 2009 के चुनाव में बीजेपी और आरएलडी का गठबंधन था और रालोद ने इस सीट से अनुराधा चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा था. उनका प्रचार करने के लिए गुजरात के सीएम रहे नरेंद्र मोदी खुद मुजफ्फरनगर पहुंचे थे हालांकि बसपा के कादिर राणा के सामने वे चुनाव हार गई थीं. 


आरएलडी का फेवरेट मुस्लिम- जाट समीकरण


पश्चिमी यूपी में जाट, मुस्लिम का समीकरण बनाकर आरएलडी अपनी राजनीति करती रही है. लेकिन मुजफ्फरनगर में वर्ष 2016 में दंगों में यह समीकरण ऐसा दरका कि आज तक नहीं संभला है. इस समीकरण के टूटने का सबसे बड़ा फायदा बीजेपी को मिला है. पार्टी ने वर्ष 2014 में इस सीट से संजीव बालियान को मैदान में उतारा था. जो मोदी लहर में बड़े अंतर से जीत गए. 


2016 के दंगों ने जाटों का किया मोहभंग


इसके बाद मुजफ्फर नगर में 2016 में दंगे हुए, जिससे जाटों समेत आम हिंदुओं का सपा और आरएलडी के मोहभंग हो गया. इसका खामियाजा आरएलडी मुखिया अजित सिंह को व्यक्तिगत रूप में उठाना पड़ा. वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी संजीव बालियान ने अजित सिंह को करीब 6 हजार वोटों से हरा दिया.


आरएलडी ने दावा ठोका तो बालियान का क्या होगा?


अजित सिंह को उस चुनाव में 5 लाख 67 हजार और संजीव बालियान को 5 लाख 73 हजार वोट मिले और 6 हजार वोटों के अंतर से आरएलडी यह सीट हार गई. अजित सिंह के गुजरने के बाद अब उनके बेटे जयंत चौधरी पार्टी को चला रहे हैं और अपने दादा को भारत रत्न मिलने के बाद वे बीजेपी के पाले में आ गए हैं.  इन दोनों में यह सीट किस पार्टी के खाते में जाएगी, यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है. लेकिन अगर आरएलडी ने इस सीट पर लड़ने का दावा ठोंका तो संजीव बालियान का सियासी सफर रुक सकता है या पार्टी उन्हें समायोजित करते हुए दूसरी सीट से उतार सकती है. 


क्या दोनों गठबंधन को चुनौती दे पाएगी बसपा?


अगर ऐसा हुआ यूपी की बाकी सीटों की तरह इस सीट पर भी सीधा मुकाबला एसपी- कांग्रेस गठबंधन और बीजेपी- आरएलडी गठबंधन के बीच होने के आसार बन जाएंगे. रहेंगे. बीएसपी तीसरी ताकत के रूप में उम्मीदवार जरूर उतारेगी लेकिन उसके ज्यादा प्रभावी रहने पर संदेह रहेगा. ऐसे में दलित वोटर बीजेपी के पाले में शिफ्ट हो सकते हैं. जिससे बीजेपी गठबंधन के प्रत्याशी के जीतने के चांस बढ़ सकते हैं. 


मुजफ्फरनगर लोकसभा चुनाव 2024 में पार्टी उम्मीदवार और चुनाव परिणाम


 


पार्टी उम्मीदवार मिले वोट रिजल्ट
बीजेपी संजीव बालियान    
सपा हरेंद्र मलिक    
बसपा      
अन्य