Amritpal Singh and Engineer Rashid Lok Sabha Result 2024: इस बार लोकसभा चुनावों में कई चौंकाने वाले नतीजे सामने आए जहां पर कई बड़े चेहरे संसद तक पहुंच पाएंगे. वहीं अमृतपाल सिंह और इंजीनियर रशीद जैसे संगीन अपराधों के आरोपी सलाखों के पीछे से चुनाव जीतने में कामयाब हो गए. लेकिन अब सवाल खड़ा हो रहा है क्या अमृतपाल सिंह और इंजीनियर रशीद जैसे नेता संसद में शपथ कैसे लेंगे और क्या सलाखों के पीछे बंद रहकर भी उनकी सांसदी चलती रहेगी? 


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जिस चुनाव में बड़े बड़े दिग्गज पार्टियों का मजबूत आधार होने के बावजूद अपनी सीटें नहीं बचा सके. उस चुनाव में दो ऐसे निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की जो सलाखों के पीछे थे. जहां से चुनाव लड़े वहां से सैकड़ों हजारों किलोमीटर दूर कैद थे. लेकिन जब नतीजा आया तो क्षेत्र की जनता ने उन्हें चुनाव जितवा दिया. अब सवाल उठ रहा है अमृतपाल सिंह और इंजीनियर रशीद जैसे चेहरे जो आतंकवाद जैसे गंभीर आरोपों में सलाखों के पीछे बंद हैं. क्या संसद सदस्य के तौर पर शपथ ले पाएंगे. 


सलाखों के पीछे से बने सांसद!


क्या सलाखों के पीछे रहकर भी ये सांसद बने रहेंगे..हम आपको इन सारे सवालों के जवाब देंगे. लेकिन पहले जानिए कहां की जनता ने इनको सांसद चुना है और फिलहाल इनका ठिकाना कहां हैं. जम्मू कश्मीर का अलगाववादी नेता शेख इंजीनियर राशिद UAPA कानून के तहत  तिहाड़ जेल में बंद है. उसने उमर अब्दुल्ला को हराकर बारामूला सीट से जीत हासिल की है. 


वहीं खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कई केस दर्ज हैं और वह इन दिनों असम की डिब्रूगढ़ की जेल में बंद है. उसने पंजाब की खडूर साहिब सीट से जीत दर्ज की है. अब आप समझ गए होंगे कि ये अलगाववादी चुनाव तो जीत गए हैं लेकिन अब आगे क्या होगा. जेल में बंद इन दोनों आरोपियों का संसद में शपथ ग्रहण कैसे होगा. जानकारों का कहना है कि सांसद चुने जाने के बाद शपथ के लिए इन्हें कोर्ट से इजाजत लेनी होगी. 


जेल में रहकर कैसे लेंगे शपथ?


नियमों के मुताबिक कोई आरोपी जेल में रहते हुए चुनाव जीतता है तो उसे सांसद के तौर पर शपथ लेने के लिए स्पीकर आमंत्रित करते हैं. यह आमंत्रण जेल सुपरिंटेंडेंट के जरिए जीते हुए कैंडिडेट को मिलता है. तब जेल सुपरिंटेंडेंट संबंधित कोर्ट को इस बारे में अवगत कराते हैं. वहां से इजाजत मिलने के बाद कड़ी सुरक्षा में आरोपी को संसद ले जाया जाता है. संसद के सुरक्षा कर्मी गेट पर उन्हें अपनी सुरक्षा के घेरे में लेते हैं और फिर उनका शपथ ग्रहण होता है कई बार शपथ के लिए मिलने वाले आमंत्रण के बाद आरोपी खुद ही वकील के जरिये कोर्ट से संसद जाने की इजाजत मांगते हैं. कोर्ट की इजाजत के बाद वह संसद जा सकते हैं. 


शपथ के बाद भी जा सकती है सांसदी


ऐसे मौकों पर इस बात का खतरा रहता है कि यात्रा के दौरान आरोपियों को रिहा करवाने की कोशिश भी हो सकती है. ऐसे में अदालत सभी पहलुओं पर विचार करती है. लेकिन शपथ ग्रहण के बाद भी गंभीर धाराओं में बंद आरोपियों की सांसद सदस्यता खतरे में रहती है. क्योंकि संसद की कार्यवाही से लंबे वक्त तक गैरहाज़िर रहने पर सांसदी जा सकती है. हालांकि दोबारा चुनाव होने के स्थिति में ऐसे आरोपी फिर से चुनाव लड़ सकते हैं..ऐसे में एक्सपर्ट नए कानून बनाने और गंभीर आरोपों में ट्रायल वाले आरोपियों के चुनाव लड़ने की अनुमति पर विचार करने की सलाह भी दे रहे हैं.