Bihar Politics: हिंदू बाहुल्य फतुहा गांव को निगल गया है वक्फ, फिर भी मौलाना मदनी नहीं चाहते कोई संशोधन
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Bihar Politics: हिंदू बाहुल्य फतुहा गांव को निगल गया है वक्फ, फिर भी मौलाना मदनी नहीं चाहते कोई संशोधन

Bihar News: वक्फ बोर्ड ने फतुहा के 95 प्रतिशत हिंदू आबादी वाले एक गांव की जमीन पर अपना दावा ठोंक दिया. इसके बाद भी विपक्ष नहीं चाहता कि वक्फ बोर्ड की शक्तियों में कटौती की जाए और उसपर निगरानी रखी जाए.

वक्फ बोर्ड

Politics On Waqf Board Bill: लोकसभा का शीतकालीन सत्र शुरु होते ही एक बार फिर से वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर सियासी घमासान शुरू हो चुका है. संसद आज (सोमवार, 25 नवंबर) विपक्षी सांसदों ने वक्फ बोर्ड (संशोधन) विधेयक 2024 की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का कार्यकाल बढ़ाने की मांग उठाई. हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी सहित विपक्षी सांसद ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मिलकर समिति के कार्यकाल को बढ़ाने की अपील की. जबकि इससे पहले इस समिति में शामिल विपक्षी सांसद मीटिंग में ही नहीं जाते थे. इससे साफ जाहिर होता है कि विपक्ष इस बिल को सिर्फ लटकाकर रखना चाहता है. उधर मुस्लिम संगठन भी एक बार फिर से इस बिल के विरोध में आवाज बुलंद करने लगे हैं.

इस बिल के विरोध में बिहार की राजधानी पटना में रविवार (24 नवंबर) को 'संविधान बचाओ और राष्ट्रीय एकता' सम्मेलन आयोजित किया गया. इसमें जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने सीएम नीतीश कुमार को सियासी धमकी देते हुए इस बिल का विरोध करने के लिए कहा. मौलाना मदनी ने कहा कि अगर वक्फ बोर्ड बिल को लेकर मुख्यमंत्री अपना रवैया स्पष्ट नहीं करेंगे तो मुसलमान भी सियासी तौर पर आपको सबक सिखाने के लिए तैयार रहेगा. उन्होंने कहा कि वक्फ को जिंदा रखना हमारा मजहबी फरीदा है. हमारा मजहब है वक्फ. अगर आप उसकी तारीक करेंगे तो मुसलमान खुद फैसला करे कि आपकी गवर्मेंट आपके मजहब को जिंदा रखना चाहती है या आग लगाना चाहती है.

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उधर दूसरी ओर वक्फ की निरंकुशता जारी है. हाल ही में बिहार सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पटना से सटे फतुहा के हिंदू बाहुल्य गोविंदपुर गांव में लोगों को जमीन खाली करने का नोटिस थमा दिया था. नोटिस में कहा गया कि यह जमीन वक्फ बोर्ड की है और आप लोग 30 दिनों के अंदर खाली करें. वक्फ बोर्ड ने अपना बोर्ड भी लगा दिया था, जो अभी भी लगा है. इसके बाद लोगों ने पटना हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो वक्फ बोर्ड एक भी सबूत कोर्ट में नहीं पेश कर पाया. पीड़ितों को तत्काल राहत पटना हाई कोर्ट से मिली है, लेकिन उन्हें अभी भी अपनी जमीन जाने का डर सता रहा है. गांव वालों का कहना है कि यहां लगभग 95 प्रतिशत हिंदू आबादी रहती है और वे कई पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं. उनके पास जमीन के सभी कागजात भी हैं. वक्फ बोर्ड की इन्हीं हरकतों को रोकने के लिए वक्फ बोर्ड संशोधन बिल लाया गया है, जिसको विपक्ष पास नहीं होने देना चाहता है.

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