Modi 3.0 cabinet: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) फैसले लेने के मामले में गजब का आत्मविश्वास रखते हैं. नोटबंदी हो या कश्मीर से धारा 370 हटाना, किसी से गठबंधन करना हो या किसी को मंत्री बनाना उनके फैसले का अनुमान लगाना लगभग नामुमकिन होता है. पीएम मोदी ने अपने उसी ट्रैक रिकॉर्ड के हिसाब उन्होंने 2014 और 2019 की तरह 2024 में भी अपने मंत्रिमंडल में चौकाने वाले चेहरों को जगह दी. मोदी 3.O कैबिनेट में भी अप्रत्याशित ENTRY और EXIT के साथ एनडीए गठबंधन के सहयोगियों दलों के साथ एक साहसिक समन्वय देखने को मिला.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मोदी कैबिनेट में इन मंत्रियों की एंट्री ने चौंकाया


मोदी कैबिनेट 3.O में जेपी नड्डा (JP Nadda), जॉर्ज कुरियन (George Kurian), रवनीत सिंह बिट्टू (Ravneet Singh Bittu), हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri), हर्ष मल्होत्रा (Harsh Malhotra) की एंट्री ने सभी को चौंकाया है. मिसाल के तौर पर जगत प्रकाश नड्डा का शपथ ग्रहण भी हैरान करने वाला फैसला रहा.


ये भी पढ़ें- रियासी हमले के गुनहगार का PAK फौज से कनेक्शन, सामने आया 9 लोगों के हत्यारे का चेहरा


हालांकि कुछ सियासी पंडितों ने यह अनुमान लगाया गया था कि इस महीने के अंत में जब बीजेपी अध्यक्ष पद के रूप में उनके एक्सटेंशन की मियाद पूरी होगी उसके बाद उन्हें कोई उपयुक्त पद देकर एडजस्ट किया जाएगा, लेकिन नड्डा को टॉप 5 में जगह देकर मोदी ने सभी को एक झटका और दे दिया.



Harsh Malhotra in Modi Cabinet: सरप्राइज एंट्री की वजह भी जानिए


बीजेपी को लगातार तीसरी बार सातों सीटें देने वाली दिल्ली से भी एक सांसद को पीएम मोदी की टीम में शामिल होने का मौका मिला. यहां से उत्तर-पूर्वी दिल्ली से टिकट बरकरार रखने और जीतने के बाद मनोज तिवारी को मंत्री बनाए जाने की अटकलें थीं. लेकिन उनकी जगह पूर्वी दिल्ली से जीते हर्ष मल्होत्रा ​को मौका मिला.


पूर्वी दिल्ली से सांसद हर्ष मल्होत्रा को राज्य मंत्री बनाया गया है. दिल्ली की सियासत को दशकों से समझने वाले मल्होत्री राजनीति के मंझे खिलाड़ी है. दिल्ली में तो मल्होत्रा ने ऐसा धोबी पछाड़ लगाया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के सबसे मजबूत खिलाड़ी को पूर्वी दिल्ली के लोकसभा चुनाव में चित कर दिया.



दरअसल केजरीवाल ने पूर्वी दिल्ली की सामान्य सीट पर दलित MLA कुलदीप कुमार को टिकट दी. पार्टी ने प्रचार में इस बात को खूब कैश कराने की कोशिश में लगातार इस बात को दोहराया कि पहली बार किसी दल ने सामान्य सीट पर दलित को टिकट दिया है. एक सफाई कर्मचारी के बेटे को संसद भेजने का फैसला किया है.' लेकिन ये कोशिश बेकार गई. मल्होत्रा ने AAP और अरविंद केजरीवाल के चक्रव्यूह को बेधते हुए 93000 से अधिक वोटों से जीत दर्ज की और लाइम लाइट में आ गए.


George Kurian in Modi Cabinet: जॉर्ज कुरियन की एंट्री


आजादी के बाद से ही केरल वाम दलों और कांग्रेस का गढ़ रहा है. इसके बावजूद वहां बीजेपी का बेस बनाने का काम कुरियन ने किया. भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के जरिए राजनीति में आने के बाद पिछले चार दशकों से कुरियन केरल बीजेपी में संगठन के नेता रहे हैं. कुरियन केरल के कोट्टयम के रहने वाले हैं. कुरियन फिलहाल लोकसभा और राज्य सभा में कहीं से भी सांसद नहीं हैं. वो बीजेपी की स्थापना के समय से पार्टी का हिस्सा रहे हैं. 1970 के दशक से काम कर रहे कुरियन फिलहाल केरल बीजेपी के महासचिव हैं.



पहली बार केरल में बीजेपी का कमल खिलाने का क्रेडिट विजेता उम्मीदवार के साथ उन्हें भी मिला. त्रिशूर से सुरेश गोपी सांसद बनें और केरल से सुरेश गोपी को भी मंत्री बनाया गया. गोपी की सफलता को ईसाई समुदाय के महत्वपूर्ण समर्थन से मदद मिली और बीजेपी कुरियन के साथ वहां अपना विस्तार करने की उम्मीद कर सकती है.


Ravneet Biitu in Modi Cabinet: रवनीत बिट्टू


बिट्टू पंजाब से आते हैं. वो पंजाब के दिवंगत सीएम बेअंत सिंह के पोते हैं. उनके परिवार की कभी पंजाब में तूती बोलती थी. रवनीत सिंह बिट्टू मोदी कैबिनेट में ऐसे दूसरे शख्स हैं जिन्हें दोनों सदनों में से किसी का सदस्य नहीं होने के बावजूद मंत्री बनाया गया है. रवनीत बिट्टू ने लुधियाना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, जहां उन्हें कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा से हार का सामना करना पड़ा था. रवनीत बिट्टू इससे पहले कांग्रेस की टिकट पर तीन बार सांसद रह चुके हैं. 



Hardeep Singh Puri in Modi Cabinet: हरदीप सिंह पुरी को भी कैबिनेट में बनाए रखने के फैसले को प्रधानमंत्री की सिख समुदाय तक पहुंच बढ़ाने और सूबे में पार्टी के विस्तार से जोड़ कर देखा जा रहा है.



इन नामों ने भी चौंकाया


पूर्व में I&B मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर को भी एंट्री नहीं मिली. जबकि ठाकुर ने हमीरपुर से लगातार पांचवीं जीत हासिल की. चार लोकसभा सीटों वाले छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश से उनका दावा मजबूत था लेकिन इस बार उन्हें जगह नहीं मिली. बीजेपी के मीडिया सेल के प्रमुख और गढ़वाल से सांसद बने अनिल बलूनी, को भी मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिली.


जेडीयू के संजय झा के लिए भी यही स्थिति रही. इस समय बिहार के सीएम नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद लेफ्टिनेंटों में से एक संजय झा ने बीजेपी में अपने दोस्तों के साथ, भगवा पार्टी के साथ तालमेल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 


टीडीपी और जेडी (यू) को कम से कम में मनाकर बीजेपी ने साहसिक फैसला लिया है. बीजेपी की इस रणनीति से राजीव रंजन सिंह 'ललन' को मदद मिली और नीतीश कुमार के साथ उतार-चढ़ाव भरे पैटर्न के बावजूद मोदी सरकार में मंत्री बन गए. 


रविशंकर प्रसाद को भी कैबिनेट में एंट्री न मिलना भी सुर्खियों में रहा. प्रसाद को उनके पिछले कार्यकाल के बीच में ही हटा दिया गया था. राजीव प्रताप रूडी को भी पिछले कार्यकाल के दौरान बीच में ही हटा दिया गया था. सारण में लालू प्रसाद परिवार के खिलाफ जीत दर्ज करने के बावजूद उनकी मोदी कैबिनेट में एंट्री नहीं हुई.