Sushil Modi Bihar News: बिहार भाजपा के दिग्गज नेता सुशील मोदी नहीं रहे. बिहार समेत पूरे देश के विपक्षी नेता भी उन्हें याद कर रहे हैं. बिहार में सीएम नीतीश कुमार के साथ उनकी जोड़ी सुपरहिट मानी गई थी. सुशील कुमार मोदी को बिहार भाजपा के ऐसे बड़े नेता के तौर पर याद किया जाएगा जिन्होंने राज्य में पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए धैर्यपूर्वक काम किया. बिहार के एक वैश्य परिवार में जन्मे सुशील मोदी ने पटना विश्वविद्यालय से बीएससी की पढ़ाई की. इसी दौरान वह छात्र राजनीति में आ गए. उन्होंने प्रसिद्ध समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में 1974 के बिहार आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. शादी के दिन उनके जीवन को नई दिशा मिली और उसके सूत्रधार थे अटल बिहारी वाजपेयी. 


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बिहार आंदोलन में वह नीतीश कुमार और अपने विरोधी लालू प्रसाद यादव के संपर्क में आए. वह आगे चलकर बिहार में RSS की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रमुख नेता बने. सुशील मोदी राजनीति में लाने का श्रेय दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी को दिया करते था. उन्होंने प्रेम विवाह किया था और आशीर्वाद देने वाजपेयी पहुंचे थे.  


सुशील मोदी अक्सर एक किस्सा सुनाते थे. वह बताते कि 1986 में उनके विवाह समारोह में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी ने उनसे कहा था कि अब छात्र राजनीति छोड़ो और पूर्णकालिक राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का समय आ गया है. यहीं से सुशील मोदी की राजनीति दौड़ने लगी. 


सुशील मोदी की शादी में अटल के भाषण का एक अंश


देवियों और सज्जनों, आशीर्वाद देने के लिए पहले ऐसे लोग बुलाए जा रहे हैं जो कभी विवाह के बंधन में बंधे नहीं... मैं इस अवसर पर आनंद प्रकट कर रहा हूं. उत्तर और दक्षिण का मिलन हो रहा है. वधु केरल की है... सुशील जी ने विवाह का फैसला किया, यह अपने में एक महत्वपूर्ण बात है... मैं एक और स्वार्थ से आया हूं. अब सुशील जी विद्यार्थी नहीं रहे और श्रीमती मोदी तो पढ़ाती हैं. मैं उन्हें निमंत्रण दे रहा हूं कि वह हमेशा कर्मक्षेत्र में रहे हैं, संघर्ष के क्षेत्र में रहे हैं. विद्यार्थी परिषद की उन्होंने काफी सेवा की. अब अगर वह उपयुक्त समझें तो राजनीति के क्षेत्र में आकर हम लोगों का हाथ बंटाएं. 



शुरू हो गई चुनावी यात्रा


सुशील मोदी ने 1990 में पटना मध्य विधानसभा सीट से अपनी चुनावी यात्रा शुरू की. शहर के पुराने लोग उन्हें एक विनम्र व्यक्ति के तौर पर याद करते हैं, जो स्कूटर पर चलते थे. 


सुशील मोदी को उनके दृढ़ संकल्प के लिए भी जाना जाता था. बिहार में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की सरकार के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ उन्होंने लगातार मोर्चा खोले रखा. सुशील मोदी उन याचिकाकर्ताओं में से एक होने पर गर्व करते थे जिस पर पटना उच्च न्यायालय ने बहुचर्चित चारा घोटाले की जांच सीबीआई द्वारा किए जाने के आदेश दिए थे. बाद में 1997 में लालू को मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. 


फिर लोकसभा गए सुशील मोदी


सुशील मोदी ने बिहार विधानसभा में विपक्ष के एक सशक्त नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई. इस पद पर वह 2004 तक रहे जब तक कि भागलपुर से लोकसभा के लिए निर्वाचित नहीं हो गए. हालांकि, एक साल बाद, राज्य विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल-कांग्रेस गठबंधन हार गया और मोदी बिहार में वापस आ गए.


सुशील मोदी को JDU के नेता और सीएम नीतीश कुमार का करीबी माना जाता था. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लंबे समय तक राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में काम किया. इस महत्वपूर्ण अवधि के दौरान पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष का पद भी सौंपा और मोदी ने दोनों जिम्मेदारियों को कुशलता से निभाया.


नीतीश और सुशील की हिट जोड़ी


2013 में नीतीश कुमार के भाजपा से पहली बार अलग होने तक सुशील मोदी उपमुख्यमंत्री के पद पर थे और चार साल बाद जब JDU सुप्रीमो एक बार फिर से NDA में शामिल हुए तो वह वापस इस पद आसीन किए गए. नीतीश कुमार और सुशील मोदी के बीच तालमेल बिहार की राजनीति में हमेशा चर्चा में रही. लोग मिसालें दिया करते थे. 


जेडीयू के नेता अक्सर अपने भरोसेमंद पूर्व उपमुख्यमंत्री को दरकिनार किए जाने पर अफसोस जताया करते थे. दरअसल, सुशील मोदी को राज्यसभा सदस्य के रूप में दिल्ली भेज दिया गया था. भाजपा के कुछ नेता मुख्यमंत्री की लोकप्रियता घटने के बावजूद भाजपा के बढ़त न हासिल करने के पीछे नीतीश कुमार के प्रति सुशील मोदी के नरम रुख को जिम्मेदार मानते थे.


सुशील मोदी ने एक दशक से अधिक समय तक महत्वपूर्ण वित्त विभाग संभाला था और राज्य के आर्थिक बदलाव की पटकथा लिखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. आज जब वह इस दुनिया में नहीं हैं तो नेता उन्हें जीएसटी में विशेष भूमिका के लिए भी याद कर रहे हैं.