Navratri 2024: नवरात्रि पर पहली बार काशी विश्वनाथ धाम के गर्भगृह में विराजमान होंगी माता रानी, दर्शन के साथ 9 दिन जगमगाएगा मंदिर
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Navratri 2024: नवरात्रि पर पहली बार काशी विश्वनाथ धाम के गर्भगृह में विराजमान होंगी माता रानी, दर्शन के साथ 9 दिन जगमगाएगा मंदिर

Shardiya Navratri 2024: पहली बार काशी विश्नाथ मंदिर में भी नौ दिनों तक अलग देवी की पूजा आराधना की जाएगी. मंदिर प्रशासन शारदीय नवरात्र को लेकर विशेष तैयारियों में जुटा है. काशी विश्वनाथ के धाम में माता गर्भगृह में विराजमान होंगी.

 

Shardiya Navratri 2024

Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं. भगवान शिव की नगरी में भी भक्त इसे बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. लेकिन पहली बार काशी विश्नाथ मंदिर में भी नौ दिनों तक अलग देवी की पूजा आराधना की जाएगी. मंदिर प्रशासन शारदीय नवरात्र को लेकर विशेष तैयारियों में जुटा है. काशी विश्वनाथ के धाम में माता गर्भगृह में विराजमान होंगी. साथ ही मंदिर परिसर में कलश की स्थापना भी की जाएगी.  

मंदिर प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक काशी विश्वनाथ मंदिर में माता के भक्त गर्भगृह में 9 दिनों तक माता के अलग-अलग स्वरूप का पूजन और दर्शन कर सकेंगे. काशी विश्वनाथ मंदिर में पहली बार भगवान विश्वनाथ के साथ माता पार्वती के अलग-अलग स्वरूपों के दर्शन भक्तों को नवरात्रि होते रहेंगे. विश्वनाथ मंदिर परिसर में कलश स्थापना करने के साथ ही समस्त धार्मिक अनुष्ठानों को 9 दिनों तक पूरा किया जाएगा.

3 अक्टूबर को कलश स्थापना 
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन 3 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग और शुभ मुहूर्त में विधि विधान से कलश की स्थापना कराई जाएगी. कलश स्थापना के साथ ही रोजाना देवी की आराधना और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा. साथ ही बनारस लोकगीत पचरा, बंगाली लोक नृत्य धनुची, महिषासुरमर्दिनी स्तोत्र पर नृत्य की प्रस्तुति के साथ ही राम-रावण युद्ध समेत कई अन्य रामायण के किरदारों के साथ रामायण की चौपाइयों के साथ मंचन भी किया जाएगा.

ऐसे होगा 9 दिन का कार्यक्रम
पहले दिन शाम को मंदिर के चौक परिसर में भजन लोकगीत कार्यक्रम होगा. वहीं दूसरेदिन रामलीला मंचन होगा.  तीसरे दिन रावण का वध होगा, जिसके बाद मंदिर परिसम में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. चौथे दिन बंगाली लोक नृत्य, पांचवें दिन ललिता सहस्त्र स्त्रोत 51 शक्तिपीठों को प्रतिबिंबित करती 51 मातृ शक्तियां करेंगी. छठवें दिन महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र पर नृत्य, सातवें दिन देवी का भजन, आठवें दिन देवी के 9 स्वरूपों के दर्शन करवाएंगे, नौवें दिन प्रात काल हवन पूजन के साथ ही भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा.

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