Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र के सोलापुर में चुनाव प्रचार के दौरान पुलिस ने एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी को मंच से ही नोटिस थमा दिया. पुलिस का कहना था कि यह नोटिस उन्हें भड़काऊ भाषण देने से रोकने के लिए दिया गया है. ओवैसी इस नोटिस को काफी देर तक पढ़ते रहे और फोन पर किसी से बातचीत भी की.


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पुलिस की हिदायत पर ओवैसी का तंज


नोटिस मिलने के बाद ओवैसी ने मंच से ही पुलिस पर तंज कसा और नोटिस को "लव लेटर" बताया. उन्होंने कहा कि सोलापुर पुलिस ने उन्हें सेक्शन 168B के तहत यह नोटिस दिया है, जिसे वे मजाकिया अंदाज में "बहुत मोहब्बत" बताते हैं. उनके इस व्यंग्यात्मक बयान पर समर्थकों की भीड़ में हलचल मच गई.


नोटिस की भाषा पर किया कटाक्ष


ओवैसी ने पुलिस के नोटिस की भाषा पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि नोटिस में "लीगल" शब्द की स्पेलिंग भी गलत लिखी गई है. ओवैसी ने पुलिस की इस गलती को मंच से सुधारते हुए कहा कि नोटिस में यह ग़लती न होनी चाहिए थी. उनका यह व्यंग्यात्मक जवाब रैली में मौजूद लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया.


15 मिनट वाले बयान पर किया व्यंग


ओवैसी ने मंच से 15 मिनट के उस बयान का भी मजाक उड़ाया, जिसे लेकर उनका नाम अक्सर चर्चा में रहता है. उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, "अभी टाइम कितना है, 15 मिनट है," और फिर तुरंत "सॉरी" कहकर पीछे हट गए. उनके इस व्यंग्यात्मक अंदाज से समर्थकों के बीच ठहाके गूंज उठे.


सोलापुर में पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में पहुंचे थे ओवैसी


ओवैसी सोलापुर में एआईएमआईएम के प्रत्याशी फारूक शाबदी के प्रचार के लिए पहुंचे थे. महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में एआईएमआईएम 16 सीटों पर उम्मीदवार उतार रही है, और प्रचार के लिए ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन महाराष्ट्र में ही डेरा डाले हुए हैं.


औरंगाबाद में मुस्लिम वोटों का समर्थन बढ़ा


महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एआईएमआईएम को मुस्लिम वोटरों का बढ़ा समर्थन मिल रहा है. यहां के निवासियों का कहना है कि पार्टी राज्य में मुस्लिम समुदाय की आवाज़ के रूप में उभरने की कोशिश कर रही है. औरंगाबाद, जहां मुस्लिम आबादी बड़ी संख्या में है, एआईएमआईएम की प्रमुख महत्वाकांक्षाओं का केंद्र बना हुआ है.


मुस्लिम वोटों में विभाजन से बचने की रणनीति


एआईएमआईएम इस बार महाराष्ट्र में सिर्फ 16 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि पिछली बार पार्टी ने 52 सीटों पर किस्मत आजमाई थी. पार्टी के स्थानीय नेताओं का मानना है कि इस रणनीति से मुस्लिम वोटों में विभाजन कम होगा, जिससे महाविकास अघाड़ी को लाभ हो सकता है.