जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव का मौका आया है तो सियासी दांव-पेच भी खूब देखने को मिल रहे हैं. जी हां, वोटिंग से ठीक पहले पुलवामा विधानसभा सीट पर 'खेला' हो गया है. अवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) के उम्मीदवार मोहम्मद इकबाल सोफी कुछ घंटे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल हो गए. इस मौके पर खुद उमर अब्दुल्ला मौजूद थे. एआईपी वही पार्टी है जिसके मुखिया और बारामुला सांसद इंजीनियर राशिद को चुनाव से पहले जमानत मिली थी तो घाटी में नेता बेचैन हो उठे थे. इसे बीजेपी की रणनीति कहा जाने लगा था.


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AIP ने भी चला है दांव


कुछ घंटे पहले ही प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी और AIP ने चुनाव को लेकर एक रणनीतिक गठबंधन का ऐलान किया. प्रतिबंधित संगठन की तरफ से घाटी में 9 कैंडिडेट्स को निर्दलीय खड़ा कराया गया है. राशिद की पार्टी एआईपी ने 34 कैंडिडेट उतारे हैं जिसमें 33 घाटी में और एक जम्मू में. 24 घंटे भी नहीं बीते थे और एक कैंडिडेट मोहम्मद इकबाल सोफी ने पाला बदल लिया.



NC का झंडा थामते ही सोफी ने लोगों से विधानसभा चुनाव में एनसी-कांग्रेस अलायंस को सपोर्ट करने की अपील की. उन्होंने कहा, 'मैं पुलवामा से AIP उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहा था. मुझे यह जानकारी मिली कि एआईपी जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन कर रही है. वोटिंग 18 सितंबर को है और अचानक सोशल मीडिया से मुझे यह खबर मिली... मुझे विश्वास है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस सभी सीटें जीत जाएगी. मैं अपनी उम्मीदवारी वापस नहीं ले सकता इसलिए मैं सभी से एनसी-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार का समर्थन करने का अनुरोध करता हूं.'


उमर अब्दुल्ला बोले, राशिद की हकीकत सामने


उमर अब्दुल्ला ने कहा कि एआईपी के प्रमुख इंजीनियर राशिद की हकीकत लोगों के सामने आ रही है. उन्होंने कहा, 'यह अच्छी बात है कि इंजीनियर राशिद और उनकी पार्टी की वास्तविकता लोगों के सामने आ रही है. आज एन. सी. में शामिल होने वाले व्यक्ति AIP उम्मीदवार थे, इंजीनियर राशिद ने अपने उम्मीदवारों को छोड़ दिया है और किसी अन्य का समर्थन किया... यहां दो उम्मीदवार हैं (पुलवामा और कुलगाम से) जिन्हें इंजीनियर राशिद ने अंतिम समय में छोड़ दिया.'


शेख अब्दुल राशिद को लोग इंजीनियर राशिद के नाम से जानते हैं. उमर अब्दुल्ला ने तंज कसते हुए कहा कि उनके तार कहीं और जुड़े हुए हैं. अब्दुल्ला ने कहा कि यह साफ है कि उन्हें नेशनल कॉन्फ्रेंस को निशाना बनाने के लिए मैदान में उतारा गया है.


पिछले हफ्ते दिल्ली की एक विशेष अदालत ने टेरर फंडिंग मामले में आरोपी राशिद को जमानत दे दी थी. उन्हें जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में प्रचार करने की अनुमति भी दी गई. जम्मू-कश्मीर में 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को चुनाव होंगे. वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी. अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद कश्मीर में होने वाले यह पहला विधानसभा चुनाव है.