UP Bypolls 2024: इसमें कोई शक नहीं कि यूपी के उप चुनाव बीजेपी और समाजवादी पार्टी के लिए नाम की लड़ाई बन चुका है.. 9 विधानसभा सीटों के उपचुनावों में हर पार्टी राजनीति का हर दांव बड़े सलीके से चल रही है. इसी कड़ी में यूपी के मीरापुर सीट पर मुकाबला बेहद ही दिलचस्प हो गया है. मीरापुर सीट पर कुल पांच कैंडिडेट मुकाबले में हैं. लेकिन यहां चार मुस्लिम बनाम एक हिंदू कैंडिडेट की जंग चर्चा में है. मुस्लिम बहुल मीरापुर में कैसे मुस्लिम वोटों के बंटने की और मुस्लिम कैंडिडेट्स का पत्ता कटने की चर्चा जोर पकड़ रही है, चलिए जानते हैं.


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10 दिन में किसका बदलेगा गेम?


13 नवंबर से 23 नवंबर. ये दस दिन यूपी की सियासत के लिए बेहद खास होने वाले हैं. उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनाव के लिए एनडीए और इंडिया गठबंधन या कहिये योगी और अखिलेश की लड़ाई है. PDA और हिंदुत्व के बीच घमासान है  और वोट बैंक को साधने की सीधी टक्कर है. और बीजेपी ने इस सीट पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. विपक्ष की चुनौतियों की काट ढूंढने की तैयारी शुरू कर दी है.


उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में सभी की निगाहें पश्चिम यूपी की मीरापुर सीट पर टिकी हैं और इसकी वजह है कि मीरापुर चुनाव में उतरे कैंडिडेट. मुस्लिम बहुल माने जाने वाले मीरापुर में बीजेपी और आरएलडी गठबंधन को छोड़कर सभी ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं, जिससे इस सीट पर मुस्लिम वोट बैंक के बंटने की संभावना बढ़ गई है.


सीट शेयरिंग में आरएलडी के खाते में आई मीरापुर सीट पर केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने खतौली उपचुनाव जैसा ही सियासी प्रयोग किया है. 


जयंत ने मिथलेश पाल को बनाया उम्मीदवार


मुस्लिम-जाट-गुर्जर बहुल माने जाने वाली मीरापुर सीट पर जयंत ने मिथलेश पाल को प्रत्याशी बनाया है. जबकि समाजवादी पार्टी ने सुम्बुल राणा को टिकट दिया है. बहुजन समाज पार्टी की तरफ से शाह नजर चुनाव लड़ रहे हैं. तो वहीं आजाद समाज पार्टी ने जाहिद हुसैन कोट और AIMIM ने अरशद राणा को चुनावी मैदान में उतारा है.


2013 दंगे के बाद से देखा गया है कि मुस्लिम समाज चुनाव के आखिरी समय में एकजुट होकर एक तरफा वोट करता है. चाहे विधानसभा चुनाव हों या लोकसभा चुनाव या फिर उपचुनाव. हर बार मुस्लिम समाज का रुख समाजवादी पार्टी की तरफ ही देखने को मिला है. लेकिन इस बार टक्कर चार मुस्लिम चेहरा बनाम एक हिंदू चेहरे की है. और अगर मुस्लिम वोट बंटता है तो इसका सीधा फायदा बीजेपी गठबंधन को होगा.


क्या हैं मीरापुर के जातीय समीकरण?


मीरापुर सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां 3.23 लाख से अधिक मतदाता हैं, जिनमें सवा लाख से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं. मुस्लिम के बाद दलित करीब 57 हजार वोटर हैं. इसके अलावा 28 हजार जाट, 22 हजार गुर्जर,18 हजार प्रजापति,15 से 20 हजार पाल, सैनी सहित अन्य ओबीसी जातियां हैं.


फीसदी के लिहाज से देखें तो 38 फीसदी ओबीसी, 37 फीसदी मुस्लिम, 20 फीसदी दलित और पांच फीसदी सवर्ण जातियों का वोट है. ऐसे में जहां समाजवादी पार्टी अपने PDA फॉर्मूला के जरिए 95 फीसदी वोट को अपने पाले में लाने का दावा कर रही है तो वहीं एनडीए हिंदुत्व और ओबीसी के जरिए मीरापुर पर कब्जे की तैयारी में है.


कब कौन जीता?


मीरापुर सीट पर पिछले पांच चुनाव की अगर बात करें तो 2007 में राष्ट्रीय लोकदल से कादिर राणा, 2009 में राष्ट्रीय लोकदल की ही मिथलेश पाल विधायक रही हैं. तो वहीं 2012 में बीसीपी के मौलाना जमीन, 2017 में बीजेपी के अवतार सिंह भडाना और 2022 में चंदन सिंह चौहान ने सीट पर जीत हासिल की थी.


यानि मीरापुर का पिछला रिकॉर्ड बताता है कि यहां मुस्लिम और समाजवादी पार्टी का वजूद ना के बराबर है. लेकिन लोकसभा चुनावों के बाद जिस तरह यूपी का सियासी समीकरण बदला है ऐसे में कयास यही लगाए जा रहे हैं कि मीरापुर उप चुनाव की सीधी फाइट सिर्फ और सिर्फ लोकदल की प्रत्याशी मिथलेश पाल और समाजवादी पार्टी की सुम्बुल राणा के बीच ही देखने को मिलेगी.