UP Upchunav 2024: यूपी में असेंबली की 9 सीटों को लेकर चुनावी रण की बिसातें बिछ गई हैं. इन इलेक्शन में बीजेपी और सपा के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है, वहीं बसपा इन उपचुनावों में उम्मीदवार उतारकर संघर्ष को तिकोना बनाने की कोशिश में है. मजे की बात ये है कि इस चुनाव में चाहे कोई भी जीते या हारे, इससे मौजूदा यूपी सरकार पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. फिर भी दोनों बड़ी पार्टियों इन चुनावों में जीत के लिए जान क्यों लड़ाए हुए हैं. इसे जानने के लिए आपको दोनों प्रमुख पार्टियों की रणनीति जाननी होगी. 


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लोकसभा चुनाव ने बीजेपी को दिया झटका


असल में यूपी में 2027 में असेंबली चुनाव होने हैं. बीजेपी जहां उन चुनावों में हैट्रिक बनाने के इरादे से उतरना चाहती है, वहीं सपा एक बार फिर राज्य में सत्ता पाने के लिए बेकरार है. चार महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. बीजेपी की लीडरशिप वाला NDA राज्य की 80 सीटों में से केवल 36 ही जीत पाया. जबकि सपा के नेतृत्व वाले इंडी गठबंधन ने 43 सीटें हासिल कीं. एक सीट निर्दलीय के खाते में गई.


नतीजों से पार्टी ने सीखा ये बड़ा सबक


लोकसभा चुनावों के नतीजों से प्रदेश में यह संदेश गया कि लोग अब भाजपा सरकार से विमुख हो चुके हैं और उससे छुटकारा पाना चाहते हैं. इन रिजल्ट ने बीजेपी आलाकमान पर बड़ा दबाव ला दिया. भाजपा अच्छी तरह जानती है कि अगर उसने इस संदेश की धार को कुंद नहीं किया तो 2027 के चुनाव में यूपी उसके हाथ से निकल सकता है. यही वजह है कि बीजेपी 10 में से 9 सीटों पर हो रहे उपचुनावों को बहुत गंभीरता से ले रही है. 


स्विंग वोटर्स को रिझाने की कोशिश


इन चुनावों के नतीजों पर भले ही योगी सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन इससे यह मैसेज जरूर जाएगा कि प्रदेश की जनता में भाजपा का जादू लगातार कायम है और आने वाले चुनावों में वह एक बार फिर वापसी करेगी. यह मैसेज उन स्विंग वोटर्स के लिए खासी अहमियत रखता है, जो आखिर वक्त तक हवा का रुख देखने के बाद अपने वोट का फैसला करते हैं. ऐसे में अगर उन्हें भाजपा जीतती हुई नजर आई तो वे उसके पक्ष में मुड़कर पार्टी को चुनाव में बड़ा फायदा पहुंचा सकते हैं. 


इन चुनाव में ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी के फेवर में एक बड़ा मैसेज जाएगा कि जनता किसे पसंद कर रही है. ऐसे में उसका 2027 में होने जा रहे असेंबली चुनाव में दावा मजबूत हो सकता है. लिहाजा दोनों पार्टियां उपचुनाव में इन सीटों को जीतने में पूरा जोर लगाए हुए हैं. हरियाणा में जीत की दहलीज तक पहुंचते- पहुंचते रह गई कांग्रेस भी बीजेपी से भन्नाई हुई है. उसकी रणनीति ये है कि हम तो डूबेंगे सनम लेकिन तुझे भी ले डूबेंगे. इसी रणनीति पर चलते हुए कांग्रेस ने यूपी की 10 में से 9 सीटों पर सपा का समर्थन करने का ऐलान कर दिया है. 


'अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी कांग्रेस'


कांग्रेस के यूपी प्रभारी अविनाश पांडेय ने प्रेसवार्ता में कहा, 'यूपी की 9 सीटों पर उपचुनाव है. बीजेपी जिस तरह से अपना एजेंडा चला रही है, यूपी की जनता ने लोकसभा चुनाव में उन्हें करारा जवाब दिया. अब वैसी ही जवाब उन्हें असेंबली चुनाव दिया जाएगा.' 


पांडेय ने कहा कि यूपी उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी का कोई उम्मीदवार नहीं होगा. इलेक्शन में सिंबल भी समाजवादी पार्टी का होगा ओर उम्मीदवार भी सपा का होगा. एक सवाल के जवाब में अविनाश पांडेय बोले, 'बात दो या चार सीट का नहीं है. बात इंडिया गठबंधन के मकसद की है. हमें एकजुटता का संदेश देना है. इसलिए कांग्रेस पार्टी ने फैसला लिया है कि वह यूपी उपचुनाव में अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी और इंडी गठबंधन के उम्मीदवारों का समर्थन करेगी. जिससे बीजेपी को रोका जा सके.' 


कांग्रेस महासचिव ने कहा कि कांग्रेस पार्टी देश के प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका बखूबी तरह से निभा रही है. पार्टी नेता राहुल गांधी ने हमेशा से कहा है कि आने वाले 2027 के चुनाव की तैयारी के लिए पार्टी जुट चुकी है. हम सपा के साथ कंधा से कंधा मिलाकर काम करेंगे और बीजेपी को प्रदेश से उखाड़ देंगे. 


BJP ने 8 सीटों पर दिए टिकट


बता दें कि यूपी में मिर्जापुर की मझवां, अयोध्या की मिल्कीपुर, गाजियाबाद की सदर, मैनपुरी की करहल, कानपुर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, अलीगढ़ की खैर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर उपचुनाव होने हैं. लेकिन कोर्ट केस की वजह से अयोध्या की मिल्कीपुर सीट को छोड़कर बाकी 9 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. इसके लिए 13 नवंबर को वोटिंग होगी. 


बीजेपी ने गाजियाबाद से संजीव शर्मा, खैर (अजा) से सुरेंद्र दिलेर, कुंदरकी से रामवीर सिंह ठाकुर, करहल से अनुजेश यादव, फूलपुर से दीपक पटेल, कटेहरी से धर्मराज निषाद और मझवां से सुचिस्मिता मौर्या और चौरासी (एसटी) से कारीलाल ननोमा को उतारा है. वहीं मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट सहयोगी रालोद के लिए छोड़ी है. जिस पर मिथिलेश पाल को टिकट दिया गया है. इन चुनावों में सपा भी अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है.