Satyajit Ray Film: सत्यजित रे भारतीय सिनेमा का वह नाम हैं, जिन्हें विश्व सिनेमा में बेहद सम्मान के साथ याद किया जाता है. उन्होंने मुख्य रूप से बंगाली भाषा में फिल्में बनाईं. वह हिंदी में उपन्यास सम्राट कहलाने वाले प्रेमचंद की कहानी शतरंज के खिलाड़ी के बड़े मुरीद थे. उन्होंने अपनी एकमात्र हिंदी फीचर इसी कहानी पर बनाई. हालांकि प्रेमचंद की एक अन्य कहानी सद्गति पर रे ने दूरदर्शन के लिए एक शॉर्ट फिल्म बनाई थी. रे की फिल्मोग्राफी में शतरंज के खिलाड़ी का बड़ा अहम स्थान है क्योंकि इसमें वह उस भारत के इतिहास में जाते हैं, जहां अंग्रेज उसे अजगर की तरह धीरे-धीरे निगल रहे थे. इस दौरान देश के राजा-महाराजाओं, नवाबों और रईसों की मानसिकता क्या थी, फिल्म उसी की बात करती है.


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नशा शतरंज का
शतरंज के खिलाड़ी अवध (वर्तमान लखनऊ) के नवाब वाजिद अली शाह के कमजोर पड़ने और अंग्रेजों के सामने हथियार डालने के घटनाक्रम के साथ-साथ दो रईसों मिर्जा सज्जाद अली (संजीव कुमार) और मीर रोशन अली (सईद जाफरी) की कहानी बताती है. दोनों रईसों को शतरंज का नशा है और वे रात-दिन इसकी बाजियों में जुटे रहते हैं. खेल-खेल में लड़ते-झगड़ते भी हैं परंतु फिर खेलने बैठ जाते हैं. वहीं ईस्ट इंडिया कंपनी लगातार आगे बढ़ते हुए अवध को अपने राज्य में मिला लेती है. मगर रईसों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता. रे ने फिल्म को इतनी खूबसूरती से बनाया है कि महसूस होता है आप प्रत्यक्ष 1856 ईस्वी में पहुंच गए हैं. फिल्म में अमजद खान वाजिद अली शाह की भूमिका में हैं. यहां शबाना आजमी, रिचर्ड एटनबरो, फरीदा जलाल, फारुख शेख, विक्टर बनर्जी भी अहम किरदारों में दिखेंगे. खास बात यह कि अमिताभ बच्चन की आवाज में यह कहानी सुनाई जा रही है.


सिनेमा का नगीना
शतरंज के खिलाड़ी को सिनेमा क्लासिक की श्रेणी में रखता है. सीमित बजट के बावजूद रे की फिल्म में भव्यता और एक्टरों का सधा हुआ काम नजर आता है. यहां संजीव कुमार और सईद जाफरी को देखने के बाद आप उन्हें भूल नहीं सकते. भारत में तो फिल्म की प्रशंसा हुई ही, यूरोप और अमेरिका में भी समीक्षकों ने इसकी जमकर तारीफ की. वाशिंगपोस्ट ने अपने रिव्यू में लिखा कि रे यहां इस मामले में हॉलीवुड के फिल्ममेकर्स से आगे नजर आते हैं कि इतिहास को किस तरह से पर्दे पर दिखाया जाना चाहिए. ऑस्कर अकादमी ने साल 2010 में शतरंज के खिलाड़ी को अपने प्रिजर्व प्रोजेक्ट खजाने में संभाल कर रख लिया. इस प्रोजेक्ट में दुनिया की चुनिंदा फिल्में शामिल हैं. 1978 में फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फिल्म समेत दो नेशनल अवार्ड और तीन फिल्म फेयर अवार्ड मिले थे. यह फिल्म आप यूट्यूब और जियो सिनेमा पर फ्री देख सकते हैं. अमेजन प्राइम पर सब्सक्राइबर्स के लिए यह उपलब्ध है.


पूरी सीरीज यहां पर मौजूद है


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