Aruna Irani And Mehmood: अरुणा ईरानी की गिनती हिंदी सिनेमा की शानदार कैरेक्टर आर्टिस्टों में की जाती है. उन्होंने करियर की शुरुआत चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में 1958 में आई फिल्म शिकवा से की थी. लेकिन उन्हें एक लीड एक्ट्रेस के रूप में सबसे पहला ब्रेक दिया, एक्टर-डायरेक्टर-प्रोड्यूसर महमूद ने 1972 में आई बॉम्बे टू गोआ में. कहते हैं कि अरुणा ईरानी का करियर बनाने में महमूद का बहुत बड़ा हाथ रहा है. महमूद और अरुणा ईरानी की जोड़ी फिल्मों में फेमस थी. दोनों सैकड़ों फिल्मों में साथ में दिखे. अरुणा ईरानी को महमूद इतना पसंद करते थे कि उन्हें न केवल अपनी फिल्म में लीड हीरोइन बनाया बल्कि उन्हें यह भी समझाया कि फिल्मों में क्या करें और क्या न करे?


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डर गईं अरुणा ईरानी
यह किस्सा है फिल्म पत्थर के सनम का. फिल्म 1967 में रिलीज हुई थी. मनोज कुमार, वहीदा रहमान, मुमताज, प्राण, महमूद, ललिता पवार तथा अरुणा ईरानी की फिल्म में मुख्य भूमिकाएं थी. राजा नवाथे ने फिल्म का निर्देशन किया था. ए ए नाडियाडवाला प्रोड्यूसर थे. महमूद ने अरुणा ईरानी से कहा कि वह प्रोड्यूसर से फीस के रूप में 25,000 रुपये की डिमांड करें. चूंकि इस फिल्म से पहले अरुणा ईरानी ने न तो कभी इतनी फीस ली थी और न ही वह यहां लीड रोल में थीं. इसलिए अरुणा ईरानी ने साफ इंकार कर दिया क्योंकि उन्हें डर था कि इतनी बड़ी रकम मांगने पर वह इस फिल्म से ही हाथ धो बैठेंगी.


रोल के हिसाब से फीस
महमूद ने उन्हें लगातार समझाया कि वैसा कुछ नहीं होगा, जैसा वह डर रही हैं. महमूद के कहने पर अरुणा ईरानी ने डरते-डरते प्रोड्यूसर के सामने अपनी बात रखी. उनके आश्चर्य की सीमा नहीं रही जब प्रोड्यूसर, बिना ना-नुकुर के उनकी बात मान गए. इस फिल्म के बाद अरुणा ईरानी ने अपने रोल के हिसाब से फीस मांगना शुरू कर दी. उन्हें इस बात का अहसास हो गया था कि उनकी भी फिल्म इंडस्ट्री में हैसियत है और इस बात का अहसास उन्हें दिलाया था महमूद ने.


बहुत खास था रिश्ता
77 बरस की हो चुकीं अरुणा ईरानी इन दिनों प्रोड्यूसर-डायरेक्टर कुकू कोहली के साथ घर बसाकर खुश है. लेकिन वह मानती है कि उनके जीवन में महमूद साहब की एक अलग जगह है. वह जगह सम्मान की है, दोस्त की है, एक गुरु की है. जब वह फिल्म इंडस्ट्री में आईं तो उन्हें कोई काम ही नहीं दे रहा था. महमूद की वजह से ही उन्हें काम मिलने लगे. वह यह भी मानती है कि एक समय वह महमूद के काफी करीब आ गई थी. उन्हें चाहने लगी थी. लेकिन यह रिश्ता आगे दोस्ती तक ही कायम रहा क्योंकि महमूद शादीशुदा थे.