Neha Sharma Film: जोगी का जुगाड़ कभी फेल नहीं होता. फिल्म जोगीरा सारा रा रा में जोगी बने नवाजुद्दीन सिद्दिकी यह दावा करते हैं. लेकिन बॉलीवुड फिल्मों के तमाम पुराने आइडियों के जुगाड़ से बुनी यह कहानी शुरुआती लटकों-झटकों के बाद अपना असर खो देती है. घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन ड्रामा एक पॉइंट के बाद आगे नहीं बढ़ता. इधर बॉलीवुड की कई फिल्मों में हीरो कभी लव गुरु बनकर सैटिंग कराते दिखे हैं, तो कुछ ही महीने पहले आई तू झूठी मैं मक्कार का हीरो प्रोफेशनल ढंग से प्रेमियों का ब्रेक-अप कराते दिखा है. इस फिल्म में जोगी दोनों काम कराता है. सैटिंग भी और ब्रेकिंग भी. लेकिन फिर खुद चक्कर में फंस जाता है. वह पहले ही अपने परिवार में आधा दर्जन महिलाओं से घिरा है. वह अपनी जिंदगी में एक और औरत नहीं चाहता. इन्हीं बातों के बीच से फिल्म की कॉमेडी निकलती है. जिसमें हीरोइन के किडनैपिंग ड्रामा से तड़का लगाया जाता है.


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कुछ तो लोग कहेंगे
फिल्म का मूल आइडिया रोचक है. जोगी प्रताप (नवाजुद्दीन सिद्दिकी) यूपी में वेडिंग प्लानर है. कंपनी है, शानदार इवेंट्स. जोगी शादियां जमाता भी है और कराता भी है. उसे डिंपल चौबे (नेहा शर्मा) और लल्लू पांडे (महाक्षय चक्रवर्ती) की शादी का कॉन्ट्रेक्ट मिलता है. फिर जोगी को पता चलता है कि डिंपल इस लड़के से शादी करना नहीं चाहती. ऐसे में जोगी शादी तुड़वाने में डिंपल की मदद करता है. लड़की चाहती है कि लड़का ना कहे. ऐसे में जोगी कई जुगाड़ वाले आइडिये लाता है, लेकिन सब बेकार. अंत में लड़की की किडनैपिंग की योजना बनती है और किडनैपिंग के साथ जोगी लड़के को समझाने में कामयाब होता है कि लोग क्या कहेंगे! जिस लड़की को बदमाशों ने उठा लिया, उससे शादी. कितनी बातें बनेंगी. लड़के को बात समझ आती है और वह शादी से इंकार कर देता है.



बाकी के जुगाड़
जोगी का मिशन तो कामयाब होता है, लेकिन खेल तब पलटता है जब बात आ जाती है कि अब जोगी को ही डिंपल से ब्याह रचाना पड़ेगा. इसके बाद जोगी आगे-आगे और डिंपल तथा उसका खूंखार पिता पीछे-पीछे. क्या जोगी को डिंपल से शादी करनी पड़ेगी या फिर वह कुछ और जुगाड़ लगा पाने में कामयाब रहेगाॽ बाकी की कहानी इस सवाल का जवाब ढूंढती है. जोगीरा सारा रा रा की समस्या यह है कि इसके हीरो-हीरोइन-किरदारों से लेकर तमाम दृश्यों को देखते हुए लगातार लगता है कि देखा-देखा सा है. डायलॉग कहीं-कहीं गुदगुदाते हैं लेकिन कुल मिलाकर बात नहीं बनती. कहानी का गोंद जल्द ही खत्म हो जाता है.


मैदान नया नहीं
शादी के लिए सरकारी नौकरी वाला लड़का, दहेज, मोटापा, लुक्स, पुलिस, क्राइम, कमीनशनखोरी जैसी अनेक बातें बीच-बीच में आती हैं और लगता है कि लेखक-निर्देशक इनके बहाने कुछ कह रहे हैं. लेकिन यह आवाजें कभी बहुत स्पष्ट नहीं होती. कॉमेडी का टोन भी जल्द ही एकरसता का शिकार हो जाता है. यूपी के शहरों की हल्की-फुल्की कॉमिक टोने वाली कहानियां बीते कुछ वर्षों में आई हैं. इसलिए अब यह नया मैदान नहीं रह गया. निर्देशक कुषाण नंदी नई जमीन नहीं तोड़ पाते. फिल्म को अगर कोई देखने लायक बनाता है, तो वह हैं इसके एक्टर.


एक्टरों के इंप्रेशन
नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने अपने रोल को अच्छे ढंग से निभाया है, इसमें संदेह नहीं. लेकिन रोमांटिक-मसाला फिल्मों में वह कंटेंट सिनेमा की तरह अपनी सीमाएं नहीं लांघते. इसलिए वह नाच-गाने वाली रूटीन फिल्मों में रूटीन नवाज लगते हैं. अगर आपको ऐसे नवाज से शिकायत न हो, तो यह फिल्म उनके लिए देख सकते हैं. नेहा शर्मा अपने परफॉरसमेंस से कई जगह पर चौंकाती हैं. लेकिन जो दो कलाकार अलग निकलकर याद रहते हैं, वह हैं संजय मिश्रा और महाक्षय चक्रवर्ती. चाचा चौधरी बने संजय मिश्रा अपने अंदाज और संवादों से हंसाते हैं. लेकिन महाक्षय को देख कर आपको हैरानी होगी. उन्होंने इस फिल्म में खुद को बिल्कुल नए ढंग से पेश किया है. लल्लू के रूप में वह वाकई लल्लू लगते हैं, लेकिन अंत में उनका इंप्रेशन सबसे गहरा साबित होता है. फिल्म का गीत-संगीत औसत है. कैमरावर्क भी. बॉलीवुड की रूटीन-मसाला रॉम-कॉम फिल्मों के साथ अब सुविधा यह है कि आपके पास खाली वक्त है और दिमाग पर ज्यादा जोर नहीं डालना चाहते तो ओटीटी पर इन्हें देखा जा सकता है. 


निर्देशकः कुषाण नंदी
सितारे: नवाजुद्दीन सिद्दिकी, नेहा शर्मा, संजय मिश्रा, महाक्षय चक्रवर्ती, जरीना वहाब, फारूक जफर
रेटिंग**