Janet Leigh Shower Scene: यह बातें तो अक्सर आपने पढ़ी-सुनी होंगी की फिल्म की शूटिंग का कलाकारों के दिमाग पर कैसे असर पड़ता है. फिर उन्हें उन किरदारों की जिंदगी या मानसिकता से बाहर निकलने के लिए मेहतन करनी पड़ती है. परंतु हॉलीवुड की दुनिया भर में चर्चित फिल्म साइको (1960) की एक्ट्रेस जेनेट लिन का, फिल्म के सबसे चर्चित शॉवर सीन का इतना भयानक असर पड़ा कि उन्होंने शावर के नीचे खड़े होकर नहाना ही बंद कर दिया. फिल्म रिलीज होने के 24 साल बाद प्रकाशित एक इंटरव्यू में लिन ने बताया कि साइको के उस कुख्यात दृश्य के बाद मैंने शावर लेना बंद कर दिया. मैं सामान्य रूप से ही स्नान करती रही. यह इंटरव्यू लिन की मौत के 14 साल बाद प्रकाशित हुआ था.


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क्या था सीन में
अल्फ्रेड हिचकॉक की इस फिल्म में एक ऐसी युवती की कहानी थी, जो बैंक में काम करती है और वहां से 40 हजार डॉलर नकद लेकर भाग जाती है. परंतु एक होटल में मारी जाती है. चाकू से गोद-गोदकर उसकी हत्या तब होती है, जब वह बाथरूम में शॉवर के नीचे नहा रही होती है. लिन ने इस युवती का किरदार निभाया था. लिन ने इंटरव्यू में कहा कि फिल्म के इस सीन ने मेरे मन पर डरवना असर किया. इसके बाद मैं जब भी किसी ऐसी जगह जाती, जहां अकेली होती तो मैं सिर्फ सामान्य रूप से स्नान करती. कभी शॉवर नहीं लेती. यही नहीं, नहाने से पहले मैं यह चैक करती कि कमरे के दरवाजे और खिड़कियां बंद हों. लेकिन मैं तब भी बाथरूम का दरवाजा खुला छोड़ देती. साथ ही शॉवर पर्दा भी नहीं लगाती. मैं नहाते हुए हमेशा दरवाजे की तरफ देखती रहती.


लोगों ने लिखी चिट्ठियां
जेनेट लिन ने बताया कि शॉवर सीन से उनके दिमाग पर जो असर हुआ, उसी तरह से कई लोगों ने भी उन्हें परेशान किया. कई लोगों ने साइको देखने के बाद उन्हें डरावनी चिट्ठियां लिखीं. जिसमें उन्हें धमकी दी कि वे उसी तरह से बाथरूम में घुसकर उनकी हत्या कर देंगे, जैसे फिल्म में नॉर्मन बेट्स ने मैरियन क्रेन (जेनेट लिन) की हत्या की थी. इन चिट्ठियों ने जेनेट लिन को और बुरी तरह डरा दिया. ऐसी चिट्ठियां जब हर हफ्ते सैकड़ों की संख्या में आने लगीं तो उन्होंने इस मामले की पुलिस और खुफिया एजेंसी में शिकायत की. तब एफबीआई ने मामले को अपने हाथ में लिया. सौभाग्य से जेनेट के साथ कोई हादसा नहीं हुआ.


45 सेकेंड, 70 कैमरे
उल्लेखनीय है कि साइको की कहानी में यह पूरा सीन बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यहीं से कहानी बेहद रोचक टर्न लेती है और आखिर तक हत्या तथा हत्यारे के बारे में कुछ अहम राज खुलते हैं. अल्फ्रेड हिचकॉक ने कितनी गंभीरता और बारीकी से इस सीन को शूट किया, कुछ अहम बातों से पता चलता है. उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि मात्र 45 सेकेंड के इस दृश्य को शूट करने में सात दिन लगे थे और इसे शूट करने के लिए 70 कैमरों का सैटअप लगाया गया था. इस फिल्म के लिए जेनेट को 1961 में ऑस्कर की बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस कैटेगरी नॉमिनेट किया गया था, परंतु उन्हें ट्रॉफी नहीं मिल सकी. 77 साल की उम्र में जेनेट का निधन 2004 में हुआ था.