नई दिल्ली: बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से निकले हम... वैसे तो मिर्जा गालिब के इस शे़र का क्रिकेट से कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन जब बात दक्षिण अफ्रीका और विश्व कप (World Cup 2019) की हो यह शेर बरबस ही याद आ जाता है. दक्षिण अफ्रीका (South Africa) एक बार फिर विश्व कप से ‘बेआबरू होकर’ बाहर जाने को तैयार है. मंच सज चुका है. वह सात में से पांच मैच हार चुकी है. बस दो मैच और... इसके बाद फाफ डू प्लेसिस की यह टीम छह जुलाई को बोरिया- बिस्तर बांधकर घर लौट जाएगी. 

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दक्षिण अफ्रीका ने रंगभेद नीति के बाद 1991 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की थी. तब से ही इस टीम को क्रिकेटप्रेमियों का हमेशा ही प्यार मिला. इसने भी हमेशा ही अच्छा प्रदर्शन किया. लेकिन विश्व कप में या तो इस टीम को किस्मत दगा दे जाती या यह खुद ही भरभरा जाती. नतीजा यह हुआ कि इस पर चोकर्स का ठप्पा भी लग गया. अब जबकि यह टीम इस बार भी खिताबी रेस से बाहर हो चुकी है, तो हमने सोचा कि क्यों ना इसके 27 साल के विश्व कप के सफर को याद किया जाए, जो बड़ा दिलचस्प है... 

1992 में दक्षिण अफ्रीका ने पहली बार विश्व कप में हिस्सा लिया. उसने 8 में से 5 में से पांच मैच जीते और प्वाइंट टैली में तीसरे स्थान पर रहा. इसके बाद सेमीफाइनल मुकाबले हुए. सेमीफाइनल में वह इंग्लैंड को हराने के करीब था. तभी बारिश आ गई. खेल रुक गया. दोबारा खेल शुरू हुआ तो उसे एक गेंद पर 21 रन बनाने का लक्ष्य मिला. जाहिर है, अफ्रीकी टीम हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गई. 

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1996 में दक्षिण अफ्रीका ने ग्रुप में 5 में से पांच मैच जीते और पहले स्थान पर रहा. लेकिन क्वार्टर फाइनल में वेस्टइंडीज ने इसका रास्ता रोक दिया. ब्रायन लारा ने इस मैच में 111 रन की पारी खेली थी. 


1999 में दक्षिण अफ्रीका ग्रुप में 5 में से चार मैच जीतकर टॉप पर रहा. इसके बाद सुपर सिक्स में पांच में से तीन मैच जीते. लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में टाई मैच खेलकर टूर्नामेंट से बाहर हो गया. 

 



 


 


2003 में दक्षिण अफ्रीका ने जिम्बाब्वे के साथ मिलकर विश्व कप की मेजबानी की. इस बार दक्षिण अफ्रीकी टीम टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई. उसने छह में से तीन मैच जीते और दो हारे. एक मैच टाई रहा. वह पहली बार ग्रुप दौर से आगे नहीं बढ़ सका. अगर वह डकवर्थ लुइस नियम को सही ढंग से समझ पाते तो सुपरसिक्स में खेल रहे होते. लेकिन वही बात. किस्मत और चोकर्स... 

2007 में दक्षिण अफ्रीका ने ग्रुप में तीन में से दो मैच जीते. इसके बाद सुपर-8 में चार मैच जीते. इस तरह उसने सेमीफाइनल में जगह बनाई. लेकिन सेमीफाइनल में एक बार फिर वह ऑस्ट्रेलिया से पार नहीं पा सका और हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गया. 


2011 में दक्षिण अफ्रीका ने ग्रुप दौर में छह में से पांच मै जीते. वह ग्रुप में पहले नंबर पर रहा. बेहतरीन फॉर्म में होने के बावजूद वह क्वार्टर फाइनल में ही हार गया. इस बार उसका अभियान न्यूजीलैंड ने खत्म किया. 


2015 में दक्षिण अफ्रीका ने ग्रुप में छह में से चार जीते और दूसरे नंबर पर रहा. उसने क्वार्टर फाइनल में श्रीलंका को आसानी से हराया. सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को 43 ओवर में 282 रन का कठिन लक्ष्य दिया. न्यूजीलैंड ने यह लक्ष्य हासिल कर लिया और दक्षिण अफ्रीका का सफर यहीं थम गया.  

2019 में दक्षिण अफ्रीका सात में से पांच मैच हार चुका है. वह सिर्फ अफगानिस्तान से जीत सका है. उसका एक मैच बारिश से भी प्रभावित हुआ. अब उसके दो ही मैच बाकी हैं. अगर वह दोनों जीत ले तब भी उसके सिर्फ सात अंक ही रहेंगे. जबकि, चार टीमें अभी ही आठ या इससे अधिक अंक हासिल कर चुकी हैं.