टीम इंडिया के ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा अक्सर अपने खेल के इतर अन्य कारणों से भी चर्चा में रहते हैं. वे बुधवार को भी अचानक तब सुर्खियों में आ गए, जब उन्होंने पूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर को उनकी ‘औकात’ बताई. जडेजा ने मांजरेकर को बकवास नहीं करने की सलाह दी है. संजय मांजरेकर विश्व कप में कॉमेंट्री कर रहे हैं. बतौर कॉमेंटेटर न सिर्फ मांजरेकर, बल्कि सचिन तेंदुलकर भी खिलाड़ियों की कमियां गिनाते रहे हैं. लेकिन कभी भी किसी खिलाड़ी ने कॉमेंटेटर्स की बातों का यूं जवाब नहीं दिया, जैसा कि जडेजा ने दिया है. 


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आखिर वो क्या कारण है, जिसने रवींद्र जडेजा को इतना भड़का दिया कि उन्हें अपना गुस्सा जताने के लिए विश्व कप के दौरान ही ट्वीट करना पड़ गया. आखिर संजय मांजरेकर ने ऐसा क्या कह दिया कि रवींद्र जडेजा को अपने सीनियर खिलाड़ी की ‘औकात’ बताने की जरूरत पड़ गई. यह जानने के लिए पहले तो संजय मांजरेकर की टिप्पणी जाननी होगी. बल्कि हमें रवींद्र जडेजा की परिस्थितियों को भी परखना होगा. 


बता दें कि संजय मांजरेकर ने भारत और बांग्लादेश के मैच के दौरान रवींद्र जडेजा के लिए ‘Bits and pieces player’ शब्दों का इस्तेमाल किया. सरल भाषा में कहें तो उन्होंने जडेजा को कामचलाऊ क्रिकेटर बताया, जिस पर बड़े मैचों में भरोसा नहीं किया जा सकता. यही बात जडेजा को अखर गई और उन्होंने संजय मांजरेकर को बकवास बंद करने को कह डाला.
 




अब इसे संयोग ही कहा जा सकता है कि जिस दिन रवींद्र जडेजा ऐसा ट्वीट कर रहे हैं, उसी दिन अंबाती रायुडू ने संन्यास का ऐलान किया. क्रिकेटप्रेमी जानते हैं कि रायडू के संन्यास की एक वजह यह है कि चयनकर्ताओं ने उन्हें उम्मीद बंधाने के बाद लगातार नजरअंदाज किया. इसी बात से दुखी होकर उन्होंने संन्यास लिया. अब रवींद्र जडेजा विश्व कप की भारतीय टीम में शामिल तो हैं, लेकिन उन्हें खेलने का मौका नहीं मिल रहा है. यह भी महत्वपूर्ण है कि इस विश्व कप में भारत के 15 खिलाड़ी खेल चुके हैं. 


अब अगर हम संजय मांजरेकर की बात करें, तो उन्होंने पिछले तीन दिन में ही एमएस धोनी की धीमी बैटिंग पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने मोहम्मद शमी की डेथ ओवर्स में कमजोर गेंदबाजी पर सवाल उठाए. यह भी कहा कि केएल राहुल बतौर ओपनर प्रभावशाली प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसी ओपनर से यह उम्मीद की जाती है कि अगर वह अच्छी शुरुआत करे, तो उसे लंबी पारी खेलनी चाहिए. लेकिन इन तीनों ने ही मांजरेकर को कोई जवाब नहीं दिया. सचिन तेंदुलकर से लेकर वीवीएस लक्ष्मण तक इससे पहले धोनी और केदार जाधव की धीमी बल्लेबाजी की आलोचना कर चुके हैं. 


कोई शक नहीं, कि ऐसे में रवींद्र जडेजा के रुख को उचित नहीं कहा जा सकता. अगर वे यह कह रहे हैं कि संजय मांजरेकर ने उनसे कम मैच खेले हैं, इसलिए वे उनके बारे में राय नहीं रख सकते. तब तो यही बात वे चयनकर्ताओं के बारे में भी कह सकते हैं. मौजूदा चयनकर्ताओं में से किसी ने भी रवींद्र जडेजा के बराबर मैच नहीं खेले हैं. स्पष्ट है कि जडेजा को ऐसे विवादों में पड़ने की बजाय अपने खेल पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि वे विश्व कप की टीम का हिस्सा हैं, जो अपने अंतिम चरण में है. 

बता दें कि रवींद्र जडेजा ने 2012 से अब तक 232 इंटरनेशनल मैच खेले हैं. हालांकि, इसके बावजूद वे देश की टेस्ट या वनडे टीम में अपनी जगह पक्की नहीं कर पाए हैं. संजय मांजरेकर ने अपने नौ साल के करियर में 111 इंटरनेशनल मैच खेले थे.


(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)