वर्ल्ड कप में हमारे पास सिर्फ नंबर-3 तक बल्लेबाज थे, गावस्कर ने उठाया इन बातों से पर्दा
एक इंटरव्यू में गावस्कर ने अपने और अपने दिग्गज साथियों से जुड़ी कई अनकही और अनजानी बातों का खुलासा किया.
नई दिल्ली: मेरे जेहन में कई ऐसी यादें हैं जो मुझे सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) का फैन बनाती हैं. इनमें कई मौकों पर मैल्कम मार्शल और माइकल होल्डिंग की गेंदों को सीमा रेखा के बाहर पहुंचाना, दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर हुकिंग और शानदार कटिंग करना, लक्ष्य का पीछा करते हुए द ओवल मैदान पर 221 रनों की ऐतिहासिक पारी खेलना, बेंगलोर में पाकिस्तान के दिग्गज स्पिनरों इकबाल कासिम और तौसीफ अहमद के खिलाफ एकल लड़ाई लड़ना, ऑस्ट्रेलिया में वर्ल्ड चैम्पियनशिप ऑफ क्रिकेट जीतना, कराची में पाकिस्तान के पेस अटैक का बहादुरी से सामना करते हुए दोनों पारियों में शतक लगाना और ऑस्ट्रेलिया में जेफ थॉमसन के खिलाफ तीन शतक लगाना शामिल हैं.
हर एक याद ऐसी है, मानो कल की ही बात हो और हर एक याद को जीवंत करते हुए मन नहीं अघाता है. सुनील मनोहर गावस्कर कद में तो छोटे थे लेकिन क्रिकेट जगत में वह एक कद्दावर की तरह जिए. खुद गावस्कर ने ही कहा था-'छोटे कद के लोग अच्छे बल्लेबाज होते हैं क्योंकि लोवर सेंटर ऑफ ग्रेविटी उन्हें तेज गेंदबाजों और स्पिनरों के खिलाफ बैकफुट एवं फ्रंटफुट पर एक समान बढ़िया खेलने की आजादी देता है.'
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इस महीने की शुरुआत में इस आइकोनिक सलामी बल्लेबाज ने अपना 70वां जन्मदिन मनाया लेकिन उनके जन्मदिन का जश्न आईसीसी विश्व कप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के हाथों भारत की हार की भेंट चढ़ गया. आईएएनएस को दिए स्पेशल इंटरव्यू में गावस्कर ने अपने तथा अपने दिग्गज साथियों के बारे में कई अनकही और अनजानी बातों पर से पर्दा उठाया.
Q: क्या आज भी जब भी आपको समय मिलता है तो आप बॉम्बे जिमखाना में बैडमिंटन खेलते हैं और यह क्या आज भी डबल्स (कटेगरी) आपका पसंदीदा है? क्या यही कारण है कि आप युवावस्था में फिट थे और आपके 34 वेस्टलाइन में कभी कोई बदलाव नहीं हुआ? या फिर आपके लिए फिटनेस बैडमिंटन से कहीं अधिक है?
A: नहीं, मैं अब बॉम्बे जिमखाना में अब बैडमिंटन नहीं खेलता. मैंने 2011 में बैडमिंटन छोड़ दिया था. यह उस समय की बात है जब भारतीय क्रिकेट के कार्यक्रम और टीवी पर मेरी व्यस्ततता ने मुझे लगातार मुम्बई से दूर रखा. ऐसे में मेरे ग्रुप के लिए मेरा इतना लम्बा इंतजार कर पाना सम्भव नहीं.
Q: रवि (शास्त्री) लगातार कहते रहते हैं कि आज की टीम भारत की सर्वकालिक श्रेष्ठ टीम है. मैं तो यह मानता हूं कि आज की टीम में काफी अच्छा तेज गेंदबाजी आक्रमण है लेकिन इससे परे क्या है?
A: हर किसी को अपनी राय रखने की आजादी है और इसमें कोई बुराई नहीं है.
Q: क्या यह सच है कि बेंगलोर टेस्ट में जब आपने इकबाल कासिम और तौसीफअहमद की धारदार गेंदबाजी का सामना करते हुए एक बेमिसाल पारी खेली थी, तब पाकिस्तान के कप्तान इमरान खान ने आपके कहा था कि यह आपके लिए रिटायर होने का सही समय है और आपको उस वक्त का इंतजार नहीं करना चाहिए, तब आपसे ऐसा करने के लिए कोई कहे? वह आपकी बेमिसाल पारी थी और आपने हमारे लिए मैच लगभग जीत लिया था..
A: यह मेरे बारे में एक और मनगढंत कहानी है. सच्चाई यह है कि 1986 में भारत के इंग्लैंड दौरे के दौरान मैं और इमरान एक जगह लंच कर रहे थे और तब मैंने इमरान से कहा था कि मैं इस टूर के बाद रिटायरमेंट लेना चाहता हूं. इस पर इमरान ने कहा था कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि आने वाले फरवरी में पाकिस्तान को भारत का दौरा करना है. इमरान ने कहा कि उनकी इच्छा भारत को भारत में हराने की है और अगर मैं टीम में नहीं रहा तो उनकी खुशी कम हो जाएगी. मैंने उनसे कहा कि अगर इंग्लैंड दौरे तक पाकिस्तान के साथ होने वाली सीरीज की घोषणा नहीं हुई तो मैं इस सीरीज के बाद संन्यास ले लूंगा. हालांकि पाकिस्तान सीरीज की घोषणा 14 दिन में हो गई और इसलिए मैंने संन्यास का फैसला टाल दिया.
Q: आपने उसके बाद भी विश्व कप में हिस्सा लिया और वनडे मैचोंे में अपने एकमात्र शतक के साथ-साथ ढेरों रन बनाए. क्या उस समय तक आपकी टंकी में गैस (रनों की भूख) भरी हुई थी?
A: हां बिल्कुल,. मेरे टैंक में गैस भरी हुई थी (रनों की भूख बनी हुई थी) लेकिन मुझे कार चलाने में मजा नहीं आ रहा था और इसी कारण मैंने संन्यास लेने का फैसला किया.
Q: बॉम्बे क्रिकेट को क्या हुआ? महाराष्ट्र के युवा खिलाड़ी इज्जत और शोहरत के लिए अपना पूरा दमखम झोक रहे हैं लेकिन मुम्बई के लड़कों के अंदर का क्रिकेटर कहां चला गया?
A: यह सवाल मुम्बई क्रिकेट के नीचे जाने का नहीं है. अब हालात बदल चुके हैं. दूसरे राज्यों में खेल का स्तर काफी ऊंचा हो गया है और यही कारण है कि आज भारत के पास इतने सारे प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं.
Q: क्या आपको लगता है कि एमएस धोनी ने भारतीय क्रिकेट को लोकतांत्रिक बनाने का रास्ता खोला था और इसी का नतीजा है कि आज छोटे शहरों से बड़े खिलाड़ियों में भारतीय क्रिकेट में बड़ा नाम किया है?
A: क्या आप भारत के सबसे बड़े मैच विनर कपिल देव को भूल गए? कपिल ने सबसे पहले साबित किया था कि सफल होने के लिए आपको किसी महानगर से आने की जरूरत नहीं है. उससे पहले छोटे शहरों से आने वाले खिलाड़ियों में कर्नल सीके नायडू, विजय हजारे, मुश्ताक अली थे. यह अलग बात है कि कपिल के सफल होने के बाद छोटे शहरों के खिलाड़ियों के लिए एक अलग रास्ता खुला था.
Q: कई लोगों ने कपिल के साथ आपके खराब रिश्तों के बारे में जमकर लिखा लेकिन आज हालात यह है कि आप दोनों एक दूसरी की तारीफ करते नहीं अघाते..
A: भारतीय क्रिकेट कहानियों से भरा पड़ा है. यहां खिलाड़ियों के बीच दरार की बातें आम होती हैं. सीके नायडू के समय से ही यह चलन जारी है. आज के क्रिकेटरों के पीआर हैं और इसी कारण आज इस तरह के हालात नहीं पैदा हो पाते क्योंकि उन्हें बीच रास्ते में ही दबा दिया जाता है. आप सबकी जानकारी के लिए बताना चाहूंगा कि मेरे और कपिल के रिश्ते में एक दूसरे के लिए हमेशा सम्मान रहा है. हम हमेशा यह ध्यान रखते थे कि किसी अन्य चीज से पहले भारतीय क्रिकेट आता है.
Q: रणनीतिक तौर पर हमें विश्व कप में मध्यम क्रम में बल्लेबाजों की कमी खली और एक दिन ऐसा भी आया जब मध्य क्रम के साथ-साथ पूरी बल्लेबाजी की कलई खुल गई?
A: इस विश्व कप में हमारी बल्लेबाजी नम्बर-3 के बाद थी ही नहीं. अगर ये बल्लेबाज रन नहीं बनाते तो हम हमेशा मुश्किल में होते. सेमीफाइनल में हमारे साथ यही हुआ.
Q: अगर हम लोकेश राहुल की गिनती करें तो क्या हमें चार विकेटकीपरों को खिलाने की जरूरत थी जबकि हमारे पास भारत में एक से बढ़कर एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी पड़े हुए थे?
A: इस सवाल का जवाब सिर्फ टीम प्रबंधन दे सकता है.
Q: एक बार आपने मुझसे परफ्यूम बॉल के बारे में कहा था जिसे आप पास से गुजरने की प्रक्रिया में सूंघ लेते थे. आज के गेंदबाज 140-150 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गेंद फेंकते हैं लेकिन इसके बावजूद किसी के मन में डर नहीं होता? आपकी नजर में आपने जिन तेज गेंदबाजों का सामना किया है, उनमें सबसे खतरनाक कौन था? क्या गेंद की लेंथ महत्वपूर्ण थी या फिर विकेट का सजीव होना अहम था..
A: आज के प्रोटेक्टिव इक्वीपमेंट इतने अच्छे हैं कि बल्लेबाजों को शारीरिक चोट का डर नहीं रहता. इस दिशा में जबरदस्त सुधार हुआ है क्योंकि कोई भी मैदान पर गम्भीर चोट नहीं खाना चाहता. मैंने जिन गेंदबाजों का सामना किया है, उनमें से सबसे खतरनाक एंडी रॉबर्ट्स थे. उनके अंदर 60वें ओवर में ऐसी गेंद फेंकने की कला थी, जिसे खेलना लगभग नामुमकिन था. उस समय बाउंसर पर कोई रोक नहीं थी और यही कारण था कि उस समय ऐसी लेंथ की गेंदें आती थीं, जिन्हें बैकफुट पर जाकर खेलना पड़ता था. इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की पिचों पर अच्छी-खासी घास हुआ करती थी.