गावस्कर ने कहा, ‘अगर उन्होंने (चयनकर्ता) विंडीज दौरे के लिए कप्तान का चयन बिना मीटिंग के लिए कर लिया तो यह सवाल उठता है कि क्या कोहली अपनी बदौलत टीम के कप्तान हैं या फिर चयन समिति की खुशी के कारण हैं.’
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नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट में जब भी चयनकर्ताओं पर कड़ी टिप्पणी का जिक्र होता है तो मोहिंदर अमरनाथ याद आते हैं. इस दिग्गज ऑलराउंडर ने 1980 के दशक में खुद को टीम से बाहर किए जाने के बाद चयनकर्ताओं को ‘जोकर’ कह दिया था. करीब 30 साल बाद महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने अपने साथी क्रिकेटर अमरनाथ की ही तरह चयनकर्ताओं पर निशाना साधा है. उन्होंने विश्व कप सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद भी विराट कोहली को स्वाभाविक तौर पर कप्तान बनाए रखे जाने के फैसला पर सवाल खड़े किए हैं.
सुनील गावस्कर मानते हैं कि कोहली को दोबारा कप्तानी सौंपे जाने से पहले आधिकारिक बैठक होनी चाहिए थी. गावस्कर ने मिड-डे में प्रकाशित अपने लेख में लिखा है, ‘अगर उन्होंने (चयनकर्ता) वेस्टइंडीज दौरे के लिए कप्तान का चयन बिना किसी मीटिंग के लिए कर लिया तो यह सवाल उठता है कि क्या कोहली अपनी बदौलत टीम के कप्तान हैं या फिर चयन समिति की खुशी के कारण हैं.’ गावस्कर ने लिखा, ‘हमारी जानकारी के मुताबिक उनकी (कोहली) नियुक्ति विश्व कप तक के लिए ही थी. इसके बाद चयनकर्ताओं को इस मसले पर मीटिंग बुलानी चाहिए थी. यह अलग बात है कि यह मीटिंग पांच मिनट ही चलती, लेकिन ऐसा होना चाहिए था.’
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एमएसके प्रसाद की अध्यक्षता वाली बीसीसीआई (BCCI) की चयन समिति ने वेस्टइंडीज दौरे के लिए कोहली को तीनों फॉर्मेट का कप्तान नियुक्त किया है. इस सीरीज की शुरुआत फ्लोरिडा में होने वाले टी20 मुकाबलों से होगी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासकों की समिति (सीओए) ने साफ कर दिया कि वह विश्व कप में टीम के प्रदर्शन पर रिव्यू बैठक नहीं नहीं बुलाएगी. हालांकि, उसने कहा कि वह इस विश्व कप में टीम के प्रदर्शन को लेकर टीम मैनेजर की रिपोर्ट पर विचार करेगी.
सुनील गावस्कर ने पूरे मामले का मजाक उड़ाते हुए लिखा कि आखिरकार कोहली क्यों मनमाफिक टीम चुनने का हक पाते रहे हैं. उन्होंने लिखा, ‘चयन समिति में बैठे लोग कठपुतली हैं. पुनर्नियुक्ति के बाद कोहली को मीटिंग में टीम को लेकर अपने विचार रखने के लिए बुलाया गया. प्रक्रिया को बाईपास करने से यह संदेश गया कि केदार जाधव, दिनेश कार्तिक को खराब प्रदर्शन के कारण टीम से बाहर किया गया, जबकि विश्व कप के दौरान और उससे पहले कप्तान ने इन्हीं खिलाड़ियों पर भरोसा जताया था. नतीजा यह हुआ था कि टीम फाइनल में भी नहीं पहुंच सकी.’
बीसीसीआई के एक तबके का यह मानना था कि 2023 विश्व कप के ध्यान में रखते हुए तीनों फॉर्मेट के लिए अलग-अलग कप्तान बनाया जाना एक अच्छा कदम हो सकता था. इससे आने वाले समय में टीम को फायदा होता. हालांकि, चयनसमिति ने ऐसे कोई संकेत नहीं दिए हैं.