Crime News: दिल्ली-NCR में `मौत` का कारोबार, कैंसर के मरीज़ों की जान से ऐसे खिलवाड़ कर रहे दरिंदे
Fake Cancer Medicines News: दिल्ली पुलिस ने कैंसर के मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वाले 8 दरिंदों को गिरफ्तार किया है. वे कीमोथेरेपी की खाली शीशी में 100 रुपये की एंटी फंगल ड्रग भरकर उसे डेढ़ लाख रुपये में बेच देते थे.
Fake Cancer Medicines News in Hindi: दिल्ली-एनसीआर से नकली दवाओं के खेल का सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. सबसे परेशान करने वाली बात ये है कि इन नकली दवाओं में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी की दवाईयां भी शामिल हैं. जिसकी वजह से खतरा और भी बढ़ गया है. बीते एक हफ्ते में दिल्ली- NCR में नकली दवाओं के 3 रैकेट का भंडाफोड़ हो चुका है. दिल्ली में कैंसर की 9 बड़ी कंपनियों के नकली मेडिसिन तैयार कर बेचे जा रहे थे. मंगलवार को इस गोरखधंधे में शामिल 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
दिल्ली-एनसीआर में पुलिस का ऑपरेशन तेज
दिल्ली और गाजियाबाद में चल रहे इस गोरखधंधे के खुलासे के दौरान नकली दवाओं के साथ लाखों रुपये कैश भी ज़ब्त की गई. साथ ही पुलिस ने इस जानलेवा कारोबार से जुड़े एक दर्जन लोगों को भी गिरफ्तार किया है. इसके अलावा दिल्ली- NCR में कई ऐसी फैक्ट्री का भी पता चला है,जहां नकली दवाईयां तैयार की जाती थी. इस खतरनाक खुलासे के बाद पूरे दिल्ली-एनसीआर में क्राइम ब्रांच का ऑपरेशन तेज़ हो गया है.
नकली दवाओं के 'कैंसर' से हाहाकार
क्या देश की राजधानी दिल्ली नकली दवाओं की सबसे बड़ी मंडी बन गई है. क्या जानलेवा बीमारियों के इलाज का सबसे बड़ा डेस्टिनेशन मौत के व्यापार का फेवरेट ऑप्शन बन गया है. ये सवाल इसीलिए उठ रहे हैं, क्योंकि बीते दस दिनों में दिल्ली-एनसीआर से नकली दवाओं को लेकर एक के बाद एक खतरनाक खुलासे हो रहे हैं.
कैंसर की नकली दवाएं बेच रहा था गिरोह
नकली दवाओं का ताज़ा मामला कैंसर से जुड़ा है. लिहाज़ा ये खबर और भी खतरनाक हो जाती है. मौत के व्यापारियों के खिलाफ़ दिल्ली क्राइम ब्रांच के इस ऑपरेशन में हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं. क्राइम ब्रांच ने कैंसर की नकली दवाओं के रैकेट का भंडाफोड़ किया है. ये रैकेट कैंसर की कीमोथेरेपी की नकली दवाईयां तैयार करता था. फिर उसे असली दवाओं की शीशी में भरकर सप्लाई करता था.
8 आरोपी हुए गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इस जानलेवा कारोबार में शामिल 8 लोगों को गिरफ्तार किया है. जिसमें दिल्ली के नामी कैंसर अस्पताल के 2 कर्मचारी भी शामिल हैं. जिनका काम नकली दवाओं के सिंडिकेट को कीमोथेरेपी की असली दवाईयों की खाली शीशी सप्लाई करना था.
कीमोथेरेपी की नकली शीशी जुटाते थे
क्राइम ब्रांच की स्पेशल कमिश्नर शालिनी सिंह ने बताया कि पुलिस ने रेड के दौरान नकली दवाईयों की खेप के साथ-साथ उन मशीनों को भी जब्त किया है, जिनके जरिये ये फर्जी दवाईयां तैयार की जा रही थी. पुलिस के मुताबिक आरोपी कैंसर अस्पताल से कीमोथेरेपी के इंजेक्शन की खाली शीशी जुटाते थे और फिर उन खाली शीशियों में एंटी फंगल मेडिसिन भरकर बेच देते थे.
आरोपियों के टारगेट पर दिल्ली में बाहर से आने वाले मरीज होते थे. खासतौर से इनके निशाने पर हरियाणा, बिहार, नेपाल और अफ्रीकी देशों से आने वाले मरीज होते थे. इस जानलेवा व्यापार में शामिल जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, उनके तार दिल्ली, गुरुग्राम से लेकर बिहार तक जुड़े हैं.
बड़े अस्पताल के कर्मचारी, फॉर्मासिस्ट शामिल
अब आपको बताते हैं कि ये पूरा सिंडिकेट कैसे काम करता था और कैसे इनके झांसे में फंसकर ज़िंदगी की तलाश में आए मरीज़ लाखों रुपये खर्च कर मौत का सामान खरीद रहे थे. इस गैंग में फार्मासिस्ट, बड़े अस्पताल के कर्मचारी और मेडिकल टूरिज़्म की कंपनी चलाने वाले लोग शामिल थे.
दरअसल मेडिकल टूरिज़्म की टीम विदेशों से इलाज कराने के लिए कैंसर पेशेंट को भारत बुलाते थे और इलाज के दौरान मरीजों को कैंसर की नकली दवाईयां कम रेट पर बेच देते थे. दिल्ली क्राइम ब्रांच को जैसे ही इस सिंडिकेट की जानकारी मिली तो उन्होंने बेहद खुफिया तरीके से पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया.
पुलिस ने इन 4 जगहों पर की रेड
क्राइम ब्रांच ने 4 जगहों पर एक साथ रेड मारी. ये जगह हैं, दिल्ली का मोती नगर, यमुना विहार, गुड़गांव का साउथ सिटी और एक बड़ा अस्पताल.
दिल्ली पुलिस की टीम ने अपने ऑपरेशन के दौरान इस सिंडिकेट के सरगना विफल जैन को भी गिरफ्तार किया है.. विफल जैन ही कैंसर की नकली दवाईयां तैयार करता था. जिसके लिए उसने दिल्ली के मोती नगर में दो फ्लैट भी किराए पर ले रखे थे. वहीं पर ब्रैंडेड मेडिसिन की खाली शीशी में नकली दवाई भरने का काम किया जाता था.
पुलिस ने यहां से नकली दवाओं से भरी 140 शीशी, 197 खाली शीशियां, 1 हज़ार अमेरिकी डॉलर, 50 हज़ार इंडियन करेंसी 3 कैप सीलिंग मशीन और 1 हीट गन मशीन बरामद की है.
पूरा सिंडिकेट खंगालने में जुटी पुलिस
इस सिंडिकेट के सरगना के अलावा दिल्ली पुलिस की टीम ने गुड़गांव की साउथ सिटी के फ्लैट से एक शख्स को गिरफ्तार किया. पुलिस ने उसके फ्लैट से कैंसर के नकली 137 इंजेक्शन बरामद किए. साथ ही यमुना विहार से कैंसर के इंजेक्शन की दर्जनों खाली शीशी ज़ब्त की. इसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम उस कैंसर अस्पताल में पहुंची और कीमोथेरेपी के इंजेक्शन की खाली शीशी सप्लाई करने वाले आरोपियों को धर दबोचा.
अब दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम इस पूरे सिंडिकेट का कनेक्शन खंगालने में जुटी है. ये भी पता किया जा रहा है कि इनके तार दिल्ली-NCR के अलावा और किन-किन शहरों में फैले हैं.
बेहद महंगा है कैंसर का इलाज
सभी को मालूम है कि कैंसर एक जानलेवा बीमारी है. लिहाज़ा इसका इलाज भी काफी महंगा है. कैंसर के कीमोथेरेपी का एक-एक इंजेक्शन लाख रुपये में आता है. यही वजह है कि ज्यादा मुनाफे के लालच में ये मौत के सौदागर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी की नकली दवाई बनाने से भी बाज नहीं आए.
डेढ़ लाख में बेचते थे इंजेक्शन
आपको बताते हैं कि नकली दवाओं के खेल में कैसे महज कुछ हज़ार रुपये में करोड़ों कमाया जा रहा था. 5 हजार में ब्रैंडेड दवाई की खाली शीशी खरीदते थे. खाली शीशी में 100 रुपये की एंटी फंगल दवाई भरते थे. फिर नकली दवाई की उन शीशियों को करीब 1.5 लाख रुपये में बेचते थे.
नकली दवाओं से मरीजों की जा रही जान
मुनाफे के लालच में कैंसर की नकली दवाईयों के इस गोरखधंधे के ज़रिए मरीज़ों की जान से कैसे बड़ा धोखा किया जा रहा था और ये कितना खतरनाक हो सकता है, अब ये समझिए. कैंसर के मरीज़ ये दवाई कीमोथेरेपी के लिए इस्तेमाल करते थे
ये नकली दवाई कीमोथेरेपी में असरदार नहीं हो पाती है. नकली दवाई से मरीज का कैंसर घटने के बदले बढ़ जाता था. असली दवाई की कमी से कैंसर के मरीज की जान चली जाती है.
ज़ाहिर है कि ये खबर बेहद डराने वाली है. लिहाज़ा आपके लिए भी ज़रूरी है कि जांच-परख कर ही लाइफ सेविंग दवाईयां खरीदें. आपको बताते हैं कि जब भी आप ऑनलाइन या मेडिकल स्टोर से दवाई खरीदें, तो किन बातों का ध्यान रखें.
दवा खरीदते हुए किन बातों का रखें ध्यान
असली दवाओं पर एक QR कोड प्रिंट होता है.
QR कोड में दवाई के सप्लाई चेन की डिटेल होती है.
दवा खरीदने से पहले QR कोड को स्कैन कर देख लें.
अगर दवाई पर QR कोड ना हो तो दवाई नहीं खरीदें.
इसके अलावा दवा का नाम और बैच नंबर भी जांच लें.
दवा की पैकिंग टूटी-फूटी या क्षतिग्रस्त नहीं होनी चाहिए.
दवा को लेकर कोई संदेह हो तो डॉक्टर से ज़रूर सलाह लें .