चीन का जालसाज.. भारत में रहकर कर रहा था काली कमाई, जिस्मफरोशी-जुआ से कमाए करोड़ों, ED ने दबोचा
ED: प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एक चीनी नागरिक उसके सहयोगी की 4 करोड़ की संपत्ति कुर्क की है. बताया जा रहा है कि ये लोग भारत में रहकर गैर कानूनी तरीके से जिस्मफरोशी, जुआ और इंस्टेंट लोन ऐप का धंधा चला रहे थे.
ED: प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने मंगलवार को बताया कि उसने भारत में गैर कानूनी तरीके से रह रहे एक चानी नागरिक और उसके सहयोगी के खिलाफ धन शोधन जांच के तहत चार करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है. ईडी ने बताया कि चीनी नागरिक का सहयोगी कथित तौर पर जुआ, वेश्यावृत्ति और चीन के लोगों के लिए खुफिया क्लब बनाने जैसी आपराधिक गतिविधियों में शामिल था. उसने बताया कि यह जांच जू फेई नामक चीनी व्यक्ति से संबंधित है, जिसके खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने सबसे पहले नोएडा में मामला दर्ज किया था.
4 करोड़ की संपत्ति कुर्क:
जांच एजेंसी के मुताबिक कुर्क की गई संपत्ति 3.12 करोड़ रुपये की बैंक और फिक्स डिपॉजिट अमाउंट के अलावा पंजाब के मोहाली के एसएएस नगर में मौजूद 60 लाख रुपये की एक आवासीय फ्लैट के रूप में है, जो जू के करीबी सहयोगी रवि नटवरलाल ठक्कर के स्वामित्व में है. संपत्ति को कुर्क करने के लिए ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक प्रोवीजनल आदेश जारी किया था. जून में इस मामले में ईडी ने 13.51 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी.
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होटल/क्लब में जुआ और वेश्यावृत्ति
ईडी ने कहा कि चीनी नागरिक भारत में 'अवैध रूप से' रह रहा था और वह ठक्कर व अन्य लोगों के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में लकिन क्लब प्राइवेट लिमिटेड और तियानशांग रेनजियन प्राइवेट लिमिटेड नामक दो होटल व क्लब का संचालन कर रहा था. जांच एजेंसी के मुताबिक ये होटल और क्लब चीनी नागरिकों के लिए थे, जिनमें खास तौर पर अवैध रूप से भारत में दाखिल होने वाले चीनी शामिल हैं. ईडी ने कहा, 'जू फेई और उसके गिरोह के सदस्य इन होटल/क्लब में जुआ और वेश्यावृत्ति जैसी विभिन्न अवैध गतिविधियों का संचालन कर रहे थे.'
फर्जी कंपनियां भी खोलीं:
जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने 'फर्जी निदेशकों' के साथ कागज पर कई (फर्जी) कंपनियां खोलीं और इनके अधीन रुपी प्लस, लकी वॉलेट, फ्लैश पैसा, पैसा करो, हाय पैसा, राधा मनी जैसे कई इंसटेंट लोन ऐप चला रहे थे. उसने कहा, 'आरोपी भारी ब्याज दरें वसूल रहे थे और ईएमआई के भुगतान में देरी के मामले में वे कर्ज लेने वाले व्यक्ति का व्यक्तिगत डेटा हासिल करते थे और वसूली की आड़ में उन्हें ब्लैकमेल करते थे साथ ही धमकी भी देते थे.'
इनपुट- भाषा
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