How to avoid Digital Arrest: तकनीक ने हमारे जीवन को बहुत आसान कर दिया है लेकिन उसी तकनीक के बनाए जाल में फंसकर बहुत से लोग अपने जीवन भर की कमाई लुटा बैठते हैं. जालसाजों की ऐसी ही साजिश है डिजिटल हाउस अरेस्ट. इसी साजिश में उज्जैन और मेरठ के दो बुजुर्ग फंस गए और दोनों की करोड़ों की गाढ़ी कमाई जालसाजों के खाते में पहुंच गई.


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एक साल में ही 30 हजार करोड़ की ठगी


ये कितना खतरनाक जाल है उसे आंकड़ों से समझिए. बीते दस साल में 65000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. जिसमें चार लाख करोड़ से ज्यादा की ठगी की जा चुकी है...अकेले 2023 में ही 30,000 करोड़ रुपये की ठगी हो चुकी है.


जी हां...मिश्रा जी...शर्मा जी....कलीम मियां या मुरुगम स्वामी भाई...अखिल भाई और मनविंदर सिंह...आप जहां से भी इस खबर को पढ़ रहे हैं. सबकुछ छोड़कर पहले ध्यान से इस खबर को देख लीजिए...वरना जालसाज, साइबर फ्रॉड करने वाले अपराधी आपके जीवन भर की कमाई पर हाथ साफ कर जाएंगे और फिर आप पछताएंगे.


उज्जैन में बुजुर्ग से ढाई करोड़ ठग लिए


मध्य प्रदेश के उज्जैन में साइबर जालसाजों ने CBI अधिकारी बन एक रिटायर्ड बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट कर उनसे ढाई करोड़ से ज़्यादा रुपये ठग लिए. डिजिटल अरेस्ट वाली इस सनसनीखेज जालसाजी का खुलासा तब हुआ, जब ठगी के शिकार हुए रिटायर्ड अधिकारी ने पुलिस में शिकायत की. जिसके मुताबिक, अपराधियों ने CBI अधिकारी बन बुजुर्ग को फोन किया.


इसके बाद अपराधियों ने बुजुर्ग से कहा कि आपके खिलाफ मुम्बई के तिलक नगर में एक केस दर्ज हुआ है. कॉल करने वाले शख्स ने कहा आपके खिलाफ पोर्न वीडियो मामले में केस दर्ज हुआ है. इसके बाद एक और कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को एसआई बताते हुए कहा मैं हेमराज कोली मुम्बई अंधेरी थाने से बोल रहा हूं. आपके विरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग और पोर्न वीडियो का केस आया है. जिसमें तीन साल की जेल और 5 लाख रुपये का जुर्माना है. इससे घबराकर बुजुर्ग ने 2 करोड़ 55 लाख रुपये चार अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए.


मेरठ में भी ठगों ने बुजुर्ग को किया डिजिटल अरेस्ट


एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि सीबीआई का फर्जी अफसर बनकर बुजुर्ग से करीब 2 करोड़ 55 लाख का ट्रांजेक्शन इस दौरान कराया गया, इसके बाद इन्होंने पुलिस में सूचना दी तो जिन खातों में भी रकम पहुंची थी, उन सबको होल्ड करा दिया गया. कुछ खाते अलग-अलग प्रदेशों में हैं, जिन्हें फ्रीज करवाने के लिए साइबर टीम काम कर रही है.


तो दूसरी तरफ दिल्ली के पास मेरठ में भी ठीक उसी समय के आसपास एक और बुजुर्ग के खिलाफ डिजिटल अरेस्ट वाली साजिश रची जा रही थी. मेरठ मे भी साइबर अपराधियों ने खुद को टेलिकॉम विभाग का कर्मचारी बताकर एक रिटायर्ड बैंक अधिकारी को चार दिनों तक डिजिटल अरेस्ट किया.


अनजान कॉल से डरकर ट्रांसफर कर दी रकम


यहां भी साइबर अपराधियों ने बुजुर्ग से मनी लॉन्ड्रिंग के केस का खौफ दिखाकर करीब पौने दो करोड़ रुपये फर्जी अकाउंट्स में ट्रांसफर करा लिये. पीड़ित बुजुर्ग के मुताबिक 17 सितंबर को कॉल करने वाले धमकी दी कि आपके सभी रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर बंद किये जा रहे हैं...आपके आधार का इस्तेमाल करके कैनरा बैंक में खाता खोला गया और उसमें 6.80 करोड़ रुपये मनी लॉन्ड्रिंग से आए हैं. इसीलिए आपके खिलाफ महाराष्ट्र में रिपोर्ट दर्ज की गई है, आपको जल्द ही जेल भेज दिया जाएगा और इसीलिए घर से बाहर मत निकलना. 


इस खबर ने बुजुर्ग को डर से भर दिया और उन्होंने अलग अलग समय पर बताए गए खातों में चुपचाप पैसे ट्रांसफर कर दिये. जब बुजुर्ग को शक हुआ तब जाकर पुलिस में शिकायत की. अब आप ये समझिए कि आखिर डिजिटल अरेस्ट होता क्या है?


कैसे काम करते हैं साइबर अपराधी


असल में साइबर अपराधी ऑनलाइन माध्यम या फोन से धमकाते हैं. वे डर दिखाते हैं कि सरकारी एजेंसी ने शिकंजा कसा है और उसे बड़ा जुर्माना देना होगा या जेल होगी. इसके बाद व्यक्ति से जुड़े मामलों में फर्जीवाड़े का डर दिखाते हैं. किसी को बताने पर कड़ी कार्रवाई का डर दिखाते हैं. इसके बाद जब व्यक्ति डर जाता है तो उससे बताए गए खातों में रकम ट्रांसफर करवा लेते हैं. 


डिजिटल अरेस्टिंग से बचने के टिप्स


तो सावधान रहिए, सतर्क रहिए क्योंकि कोने कोने में आपकी संपत्ति गाढ़ी कमाई को हड़पने की साजिश रचने वाले जालसाज तैयार बैठे हैं. डिजिटल अरेस्ट या डिजिटल हाउस अरेस्ट से कैसे बचें.उसे ध्यान से समझिए. डिजिटल 'धोखेबाज़' आपको फोन करेंगे. फिर वे आपकी गलती बताएंगे. इसके बाद वे आपको डिजिटल अरेस्ट करने की जानकारी देंगे. ऐसा होने पर तुरंत पुलिस से तुरंत मदद लें और बताया गया ऐप डाउनलोड न करें. फोन को तुरंत फॉर्मेट कर दें. कोई गुप्त या निजी जानकारी कतई न दें


(उज्जैन से राहुल सिंह राठौड़ और मेरठ से पारस गोयल की रिपोर्ट)