Weapons License: आए दिन हम यह सुनते हैं कि मर्डर के दौरान अपराधी असलहे या तमंचे का उपयोग करते हैं. यह असलहे या तमंचे वे हथियार होते हैं, जिन्हें स्थानीय स्तर पर बनाया जाता है और जिन्हें रखने के लिए अनुमति नहीं ली जाती है. ये पुलिस प्रशासन की जानकारी से बाहर होता है. आइए इस बारे में समझते हैं कि क्या इन्हें रखना अपराध है और अगर इन्हें रखना है तो इसके लिए कौन से नियम का पालन करना आवश्यक है. 


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जिला प्रशासन से अनुमति आवश्यक
असल में भारत में असलहा और तमंचा, जिसमें  बंदूक और पिस्टल शामिल हो सकते हैं. इन हथियारों के लिए नियम हैं. हालांकि उनके विवरण और नियम भिन्न-भिन्न राज्यों और क्षेत्रों में अलग हैं. इसके लिए स्थानीय जिला प्रशासन से अनुमति लेना आवश्यक है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में लागू शस्त्र नियम, 1962 शस्त्रों के निर्माण, बिक्री और लाइसेंस से जुड़ा हुआ है जिसको शस्त्र नियम, 2016 के द्वारा रिप्लेस कर दिया गया है. 


आत्मरक्षा के लिए प्रशासन से लाइसेंस
इन नए नियमों के मुताबिक जिसे शस्त्र चलाना आता है उसे ही लाइसेंस मिल सकता है, इसके लिए परीक्षा देनी होगी. लाइसेंसधारी को सीमित कारतूस भी रखने के नियम हैं. वहीं शस्त्र नियम 1959 के तहत भारत का कोई भी नागरिक आत्मरक्षा के लिए प्रशासन से लाइसेंस लेकर हथियार ले सकता है. हथियार का लाइसेंस देने के लिए राज्य के गृह मंत्रालय और जिलाधिकारियों को शक्ति दी गई है. 


वहीं अगर बात लोकल असलहे और तमंचे की बात करें तो इसके लिए जिला प्रशासन के नियमों का पालन करना अनिवार्य है और बिना प्रशासन के आदेश के इसे नहीं रखा जा सकता है. वहीं हथियारों के लाइसेंस के लिए डीएम के दफ्तर में एप्लीकेशन देनी होती है. अगर पुलिस कमिश्नरेट का इलाका है, तो कमिश्नर को एप्लीकेशन दिया जाता है. किस तरह का हथियार चाहिए, यह भी बताना होता है.