नई दिल्ली: सीबीआई (CBI) की टीम ने गुरुवार को मुंबई स्थित GVK ग्रुप ऑफ कंपनी के ऑल टाइम निदेशक जी. वेंकट कृष्णा रेड्डी और मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड कंपनी सहित कई निदेशकों और अज्ञात आरोपियो के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज की है. सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर के मुताबिक ये मामाला करीब 705 करोड़ रूपये के घोटाले का है. 


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सीबीआई ने कई कंपनियों को आरोपी के तौर पर अपनी एफआईआर में दर्ज किया है. इसके साथ ही सीबीआई द्वारा दर्ज किए एफआईआर में एयरपोर्ट ऑथोरिटि ऑफ इंडिया (AAI) के कई अधिकारियों और कर्मचारियों सहित नो अन्य प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों और अधिकारियों को भी आरोपी के तौर पर नामजद किया है. आने वाले वक्त में उन दर्जनों आरोपियों से सीबीआई की टीम पूछताछ करेगी.


सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर के मुताबिक ये मामला साल 2012 से लेकर 2018 के बीच फर्जीवाडे का है, जिसमें शुरूआती अनुमान के मुताबिक 705 करोड़ रूपये का फर्जीवाडे को अंजाम देते हुए सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया है, लेकिन इस मामले में सीबीआई मुख्यालय में कार्यरत विशेष सूत्रों के मुताबिक ये रकम के आंकडों में काफी बढ़ोतरी हो सकती है, ये नुकसान की रकम 705 करोड़ से बढ़कर एक हजार करोड़ तक जा सकती है.


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केन्द्रीय उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली संस्था एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) के कई कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ केन्द्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने ये मामला दर्ज किया है. बता दें कि AAI पर एयरपोर्ट को अपग्रेडिंग, एयरपोर्ट की रख-रखाव की वयवस्था, सिविल एविएशन इंफ्राक्टेक्चर को और बेहतर बनाने का जिम्मा होता है, लेकिन कुछ आरोपी अधिकारियों की साजिश से बहुत बड़े फर्जीवाडे को अंजाम दिया गया.


दरअसल, ये एक ज्वाइंट वेंचर कंपनी (JVC ) का मामला है, जिसे पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के तहत AAI के द्वारा बनाई गई एक ज्वाइंट वेंचर 'मेसर्स मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड' है. मुंबई एयरपोर्ट के आधुनिकीकरण, अपग्रेड और मेंटेननेंस के लिए इसे बनवाया था. इसमें 50.5 प्रतिशत का शेयर तय किया गया था जो GVK एयरपोर्ट होल्डिंग लिमिटेड के पास था. जबकि प्रोजेक्ट का 26 प्रतिशत शेयर AAI के पास था और बाकी बचा शेयर विदेशी कंपनियों के पास था. इस पर 04 अप्रैल 2006 को AAI ने मेसर्स मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के साथ एक एग्रीमेंट किया, जिसके तहत मुंबई एयरपोर्ट का आधुनिकरण किया जाना था, लेकिन इसी मामले में नियमों को तक पर रखकर फर्जीवाडा कर दिया गया. 


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सीबीआई का आरोप है कि बिना कामकाज किए ही कागजों में मात्र खानापूर्ति कर दी गई है. सीबीआई का कहना है कि करीब 200 एकड़ जमीन पर जो निर्माण कार्य होना था, उसमें भी फर्जीवाडे को अंजाम दिया गया था. इसी कारण निर्माण कार्य को करने के लिए जो एग्रीमेंट तैयार किए गए थे वो मात्र कागजों तक ही सीमित रह गए. सीबीआई ने मेसर्स मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के अतिरिक्त फंड में से करीब 395 करोड़ रूपये को GVL ग्रुप ऑफ कंपनी में वित्तिय लेनदेन के लिए प्रयोग करने का आरोप लगाया है. 


सीबीआई द्वारा दर्ज आरोप ये भी है की मेसर्स मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड ने पैसे का गमन करने के चलते खर्चे को काफी बढ़ा चढाकर दिखाया है. सीबीआई को मिली जानकारी के अनुसार MIAL ने साजिश के तहत अपनी इनकम काफी कम दिखाई है. इन सभी फर्जीवाड़ों की वजह से सरकारी कोष को करीब 705 करोड़ रूपये का घाटा हुआ है. जिसके आरोपियों ने गलत तरीके से कमाया है. एफआईआर के मुताबिक AAI को इस मामले में काफी बड़ा तौर पर आर्थिक घाटा हुआ है.


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