Kolhapur Cannibal Case: हां, वो कलयुग का राक्षस ही तो है. उसने अपनी मां का पहले बड़ी बेरहमी से कत्ल किया, फिर शव के अंगों को बाहर निकाल लिया. गुर्दे, आंत, फेफड़े... बाप रे! यह सुनते, पढ़ते और लिखते आपकी रूह कांप जाएगी लेकिन वो राक्षस बर्तन में डालकर मां के अंगों को पकाने लगा. उस नरभक्षी ने मां के अंगों को पकाकर खाया भी. अब बंबई हाई कोर्ट ने भी उसकी फांसी की सजा पर मुहर लगा दी है.


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हाई कोर्ट ने माना नरभक्षी


मामला 2017 का है. बंबई उच्च न्यायालय ने उस राक्षस को अपनी मां की हत्या करने और उसके शरीर के कुछ अंगों को कथित तौर पर खाने के मामले में कोल्हापुर की एक अदालत के फैसले को बरकरार रखा है. निचली अदालत ने मृत्युदंड की सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट ने कहा कि यह नरभक्षण का मामला है.


सुधरने की संभावना नहीं...


न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की एक खंडपीठ ने कहा कि दोषी सुनील कुचकोरवी की फांसी की सजा की पुष्टि की जाती है. पीठ के अनुसार दोषी में सुधार की कोई संभावना नहीं है. उच्च न्यायालय ने कहा, ‘यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में आता है. दोषी ने न केवल अपनी मां की हत्या की, बल्कि उसने उसके शरीर के अंगों - मस्तिष्क, हृदय, यकृत, गुर्दे, आंत को भी निकाल लिया और उन्हें एक बर्तन में पका रहा था.’


खंडपीठ ने कहा, ‘उसने उसकी पसलियां पकाई थीं और उसका हृदय भी पकाने वाला था. यह नरभक्षण का मामला है.’ उच्च न्यायालय ने कहा कि दोषी के सुधरने की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि नरभक्षण करने की प्रवृत्ति होती है. खंडपीठ ने कहा, ‘अगर उसे आजीवन कारावास की सजा दी जाती है, तो वह जेल में भी इसी तरह का अपराध कर सकता है.’ कुचकोरवी को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए फैसले की जानकारी दी गई.


शराब के लिए मां को मार डाला


अभियोजन पक्ष के मुताबिक सुनील कुचकोरवी ने 28 अगस्त 2017 को कोल्हापुर शहर में अपने घर पर 63 साल की मां यल्लमा रमा कुचकोरवी की बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी थी. बाद में, उसने शव के टुकड़े किए और कुछ अंगों को कड़ाही में तलकर खा लिया. अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि आरोपी की मां ने उसे शराब खरीदने के लिए पैसे देने से इनकार कर दिया था. सुनील कुचकोरवी को 2021 में कोल्हापुर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी.


वह यरवदा जेल (पुणे) में बंद है. सत्र अदालत ने उस समय कहा था कि यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में आता है और इस जघन्य हत्या ने सामाजिक चेतना को झकझोर कर रख दिया है. दोषी ने अपनी दोषसिद्धि और मृत्युदंड को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी. (भाषा इनपुट के साथ)